प्रारम्भिक परीक्षा - तूफान/ चक्रवात, उष्ण कटिबंधीय चक्रवात, शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात, प्रतिचक्रवात मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-1 |
संदर्भ
- 04- सितंबर-2023 को ताइवान के सुदूर दक्षिण-पूर्व में टाइफून हाइकुई दस्तक दी, जो चार साल में ताइवान में आने वाला पहला तूफान था। इस तूफान/ चक्रवात से उत्पन्न बारिश और तेज हवाओं के प्रभाव के कारण कई घरेलू उड़ानें रद्द कर दी गईं और 4,000 लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया गया।
प्रमुख बिंदु
- शहरों में कक्षाएं रद्द कर दीं गईं और श्रमिकों के लिए एक दिन की छुट्टी की घोषणा कर दी गईं।
- राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने आपदा प्रबंधन अधिकारियों की एक बैठक में कहा कि लोगों को बाहर जाने से बचना चाहिए और पहाड़ों पर नहीं जाना चाहिए।
चक्रवात (Cyclone)
- ये निम्न वायुदाब के केन्द्र हैं जिनके चारों ओर क्रमशः बढ़ते वायुदाब की समदाब रेखाएँ होती हैं।
- चक्रवात में पवन की दिशा परिधि से केन्द्र की ओर होती है। इनकी दिशा उ. गोलार्द्ध में घड़ी की हुई की दिशा के विपरीत एवं द. गोलार्द्ध में घड़ी की हुई की दिशा की ओर होती है।
- इनका आकार गोलाकार, अंडाकार या V अक्षर के समान होता है।
- जलवायु एवं मौसम के निर्धारण में इनका पर्याप्त महत्व होता है। जहाँ ये पहुँचते हैं, वहाँ ये वर्षा एवं तापक्रम की दशाओं को प्रभावित करते हैं।
चक्रवात दो प्रकार के होते हैं- (i) शीतोष्णकटिबंधीय (ii) उष्णकटिबंधीय
शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात
- ये गोलाकार, अंडाकार या V-आकार के होते हैं, जिनके कारण इन्हें लो (Low), गर्त (Depression) या ट्रफ (Trough) कहते हैं।
- आदर्श शीतोष्ण चक्रवात का दीर्घ व्यास 1920 किमी. होता है। परन्तु लघु व्यास 1040 किमी. तक भी मिलते हैं।
- कभी-कभी ये चक्रवात 10 लाख वर्ग किमी. क्षेत्र तक का फैलाव रखते हैं।
- शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात 35°-65° अक्षांशों के मध्य दोनों गोलार्द्धों में पाए जाते हैं, जहाँ ये पछुआ पवनों के प्रभाव में पश्चिम से पूर्व दिशा में चलते हैं तथा मध्य अक्षांशो के मौसम को बड़े पैमाने पर प्रभावित करते हैं।
- इनके चलने के मार्ग को झंझा-पथ (Storm track) कहा जाता है। इसकी गति सामान्य रूप से 32 किमी. प्रति घंटे से 48 किमी. प्रति घंटे तक होती है।
- उत्पत्ति एवं जीवन चक्र : इनकी उत्पत्ति का संबंध ध्रुवीय वाताग्र से जोड़ा जाता है जहाँ पर दो विपरीत स्वभाव वाली हवाएँ (एक ठंडी व शुष्क एवं दूसरी गर्म व आर्द्र) मिलती है।
- इसकी उत्पत्ति हेतु दिए गए सिद्धान्तों में बर्कनीज (Bjerknes) का ध्रुवीय वाताग्र सिद्धान्त सर्वाधिक मान्य है।
उष्ण कटिबंधीय चक्रवात
- कर्क रेखा एवं मकर रेखा के मध्य उत्पन्न होने वाले चक्रवातों को उष्ण कटिबंधीय चक्रवात कहा जाता है।
- निम्न अक्षांशों के मौसम खासकर वर्षा पर इन चक्रवातों का पर्याप्त प्रभाव होता है। ग्रीष्मकाल में केवल गर्म सागरों के ऊपर इनकी उत्पत्ति अंतर उष्णकटिबंधीय अभिसरण (ITCZ) के सहारे उस समय होती है जब यह खिसककर 5° से 30° उत्तरी अक्षांश तक चली आती है।
