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संयुक्त राष्ट्र विश्व जल विकास रिपोर्ट, 2025

(प्रारंभिक परीक्षा : समसामयिक घटनाक्रम, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ

यूनेस्को ने प्रथम ग्लेशियर दिवस (21 मार्च) पर ‘संयुक्त राष्ट्र विश्व जल विकास रिपोर्ट, 2025’ जारी की है। इसमें बढ़ते तापमान के कारण बदलते पर्वतीय क्षेत्रों और उन पर निर्भर रहने वाले समाजों के सतत विकास में अल्पाइन ग्लेशियरों सहित पर्वतीय जल के महत्व पर प्रकाश डाला गया है।

विश्व जल विकास रिपोर्ट, 2025 के बारे में 

  • शीर्षक : पर्वत एवं ग्लेशियर : जल मीनार (Mountains and Glaciers: Water Towers)
  • जारीकर्ता :  यूएन-वाटर की ओर से यूनेस्को विश्व जल मूल्यांकन कार्यक्रम (WWAP) द्वारा 


रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

दुनिया के जल संसाधनों की स्थिति

  • मीठे जल का सर्वाधिक उपयोग कृषि क्षेत्र (72%) में होता है। उसके बाद उद्योग (15%) एवं घरेलू उपयोग का स्थान है। 
  • वर्ष 2000-2021 की अवधि में वैश्विक स्तर पर मीठे जल के उपयोग में 14% की वृद्धि हुई है जो प्रत्येक वर्ष लगभग 0.7% की दर से बढ़ रहा है। यह वृद्धि अधिकांशत: शहरों, देशों एवं तीव्र आर्थिक विकास वाले क्षेत्रों में हुई है।
  • दुनिया के उन पच्चीस देशों को प्रत्येक वर्ष अत्यंत गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ता है जहाँ दुनिया के एक-चौथाई लोग निवास करते हैं। 
  • जलवायु परिवर्तन के कारण कई स्थानों पर जलापूर्ति अनिश्चित होती जा रही है। प्रदूषण, भूमि एवं प्रकृति को होने वाला नुकसान तथा प्राकृतिक आपदाएँ पानी की कमी को और भी बदतर बना सकती हैं।

सतत विकास लक्ष्य 6 की दिशा में प्रगति

  • सतत विकास लक्ष्य 6 (SDG 6) का उद्देश्य सभी को स्वच्छ जल एवं उचित स्वच्छता सुनिश्चित करना है। हालाँकि, इस संदर्भ में सभी एस.डी.जी. 6 लक्ष्यों पर प्रगति बहुत पीछे रही है।
    • उदाहरण के लिए, वर्ष 2022 में लगभग 2.2 बिलियन लोगों (दुनिया की आबादी का 27%) के पास पीने का सुरक्षित पानी नहीं था। उनमें से पाँच में से चार लोग ऐसे ग्रामीण इलाकों में रहते हैं जहाँ बुनियादी पेयजल सेवाएँ भी उपलब्ध नहीं हैं।

पर्वतीय क्षेत्र

  • पर्वत ताजे पानी के प्रमुख स्रोत हैं जिन्हें दुनिया की ‘जल मीनारें’ कहा जाता है। पर्वतीय क्षेत्र औषधीय वनस्पति, लकड़ी एवं अन्य वनोत्पाद, विशिष्ट पशुधन और विशेष कृषि उत्पाद जैसे मूल्यवान उत्पाद प्रदान करते हैं। 
  • ये क्षेत्र कृषि जैव विविधता में भी समृद्ध हैं, जिसका अर्थ है कि वे कृषि एवं औषधीय वनस्पतियों के लिए कई महत्वपूर्ण जीनों को संरक्षित करने में मदद करते हैं।
  • पहाड़ी क्षेत्रों की जाने वाली सीढ़ीदार कृषि से पानी के बहाव को कम करने, जल संरक्षण को बढ़ावा देने, मृदा के कटाव को रोकने, ढलानों को स्थिर करने, आवासों एवं जैव-विविधता में सुधार करने तथा सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने जैसे अनेक लाभ होते हैं। 

