चर्चा में क्यों
हाल ही में जारी ‘यूएन-हैबिटेट वर्ल्ड सिटीज रिपोर्ट 2022’ के अनुसार वर्ष 2035 में भारत की शहरी आबादी 675 मिलियन होने का अनुमान है जो कि 2035 में चीन की शहरी आबादी 1.05 अरब के बाद दूसरी सबसे बड़ी आबादी होगी।
रिपोर्ट के महत्वपूर्ण बिंदु
- 2035 तक भारत में शहरी क्षेत्र में रहने वाली जनसंख्या का प्रतिशत 43.2% होगा।
- वैश्विक शहरी आबादी 2050 तक 2.2 अरब और लोगों की वृद्धि की राह पर है।
- पिछले दो दशकों में चीन और भारत ने तेजी से आर्थिक विकास और शहरीकरण का अनुभव किया, जिसके कारण गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या में भारी कमी आई है।
- शहरी क्षेत्रों में वायरस की अधिक घटनाओं और महामारी से उत्पन्न आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद, शहर एक बार फिर लोगों के लिए रोजगार, शिक्षा और प्रशिक्षण की तलाश में या संघर्ष से शरण लेने के अवसर के रूप में काम कर रहे हैं।
- जलवायु परिवर्तन और चरम मौसमी घटनाओं के जोखिमों और प्रभावों के कारण शहर अस्तित्व के खतरों का सामना करते हैं। जैसे दिल्ली में बढ़ी हुई गर्मी और जकार्ता और डरबन में व्यापक बाढ़।
- दुनिया भर में कई सरकारों ने लॉकडाउन और गतिशीलता प्रतिबंध लगाए, जिसके परिणामस्वरूप हवा और पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ।
- भारत जैसे कुछ देशों में, COVID-19 के बाद से कार निर्भरता बढ़ी है तथा सार्वजनिक परिवहन में रुचि रखने वाले लोग निजी कारों की ओर स्थानांतरित हो गए।
- सुरक्षित, सस्ती और विश्वसनीय सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों के अभाव में, शहरी गतिशीलता के भविष्य में निजी मोटर चालित वाहनों का वर्चस्व बना रह सकता है।