रक्त में ग्लूकोज (शर्करा) का स्तर सामान्य से अधिक होने पर मधुमेह मेलिटस की स्थिति मानी जाती है। वस्तुत: मधुमेह के दस से अधिक प्रकार हैं लेकिन सबसे सामान्य प्रकार टाइप 1 एवं टाइप 2 हैं।
टाइप 1 मधुमेह : यह एक स्वप्रतिरक्षी स्थिति है जहाँ शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अग्न्याशय में हार्मोन इंसुलिन का निर्माण करने वाली कोशिकाओं पर हमला कर उन्हें नष्ट कर देती है।
इससे बहुत कम या बिल्कुल भी इंसुलिन उत्सर्जित नहीं होता है।
कोशिकाओं में ऊर्जा के लिए रक्त से ग्लूकोज के परिवहन के लिए इंसुलिन महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि टाइप 1 मधुमेह वाले लोगों को प्रतिदिन इंसुलिन (दवा) की आवश्यकता होती है।
टाइप 1 मधुमेह सामान्यत: बच्चों या युवा वयस्कों में होता है।
टाइप 2 मधुमेह : यह स्वप्रतिरक्षी स्थिति नहीं है। यह तब होता है जब शरीर की कोशिकाएँ समय के साथ इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी हो जाती हैं और अग्न्याशय इस प्रतिरोध को दूर करने के लिए पर्याप्त इंसुलिन बनाने में सक्षम नहीं होता है।
टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित लोगों में न्यून मात्रा में इंसुलिन उत्सर्जित होता है।
टाइप 2 मधुमेह से वयस्क अधिक पीड़ित होते हैं। हालाँकि, वर्तमान में यह बच्चों एवं युवाओं में तेजी से प्रसारित हो रहा है।
इसके प्रबंधन में पोषण एवं शारीरिक गतिविधि जैसे व्यवहारगत परिवर्तन के साथ-साथ मौखिक दवाएं व इंसुलिन थेरेपी भी शामिल हो सकती है।
टाइप 1.5 मधुमेह
टाइप 1.5 मधुमेह में टाइप 1 और टाइप 2 दोनों के लक्षण होते हैं। वयस्कों में इसे लेटेंट ऑटोइम्यून डायबिटीज (LADA) के रूप में भी जाना जाता है।
टाइप 1 मधुमेह के समान ही टाइप 1.5 मधुमेह तब होता है जब प्रतिरक्षा प्रणाली इंसुलिन बनाने वाली अग्न्याशय कोशिकाओं पर हमला करती है।
हालाँकि, टाइप 1.5 मधुमेह से पीड़ितों को तुरंत इंसुलिन की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि यह स्थिति धीरे-धीरे विकसित होती है।
टाइप 1.5 मधुमेह वाले अधिकांश लोगों को निदान (Diagnosis) के पांच वर्ष के भीतर इंसुलिन की आवश्यकता होती है।
टाइप 1.5 मधुमेह विशिष्ट जीन वेरिएंट के साथ आनुवंशिक एवं स्वप्रतिरक्षी (ऑटोइम्यून) जोखिम कारकों को साझा करता है।
हालाँकि यह मोटापे एवं शारीरिक निष्क्रियता जैसे जीवनशैली कारकों से भी प्रभावित हो सकता है। इसके लक्षण अन्य प्रकार के मधुमेह के समान ही होते हैं।
सामान्यत: टाइप 1.5 डायबिटीज़ के लिए कोई सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत प्रबंधन या उपचार रणनीति उपलब्ध नहीं है।
हालाँकि, इसके प्रारंभिक उपचार में रक्त शर्करा के स्तर को सामान्य सीमा में रखने के लिए मौखिक दवाओं का उपयोग किया जाता है।