- इन प्रदेशों को गर्म एवं आर्द्र पवनें जब संवहनीय प्रक्रिया से ऊपर उठती हैं तो घनघोर वर्षा होती है।
- इन चक्रवातों की ऊर्जा का मुख्य स्रोत संघनन की गुप्त ऊष्मा है। ऊपर उठने वाली वायु 'जितनी गर्म व आर्द्र होगी मौसम उतना ही तूफानी होगा।
- सामान्य रूप से इन चक्रवातों का व्यास 80 से 300 किमी. तक होता है परन्तु कुछ इतने छोटे होते हैं जिनका व्यास 50 किमी. से भी कम होता है।
- इनकी आकृति सामान्यतः वृत्ताकार या अंडाकार होती है परन्तु इनमें समदाब रेखाओं की संख्या बहुत कम होती है।
- उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की गति साधारण से लेकर प्रचंड तक होती है।
क्षीण चक्रवातों में पवन की गति 32 किमी. प्रति घंटा होती है जबकि हरीकेन में पवन गति 120 किमी. प्रति घंटा से भी अधिक देखी जाती है।
- उष्ण कटिबंधीय चक्रवात सदैव गतिशील नहीं होते। कभी-कभी एक ही स्थान पर ये कई दिनों तक वर्षा करते रहते हैं। इनका भ्रमणपथ भिन्न-भिन्न होता है।
- साधारणतः ये व्यापारिक हवाओं के साथ पूर्व से पश्चिम दिशा में अग्रसर होते हैं। भूमध्यरेखा से अक्षांशों तक इनकी दिशा पश्चिमी, 15° से 30° तक ध्रुवों की ओर तथा इसके आगे पुनः पश्चिमी हो जाती है।
- ये चक्रवात जब उपोष्ण कटिबंध में पहुंचते हैं,तो समाप्त होने लगते हैं।
- सागरों के ऊपर इन चक्रवातों की गति तीव्र होती है, परंतु स्थल तक पहुँचने के क्रम में ये क्षीण होने लगते हैं। यही कारण है कि ये केवल तटीय भागों को ही प्रभावित कर पाते हैं।
- तीव्रता के आधार पर इन चक्रवातों को कई उप-प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है।
- क्षीण चक्रवातों के अंतर्गत हिंद महासागर एवं उसकी शाखाओं के उष्णकटिबंधीय विक्षोभ एवं अवदाब शामिल किए जाते हैं, जिनकी गति 40-50 किमी. प्रति घंटा होती है।
- इन्हें भारत में चक्रवातों या अवदाब कहा जाता है। आस्ट्रेलिया में इनका नाम 'विलीबिली' है। इनसे प्रभावित क्षेत्रों में भारी वर्षा होती है एवं बाढ़ आ जाती है।
- प्रचंड चक्रवात कई समदाब रेखाओं वाले विस्तृत चक्रवात होते हैं, जिनकी गति 120 किमी. प्रति घंटा से भी अधिक होती है, परन्तु कम संख्या में आने के कारण इनका जलवायविक महत्व नगण्य होता है।
- वायु प्रणाली, आकार तथा वर्षा के संबध में ये लगभग शीतोष्ण चक्रवात की भांति दिखाई पड़ते हैं परन्तु इनके बीच कुछ मौलिक अंतर हैं।
- सामान्यतः इनकी समदाब रेखा अधिक सुडौल होती है। इन चक्रवातों के केन्द्र में वायुदाब बहुत कम होता है। दाब प्रवणता अधिक (10-55mb) होने के कारण ये प्रचंड गति से आगे बढ़ते हैं।
- इनमें वाताग्र नहीं होते. अतः वर्षा का असमान वितरण भी नहीं होता। चक्रवात के चक्षु को छोड़कर वर्षां हर जगह व मूसलाधार होती है। सं.रा. अमेरिका में इन्हें हरीकेन, चीन ,फिलीपींस ,ताइवान में टाइफून एवं जापान में टाइफू कहा जाता है। भारत में चक्रवात की गति
- बंगाल की खाड़ी में आने वाले सुपर साइक्लोन (Super Cyclone) की गति 225 किमी प्रति घंटा है तथा इनमें केन्द्र व परिधि के बीच वायुदाब का अंतर 40-55mh रहता है।