ग्लेशियर एवं पहाड़ों में जमी बर्फ

  • पहाड़ों में जमा पानी (जैसे- ग्लेशियर एवं बर्फ) जलवायु परिवर्तन के लिए पृथ्वी प्रणाली के सबसे संवेदनशील घटकों में से एक है। दुनिया के अधिकांश ग्लेशियर पहले की तुलना में तेज़ी से पिघल रहे हैं। 
    • हालाँकि, ग्लेशियर वाले क्षेत्रों में नदियों के प्रवाह से बर्फ़ ज़्यादा पिघलती है और यह प्राय: पिघलते ग्लेशियरों से निकलने वाले पानी से कहीं अधिक होती है।
  • ग्लेशियर पिघलने की दर का एकमात्र कारण तापमान में वृद्धि ही नहीं है। बारंबार एवं तीव्र जंगल की आग और धूलयुक्त तूफ़ान ग्लेशियर की सतह तथा बारहमासी बर्फ़ के ढेर पर ब्लैक कार्बन व अन्य कणों के जमाव को बढ़ावा दे रहे हैं। 
    • ये अशुद्धियाँ बर्फ़ एवं उसकी सतह को काला कर देती हैं जिससे सौर विकिरण का अवशोषण अधिक होता है। 

मानव बस्तियाँ और आपदा जोखिम 

  • पहाड़ी क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों में से दो-तिहाई कस्बों एवं शहरों में रहते हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में कस्बों व शहरों का तीव्र एवं बेतरतीब विकास संवेदनशील पहाड़ी पर्यावरण प्रणाली पर दबाव डाल रहा है जिससे पानी की उपलब्धता, गुणवत्ता एवं सुरक्षा प्रभावित हो रही है। 
  • विभिन्न प्राकृतिक आपदाएँ जलापूर्ति एवं स्वच्छता प्रणालियों को नुकसान पहुँचा रही हैं जिससे लोगों के लिए स्वच्छ जल और स्वच्छता सेवाओं तक पहुँच बाधित होती है। 

उद्योग एवं ऊर्जा

  • पहाड़ी क्षेत्रों में उद्योगों एवं ऊर्जा के लिए पानी की उपलब्धता के अलावा एक बड़ी चुनौती ऊँचाई है। ऐसी ऊँचाई पर अधिक निवेश एवं परिचालन लागत की आवश्यकता  होती है जिससे औद्योगिक गतिविधियाँ प्राय: उन तक ही सीमित हो जाती हैं जहाँ निवेश पर अधिक लाभ प्राप्त होता है।
  • पहाड़ी क्षेत्रों में उद्योग एवं ऊर्जा उत्पादन को अधिक टिकाऊ बनाने में चक्रीय अर्थव्यवस्था पानी के उपभोग को कम करने, उपयोग किए गए पानी का पुनर्चक्रण करने और जल संसाधनों के पुनः उपयोग को बढ़ावा देती है। 

पर्यावरण

  • पर्वतीय और उच्चभूमि पारितंत्र कटाव एवं भूस्खलन के जोखिम को कम करने, स्थानीय जलवायु को ठंडा रखने, कार्बन का भंडारण करने, भोजन व फाइबर उपलब्ध कराने, तथा स्थानीय पर्यावरण के अनुकूल फसलों व पशुधन के लिए आनुवंशिक संसाधनों का संरक्षण करने जैसी महत्वपूर्ण सेवाएँ प्रदान करते हैं।
  • पहाड़ एवं हिमावरण वाले क्षेत्रों में होने वाले परिवर्तनों के प्रभावों से निपटने के समाधान पारिस्थितिकी तंत्र के प्राकृतिक कार्यों के संरक्षण या उन्हें बहाल करने पर केंद्रित हैं। 
  • इससे स्थानीय या क्षेत्रीय स्तरों पर इन पारितंत्रों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं को बनाए रखने या सुधारने में मदद मिलती है।

पहाड़ी क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए उपाय 

  • आपातकालीन भंडारण एवं बाईपास बनाना तथा हिमनद झीलों से नियंत्रित निकास के लिए व्यवहार्यता अध्ययन 
  • नदी बेसिन प्रबंधन और बेसिन अनुकूलन के लिए योजना निर्माण 
  • ग्लेशियरों में होने वाले परिवर्तनों की निगरानी करना  
  • ग्लेशियर झील के फटने से आने वाली बाढ़ के जोखिम को कम करने के लिए प्रणालियां स्थापित करना तथा ग्लेशियर वाले क्षेत्रों में पूर्व चेतावनी प्रदान करना
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