संदर्भ
हाल ही में, उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता (UCC) का मसौदा तैयार करने के लिये एक समिति का गठन किया है।
क्या है समान नागरिक संहिता
- समान नागरिक संहिता पूरे देश के लिये एक समान कानून प्रदान करती है जो सभी धार्मिक समुदायों पर उनके व्यक्तिगत मामलों, जैसे- विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने आदि पर लागू होती है।
- राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों के तहत अनुच्छेद-44 में प्रावधान है कि राज्य पूरे भारत में नागरिकों के लिये एक समान नागरिक संहिता लागू करने का प्रयास करेगा। चूंकि निदेशक सिद्धांत केवल दिशानिर्देश हैं इसलिये इन्हें लागू करना अनिवार्य नहीं है।
समान नागरिक संहिता का महत्व
- विवाह, तलाक, उत्तराधिकार संबंधी नियमों में समानता।
- धर्मनिरपेक्ष स्वरुप को मजबूती तथा यह धार्मिक आधार पर लैंगिक भेदभाव को समाप्त करने में मदद।
- सांस्कृतिक-धार्मिक परंपराओं के कारण वंचित महिलाओं को सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार।
- समुदायों में परस्पर सद्भाव व धार्मिक सद्भाव के कारण कट्टरता में कमी।
- भारत के विशाल जनसंख्या आधार का प्रशासन सुविधाजनक।
- एकीकृत पर्सनल लॉ से समुदायों में व्याप्त बुराइयों, सामाजिक कुरीतियों, अन्यायपूर्ण और तर्कहीन परंपराओं के उन्मूलन में मदद।
समान नागरिक संहिता के विरोध का आधार
- संविधान के अनुच्छेद-25 के तहत प्राप्त धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन।
- भारत की विविधता, रीति-रिवाज और क्षेत्रीय परंपराओं को खतरा और आदिवासियों की पहचान का संकट।
- सांप्रदायिक राजनीति का सहारा लेकर इसे एक अत्याचार के रूप में पेश किया जा सकता है जिससे देश में सामाजिक तनाव और अशांति।
- भारतीय समाज की बहुसंस्कृतिवाद पहचान में कमी।
- अल्पसंख्यकों और बहुसंख्यकों (हिंदू) को प्रभावित करने के कारण बहुमत पर प्रभाव।
- धार्मिक पहचान का कमजोर होना।
आगे की राह
- वर्तमान परिदृश्य में यह राष्ट्र की एकता और अखंडता के प्रतिकूल हो सकता है इसलिये रीति-रिवाजों और परंपराओं के केवल उन्हीं तत्वों को एकीकृत कानून में लाया जाना चाहिये जो व्यक्तियों के साथ अन्याय के कारण बनते हैं।
- पर्सनल लॉ में कुछ अच्छे और न्यायसंगत प्रावधान हैं जिन्हें एकीकृत कानून में शामिल किया जा सकता हैं। साथ ही, इससे जुड़ी स्वदेशी संस्कृति को संरक्षित करने के लिये तर्कसंगत रीति-रिवाजों और परंपराओं की रक्षा की जानी चाहिये। यह देश में विविधता में एकता की रक्षा करने में मदद करेगा।
- भारत जैसे विशाल लोकतंत्र और विधि के शासन वाले देश में व्यवस्था में परिवर्तन क्रमिक एवं प्रगतिशील रूप से लाया जाना चाहिये तथा आदर्श रूप में यू.सी.सी. के लक्ष्य को चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जा सकता है।