- टोरनैडो मुख्यरूप से संयुक्त राज्य अमेरिका एवं गौण रूप से आस्ट्रेलिया में उत्पन्न होते हैं। ये आकार की दृष्टि से लघुतम व प्रभाव की दृष्टि से सबसे प्रलयकारी उष्णकटिबंधीय चक्रवात हैं।
- इनकी आकृति कीपाकार होती है। ऊपर का चौड़ा भाग कपासी वर्षा मेघ (Cummulo nimbus) से जुड़ा होता है। केन्द्र में वायुदाब न्यूनतम होता है। केन्द्र व परिधि के वायुदाब में इतना अधिक अंतर होता है कि हवाएँ 800 किमी प्रति घंटे तक की रफ्तार से प्रवाहित होती है।
- जब टॉरनेडो के कीपाकार बादलों का निचला भाग धरातल से छूकर चलता है तो मिनटों में महान विनाश हो जाता है।
प्रतिचक्रवात
- यह भी हवाओं का चक्रीय प्रवाह है, परन्तु चक्रवात के विपरीत इसके केन्द्र में उच्च वायुदाब रहता है।
- इसमें परिधि से बाहर की ओर क्रमशः घटते वायुदाब की संकेन्द्रीय समदाब रेखाएँ होती हैं,परिणामस्वरूप वायु का प्रवाह केन्द्र से परिधि की ओर होता है। अतः प्रतिचक्रवात किसी क्षेत्र में उच्चदाब क्षेत्र का निर्माण करता है तथा साफ मौसमी दशाओं को संकेतित करता है। चूंकि प्रतिचक्रवात में हवाएँ ऊपर से नीचे की ओर अवतलित होती है,इसीलिए इसके केन्द्रीय भाग में मौसम साफ रहता है एवं वर्षा की संभावना नहीं रहती।
- प्रतिचक्रवातों में केन्द्र और परिधि के बीच दाब प्रवणता 10 से 20 मिलीबार से अधिक नहीं होता। इसीलिए प्रतिचक्रवातों में पवन गति प्रायः 30 से 50 किमी. प्रति घंटे होती है प्रतिचक्रवातों के मार्ग एवं दिशा में निश्चितता का अभाव होता है। सामान्य रूप से प्रतिचक्रवातों में पवन दिशा उत्तरी गोलार्द्ध में दाहिनी ओर (Clock-wise) एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में बयीं ओर (Anti-Clockwise) होती है।
- प्रतिचक्रवात का आकार काफी बड़ा होता है। कभी-कभी इसका व्यास 9,000 किमी. तक होता है।
- शीतल प्रतिचक्रवात प्रभावित क्षेत्र में तापमान की न्यूनता का कारण बनते हैं, जबकि गर्म प्रतिचक्रवात तापमान में वृद्धि करते है।
चक्रवातों का वर्गीकरण
- विश्व मौसम संगठन (World Meteorological Organization- WMO) ने चक्रवातीय प्रवाह को वायु वेग के आधार पर वर्गीकृत करते हुए 17 मीटर प्रति सेकंड वेग के चक्रवात को अयनवर्ती चक्रवात, 17 मीटर से 32 मीटर प्रति सेकंड वेग के चक्रवात को उष्णकटिबंधीय तूफान एवं 32 मीटर प्रति सेकेंड से अधिक वेग के चक्रवातीय प्रवाह को उष्णकटिबंधीय चक्रवात के रूप में वर्गीकृत किया है।
प्रारम्भिक परीक्षा प्रश्न : निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
- 17 मीटर से 32 मीटर प्रति सेकंड वेग के चक्रवात को उष्णकटिबंधीय तूफान कहा जाता है।
- उष्णकटिबंधीय तूफान 30°- 45° के उत्तर-दक्षिण अक्षांशो के मध्य आते हैं।
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
कूट-
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न 1 और ना ही 2
उत्तर - (a)
मुख्य परीक्षा प्रश्न: चक्रवात किसे कहते हैं? उष्णकटिबंधीय एवं शीतोष्णकटिबंधीय चक्रवात में क्या अंतर होता है व्याख्या कीजिए।
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