(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
संदर्भ
हाल ही में, भारत में सैटेलाइट टीवी चैनलों को ‘राष्ट्रीय महत्त्व और सामाजिक प्रासंगिकता’ के विषयों पर प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट की सामग्री प्रसारित करना अनिवार्य कर दिया गया है।
प्रमुख बिंदु
- इस आदेश को सितंबर माह में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के 'भारत में सैटेलाइट टेलीविजन चैनलों के अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग के लिये दिशानिर्देश, 2022' के तहत जारी किया गया है।
- देश में टीवी प्रसारण से संबंधित नियमों को 11 वर्ष के बाद संशोधित किया गया है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में देश में 870 से अधिक चैनल हैं।
पक्ष एवं विपक्ष में तर्क
- पक्ष में तर्क : सरकार के अनुसार, एयरवेव्स / फ्रीक्वेंसी एक सार्वजनिक संपत्ति हैं इसलिये इन्हें समाज के सर्वोत्तम हित में उपयोग किया जाना चाहिये।
- विपक्ष में तर्क : कई प्रसारकों का मानना है कि एयरवेव्स एक सार्वजनिक संपत्ति हो सकती हैं परंतु इन्होंने इनके उपयोग के लिये भारी शुल्क का भुगतान किया है। साथ ही, कोई भी बाध्यकारी दिशानिर्देश जो व्यावसायिक हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं, उचित नहीं माने जा सकते हैं।
राष्ट्रीय हित के विषय का अर्थ
- दिशानिर्देश में आठ "राष्ट्रीय महत्त्व और सामाजिक प्रासंगिकता के विषयों" की पहचान की गई है। ये विषय हैं-
- शिक्षा और साक्षरता का प्रसार
- कृषि और ग्रामीण विकास
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी
- महिलाओं का कल्याण
- समाज के कमजोर वर्गों का कल्याण
- पर्यावरण और सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण
- राष्ट्रीय अखंडता
दिशा-निर्देशों का अनुपालन
- मंत्रालय समय-समय पर राष्ट्रीय हित में सामग्री के प्रसारण के लिये चैनलों को सामान्य सलाह जारी कर सकती है और सभी चैनल उसका पालन सुनिश्चित करेंगे।
- मंत्रालय इस सामग्री का प्रसारण सुनिश्चित करने के लिये टीवी चैनलों की निगरानी करेगा।
- टीवी चैनल द्वारा अनुपालन नहीं करने पर मंत्रालय द्वारा चैनल से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा।
- चैनल द्वारा निरंतर विपरीत व्यवहार करने पर मामले-दर-मामले के आधार पर जारी की जाने वाली विशिष्ट सलाह के अनुसार मंत्रालय द्वारा कठोर कदम उठाए जा सकते हैं।
दिशा-निर्देशों से छूट
- यह निर्देश विशेष रूप से छूट प्राप्त चैनलों को छोड़कर सभी चैनलों पर लागू होते हैं।
- यह छूट खेल चैनलों के मामले में लाइव प्रसारण के अलावा वन्यजीव चैनलों और विदेशी चैनलों पर भी लागू हो सकते हैं।
- जुर्माने की धाराओं को युक्तिसंगत बनाया गया है और वर्तमान में लागू एक समान दंड के विपरीत विभिन्न प्रकार के उल्लंघनों के लिये दंड के अलग-अलग सेट प्रस्तावित किये गए हैं।