हाल ही में, आइवरी कोस्ट 53वें देश के रूप में संयुक्त राष्ट्र जल अभिसमय में शामिल हुआ। आइवरी कोस्ट इस अभिसमय में शामिल होने वाला 10वाँ अफ्रीकी देश है।
संयुक्त राष्ट्र जल अभिसमय
- संयुक्त राष्ट्र जल अभिसमय को वर्ष 1992 में अपनाया गया और 1996 में लागू किया गया। इस अभिसमय को सीमापारीय जलधारा एवं अंतर्राष्ट्रीय झील संरक्षण व उपयोग अभिसमय (Convention on the Protection and Use of Transboundary Watercourses and International Lakes) भी कहा जाता है।
- यह अभिसमय मूलत: संपूर्ण यूरोपीय क्षेत्र के लिए एक क्षेत्रीय ढांचे के रूप में था। हालाँकि, संशोधन के बाद मार्च 2016 से संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश इसमें शामिल हो सकते हैं।
- यह साझा जल संसाधनों के सतत प्रबंधन एवं सतत विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन को बढ़ावा देने वाला एक कानूनी रूप से बाध्यकारी अभिसमय है।
- जल अभिसमय के तहत इसके पक्षकारों को जल की कमी के सीमा पार प्रभाव को रोकने, नियंत्रित करने एवं कम करने के साथ-साथ सीमा पार जल का उचित और न्यायसंगत तरीके से उपयोग करने तथा स्थायी प्रबंधन को सुनिश्चित करने की आवश्यकता होती है।
- एक ही जलधारा की सीमा पर स्थित देशों को विशिष्ट समझौते करके एवं संयुक्त निकाय स्थापित करके सहयोग करना होता है।
- एक रूपरेखा समझौते के रूप में यह अभिसमय विशिष्ट बेसिन या जलभृतों के लिए द्विपक्षीय व बहुपक्षीय समझौतों का स्थान नहीं लेता है। इसके बजाए यह उनकी स्थापना, कार्यान्वयन एवं आगे के विकास को बढ़ावा देता है।
- जल सम्मेलन ‘सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा’ और इसके एस.डी.जी. उपलब्धि को बढ़ावा देने और संचालित करने के लिए एक प्रभावी उपकरण है।
- यह एस.डी.जी. लक्ष्य 6.5 के कार्यान्वयन का समर्थन करता है, जो सभी देशों से उचित रूप से सीमा पार सहयोग सहित एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन को लागू करने का अनुरोध करता है।
सीमापारीय जल (TBW) संसाधन अफ्रीका में विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। यहाँ की 63 अंतर्राष्ट्रीय सीमापारीय (ट्रांसबाउंड्री) नदी घाटियाँ इस क्षेत्र के लगभग 62% भूमि क्षेत्र को कवर करती हैं और कुल सतही जल में इनका योगदान 90% है।
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