संदर्भ
पश्चिमी घाट के शोला स्काई द्वीप में उष्णकटिबंधीय मोंटेन घास के मैदानों (टी.एम.जी.) में कई प्रकार के स्थानिक पौधों, पक्षियों, उभयचरों और स्तनधारियों की संख्या में विदेशज प्रजाति के वृक्षों जैसे बबूल, चीड़ और यूकेलिप्टस के आक्रमण के कारण बड़ी मात्रा में गिरावट दर्ज़ की गई है।
क्षेत्रों की पहचान
- इस समस्या को दूर करने के लिये शोधकर्ताओं ने चारागाह पुनर्स्थापना और संरक्षण के लिये नीलगिरी (सर्वाधिक क्षेत्र,126 वर्ग किमी), पलानी और अन्नामलाई हिल्स में उपयुक्त क्षेत्रों की पहचान की है।
- भारत में इसे वन प्रबंधन योजनाओं के अंतर्गत बंजर भूमि के रूप में वर्गीकृत किया गया है, क्योंकि वे जंगलों में पाई जाने वाली लकड़ी (विदेशज प्रजाति) के विपरीत राजस्व के स्रोत नहीं होते हैं।
- अध्ययन में कहा गया कि घास के मैदान बंजर भूमि नहीं हैं, हम अन्य तरीकों से इनसे लाभान्वित हो रहे हैं- जैसे कि चरागाह।
उष्णकटिबंधीय मोंटेन घास के मैदान
- उष्णकटिबंधीय मोंटेन घास के मैदान उच्च ऊँचाई वाले घास के मैदान हैं, जो विश्व में पाए जाने वाले सभी घास के मैदानों का केवल 2% हैं। विदित है कि शोला के घास के मैदान हाइड्रोलॉजिकल रिचार्ज का कार्य करते हैं।
- ये वैश्विक कार्बन चक्र को विनियमित करने और डाउनस्ट्रीम समुदायों के लिये जल का स्रोत हैं। पश्चिमी घाट में 23% मोंटेन घास के मैदान 44 वर्षों की अवधि में कथित तौर पर आक्रामक विदेशी पेड़ों के आवरण में परिवर्तित हो गए।