प्रारंभिक परीक्षा: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र:2 सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय) |
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में उच्च शिक्षा नियामक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में अपने कैंपस स्थापित करने की अनुमति देने के लिए मसौदा नियम जारी किए।
प्रमुख बिन्दु
- ऐसे विश्वविद्यालय जो QS जैसी वैश्विक रैंकिंग में समग्र या विषय-वार श्रेणी में शीर्ष 500 में रखे गए हैं, भारत में प्रवेश करने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
- ऐसी रैंकिंग में भाग नहीं लेने वाले विश्वविद्यालयों को आवेदन करने में सक्षम होने के लिए अपने देशों में "प्रतिष्ठित" होना चाहिए।
- शुरुआत में विश्वविद्यालयों को केवल 10 साल तक काम करने की मंजूरी दी जाएगी, जिसे बाद में प्रदर्शन के आधार पर बढ़ाया जा सकता है।
- विदेशी विश्वविद्यालय अपनी प्रवेश प्रक्रिया, शुल्क संरचना तय कर सकते हैं, और अपने मूल परिसरों में धन प्रेषित करने में भी सक्षम होंगे।
- विनियम विदेशी संस्थानों को या तो विदेश या भारत से फैकल्टी और अन्य स्टाफ सदस्यों को नियुक्त करने के लिए पूर्ण स्वायत्तता प्रदान करते हैं।
- विश्वविद्यालय ऐसे किसी भी "अध्ययन-कार्यक्रम" की पेशकश नहीं करेंगे जो भारत के राष्ट्रीय हित या भारत में उच्च शिक्षा के मानकों को खतरे में डालता हो।
- "धन की सीमा-पार आवाजाही और विदेशी मुद्रा खातों का रखरखाव, भुगतान का तरीका, प्रेषण, प्रत्यावर्तन, और आय की बिक्री, यदि कोई हो, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) 1999 और इसके नियमों के अनुसार होगी।
- विश्वविद्यालयों को अनिवार्य रूप से ऑफ़लाइन मोड में ही शिक्षा प्रदान करनी होगी, ऑनलाइन कक्षाओं की अनुमति नहीं होगी।
आवेदन प्रक्रिया
- आवेदन प्रक्रिया वेब आधारित होगी।
- यूजीसी, कैंपस स्थापित करने के प्रस्ताव प्राप्त करने के लिए एक अलग पोर्टल बनाएगा।
- आयोग द्वारा गठित एक समिति आवेदनों का मूल्यांकन करेगी और आवेदन प्राप्त होने के 45 दिनों के भीतर सिफारिशें करेगी।
- चयनित आवेदकों को कैंपस स्थापित करने के लिए लगभग दो साल का समय दिया जाएगा।
- संस्थानों को यह सुनिश्चित करना होगा कि भारतीय परिसरों में शिक्षा की गुणवत्ता मूल परिसरों के बराबर हो।
पूर्व में किए गए प्रयास
सरकार द्वारा इससे पूर्व भी शिक्षा के वैश्वीकरण के निम्नलिखित प्रयास किए जा चुके हैं-
- भारत ने 1995 में विदेशी विश्वविद्यालयों में आकर्षित करने के लिए अपना पहला कानून पेश किया, लेकिन विधेयक निरस्त कर दिया गया।
- वर्ष 2005-2006 में इससे संबंधित एक और मसौदा कानून केवल कैबिनेट चरण तक ही जा सका।
- तत्पश्चात, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने शिक्षा के वैश्वीकरण के विचार को पुनः गति प्रदान की है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 में संबंधित प्रावधान
- विश्व के शीर्ष विश्वविद्यालयों को भारत में संचालित करने की सुविधा दी जाएगी।
- इस तरह के प्रवेश की सुविधा के लिए एक विधायी ढांचा तैयार किया जाएगा।
- भारत के अन्य स्वायत्त संस्थानों के बराबर विदेशी विश्वविद्यालयों को नियामक, प्रशासन और के संबंध में विशेष छूट दी जाएगी।
लाभ
- इससे उच्च शिक्षा हेतु विदेश जाने वाले छात्रों की संख्या में कमी आएगी।
- यूनेस्को इंस्टीट्यूट फॉर स्टैटिस्टिक्स के अनुसार, भारत विदेशों में पढ़ने वाले 4.5 लाख से अधिक छात्रों के साथ दूसरा सबसे बड़ा "छात्रों का निर्यातक" है।
- प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, व्यवसाय अध्ययन, कला और मानविकी जैसे विविध क्षेत्रों में विदेशी डिग्री हासिल करने की इच्छा रखने वाले भारतीय छात्रों को गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा प्राप्त होगी।
आगे की राह
- वर्तमान में, भारत के 18-23 वर्ष के एक चौथाई से कुछ अधिक ही छात्र किसी विश्वविद्यालय या कॉलेज में नामांकित हैं, वैश्विक विश्वविद्यालयों के यहाँ आने से नामांकन में वृद्धि होगी।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC)
- UGC उच्च शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय द्वारा स्थापित एक सांविधिक निकाय है।
- यह भारत में उच्च शिक्षा के मानकों के समन्वय, दृढ़ संकल्प और रखरखाव के लिए जिम्मेदार है।
- UGC (पूर्व में विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग) की स्थापना 1948 में डॉ. एस राधाकृष्णन की अध्यक्षता में की गई थी।
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