मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCCD) की पार्टियों के सम्मेलन का 16वां सत्र (COP16) रियाद, सऊदी अरब में आयोजित हो रहा है
इसका आयोजन 2 से 13 दिसंबर तक होगा
इसका विषय है - हमारी भूमि, हमारा भविष्य।
इस सम्मलेन में भारत का प्रतिनिधित्व केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी कर रहे हैं।
मरुस्थलीकरण
मरुस्थलीकरण एक ऐसी भौगोलिक प्रक्रिया है, जिसमें प्राकृतिक या मानव निर्मित कारकों के कारण उपजाऊ क्षेत्रों में भी मरुस्थल जैसी विशिष्टताएँ विकसित होने लगती हैं।
इसमें जलवायु परिवर्तन तथा मानवीय गतिवधियों समेत अन्य कई कारणों से शुष्क, अर्द्ध-शुष्क, निर्जल क्षेत्रों की जैविक उत्पादकता कम हो जाती है और भूमि रेगिस्तान में बदल जाती है।
इससे भूमि की उत्पादन क्षमता में ह्रास, प्राकृतिक वनस्पतियों का क्षरण और कृषि उत्पादकता में कमी आती है, हालाँकि इसका तात्पर्य मौजूदा रेगिस्तानों का विस्तार नहीं है।
मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCCD)
इसे वर्ष 1994 में स्थापित किया गया था
यह पर्यावरण और विकास को स्थायी भूमि प्रबंधन से जोड़ने वाला एकमात्र कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय समझौता है।
वर्ष 1994 में भारत इसका हस्ताक्षरकर्ता बन गया और वर्ष 1996 में इसकी पुष्टि की।
इसका उद्देश्य भूमि की रक्षा और पुनर्स्थापना करना तथा मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटना है।
सचिवालय – बॉन(जर्मनी)
वर्तमान में इसके 197 सदस्य हैं, जिनमें 196 देश और यूरोपीय संघ शामिल है।
लक्ष्य
भूमि क्षरण के प्रभाव को कम करना
भूमि की सुरक्षा और पुनर्बहाली
एक सुरक्षित, न्यायसंगत और अधिक टिकाऊ भविष्य सुनिश्चित करना
सभी लोगों को भोजन, पानी, आश्रय और आर्थिक अवसर प्रदान करना
प्रश्न - भारत ने मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCCD) की पुष्टि कब की ?