संदर्भ
हाल ही में, भारत ने लद्दाख के त्सो कार आर्द्रभूमि क्षेत्र को 42वें रामसर स्थल के रूप में शामिल किया है। रामसर स्थल के रूप में नामित संघ शासित प्रदेश लद्दाख का यह दूसरा स्थल है। लद्दाख का त्सो कार आर्द्रभूमि परिसर अब अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि है। विदित है कि कुछ समय पूर्व महाराष्ट्र की लोनार झील और आगरा की सूर सरोवर (केथम झील) आर्द्रभूमि को रामसर स्थलों की सूची में जोड़ा गया था।
त्सो कार घाटी
- त्सो कार घाटी/बेसिन एक अत्यधिक ऊँचाई पर स्थित एक आर्द्रभूमि परिसर है, जिसमें दो प्रमुख जलप्रपात/जल निकाय हैं। दक्षिण में मीठे पानी की झील ‘स्टारत्सपुक त्सो’ (Startsapuk Tso) और उत्तर में खारे पानी की झील ‘त्सो कार’ (Tso Kar) स्थित है। यह लद्दाख के चांगथांग क्षेत्र में अवस्थित है।
- ‘त्सो कार’ का अर्थ सफेद नमक या सफ़ेद झील होता है। इस क्षेत्र में मौजूद अत्यधिक खारे पानी के वाष्पीकारण के कारण किनारे पर सफेद नमक की पपड़ी पाई जाती है।
- बर्ड लाइफ इंटरनेशनल के अनुसार त्सो कार घाटी A1 श्रेणी का एक महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र (IBA) होने के साथ-साथ मध्य एशियाई उड़ान मार्ग का एक महत्त्वपूर्ण स्थल है।
- साथ ही, यह स्थान भारत में काले गर्दन वाली सारस पक्षी (ग्रस नाइग्रीकोलिस : Grus nigricollis) का एक महत्त्वपूर्ण प्रजनन क्षेत्र है। इसके अतिरिक्त, यह आई.बी.ए. ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीबे, बार-हेडेड गीज या कलहंस, रूडी शेलडक या बतख, ब्राउन-हेडेड गल, लेसर सैंड-प्लोवर और कई अन्य प्रजातियों के लिये एक प्रमुख प्रजनन क्षेत्र है।
- उल्लेखनीय है कि लद्दाख के चांगथांग पठार पर अवस्थित त्सो मोरीरी झील या ‘माउंटेन लेक’ को वर्ष 2002 में रामसर आर्द्रभूमि स्थल के रूप में अधिसूचित किया गया था।
रामसर सूची का उद्देश्य
- रामसर सूची का उद्देश्य आर्द्रभूमि के एक अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क का विकास एवं रखरखाव करना है।
- यह वैश्विक जैव विविधता के संरक्षण एवं उनके पारिस्थितिक तंत्र के घटकों, प्रक्रियाओं तथा लाभों के रखरखाव के जरिये मानव जीवन को बनाए रखने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
आर्द्रभूमि क्षेत्र
- आर्द्रभूमि क्षेत्र भोजन, पानी, फाइबर, भूजल पुनर्भरण, जल शोधन के साथ-साथ बाढ़ नियंत्रण, कटाव नियंत्रण और जलवायु विनियमन जैसे महत्त्वपूर्ण संसाधन एवं पारिस्थितिकी सेवाएँ प्रदान करता है।
- वास्तव में आर्द्रभूमि जल का एक मुख्य स्रोत होती है और मीठे पानी के आपूर्ति में सहायक होती है। आर्द्रभूमि वर्षा जल को सोखने और भूजल पुनर्भरण में मदद करती है।
- पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय इस क्षेत्र का उपयोग सुनिश्चित करने के लिये केंद्र शासित प्रदेश आर्द्रभूमि प्राधिकारण के साथ मिलकार कार्य करेगा।