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महिलाओं पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन

हाल ही में, चार देशों ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी और नीदरलैंड ने ‘महिलाओं पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन’ का उल्लंघन करने के लिए तालिबान (अफ़ग़ानिस्तान) के विरुद्ध हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में कानूनी कार्यवाही शुरू करने की पहल की है।

महिलाओं पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन 

  • परिचय: ‘महिलाओं के विरुद्ध सभी प्रकार के भेदभाव के उन्मूलन पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन’ (UN-CEDAW) 18 दिसंबर, 1979 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाई गई एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है।
  • इसे महिलाओं के अधिकारों के एक अंतरराष्ट्रीय विधेयक (International Bill of Rights for Women) के रूप में भी वर्णित किया जाता है।
    • इसमें एक प्रस्तावना, 7 भाग एवं 30 अनुच्छेद शामिल हैं। 
  • लागू होने की तिथि : 3 सितंबर 1981 को एक अंतरराष्ट्रीय संधि के रूप में लागू।
  • कार्यान्वयन: कन्वेंशन के कार्यान्वयन की निगरानी ‘महिलाओं के विरुद्ध भेदभाव के उन्मूलन पर समिति’ द्वारा की जाती है।
    • इस सम्मेलन का उल्लंघन करने पर किसी भी पक्षकार देश के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में कार्यवाही की जा सकती है। 
  • सम्मेलन के अनुसार महिलाओं के विरुद्ध भेदभाव की परिभाषा : “लिंग के आधार पर किया गया कोई भी भेद, बहिष्कार या प्रतिबंध जिसका उद्देश्य महिलाओं द्वारा उनकी वैवाहिक स्थिति पर ध्यान दिए बिना, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, नागरिक या किसी अन्य क्षेत्र में पुरुषों और महिलाओं की समानता, मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता के आधार पर प्राप्त पहचान (recognition), आनंद (enjoyment) या प्रयोग (exercise) को बाधित या निरस्त करना है।”
  • सदस्य देश :  संयुक्त राष्ट्र के 189 देशों द्वारा हस्ताक्षरित एवं अनुसमर्थित।
    •  भारत एवं अफगानिस्तान दोनों देशों द्वारा हस्ताक्षरित एवं अनुसमर्थित।
    • ईरान, पलाऊ, सोमालिया, टोंगा, सूडान, वेटिकन सिटी और संयुक्त राज्य अमेरिका इस कन्वेंशन के सदस्य नहीं हैं
  • प्रमुख कार्य :
    • यह सम्मेलन महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता को साकार करने के लिए आधार प्रदान करता है, जिसमें महिलाओं को राजनीतिक और सार्वजनिक जीवन में समान पहुँच और समान अवसर सुनिश्चित करना शामिल है। 
    • इसमें वोट देने और चुनाव लड़ने के अधिकार के साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार का अधिकार भी शामिल है।
    • यह सम्मेलन एकमात्र मानवाधिकार संधि है जो महिलाओं के प्रजनन अधिकारों की पुष्टि करती है और लिंग भूमिकाओं और पारिवारिक संबंधों को आकार देने वाली प्रभावशाली शक्तियों के रूप में संस्कृति और परंपरा को लक्षित करती है।
    • यह महिलाओं के स्वयं और अपने बच्चों की राष्ट्रीयता प्राप्त करने, बदलने या बनाए रखने के अधिकारों की पुष्टि भी करता है।
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