सुर्खियों में क्यों
हाल ही में कुछ राजनीतिक नेताओं द्वारा तुलसीदास द्वारा रचित पुस्तक ‘रामचरितमानस’ की आलोचना की गई है।
राजनीतिक नेताओं द्वारा निम्न आरोप
- रामचरितमानस "समाज में नफरत फैलाता है"
- गोस्वामी तुलसीदास की महाकाव्य कविता मनुस्मृति और एमएस गोलवलकर के बंच ऑफ थॉट्स के साथ जला दी जानी चाहिए।
- यह पुस्तक धर्म के नाम पर निम्न जातियों को गाली देती है।
जिन अंशों की आलोचना की जाती है
- ढोल गँवार शूद्र पशु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी
- जे बरनाधम तेली कुम्हारा, स्वपच किरात कोली कलवारा, नारी मुई गृह सम्पति नाशी, मूड मुड़ाई होहिन संन्यासी (तेली, कुम्हार, चांडाल, भील जैसी निचली जातियाँ)
- अधम जाती मय शिक्षा पाए, भयौ जथा अहि दूध पिलाये
आलोचकों ने कविता के इन हिस्सों का उपयोग तुलसीदास पर गैर-उच्च जातियों और महिलाओं के खिलाफ होने और ब्राह्मणवादी श्रेष्ठता के विचार के ध्वजवाहक होने का आरोप लगाने के लिए किया है।
तुलसीदास के बारे में
- वास्तविक नाम - राम बोला दुबे
- रचना -रामचरितमानस (16वीं शताब्दी में)
- भाषा- अवधी बोली में
- समकालीन- सम्राट अकबर
- अकबर के सेनापति बैरम खान के पुत्र अब्दुर्रहीम खान-ए-खाना के साथ पत्राचार का उल्लेख
तुलसीकृत अन्य रचनाएं
- वैराग्य-संदीपनी
- बरवै रामायण
- पार्वती-मंगल
- जानकी-मंगल
- रामाज्ञाप्रश्न
- दोहावली
- गीतावली