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भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र का उन्नयन

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि)

संदर्भ 

भारत का लॉजिस्टिक्स क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ रहा है जो बढ़ते निवेश, डिजिटल परिवर्तन एवं मजबूत नीतिगत पहलों से प्रेरित है। इस क्षेत्र की अद्वितीय विकास क्षमता निजी इक्विटी निवेश में उछाल तथा वेयरहाउस की क्षमता दरों में उल्लेखनीय वृद्धि में परिलक्षित होती है। 

भारत का बढ़ता लॉजिस्टिक्स क्षेत्र

लॉजिस्टिक्स हब के विकास में गति  

  • वर्तमान में चेन्नई, मुंबई, पुणे एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र प्रमुख लॉजिस्टिक्स हब बने हुए हैं। 
  • लॉजिस्टिक्स पार्क डेवलपर्स इन प्रमुख बाजारों में वेयरहाउस एवं पूर्ति केंद्र विकसित करने के लिए भूमि अधिग्रहण के अवसरों की सक्रिय रूप से खोज कर रहे हैं। 
  • वर्तमान में कई मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क परियोजनाओं की योजना बनाई जा रही है और उन्हें सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत विकसित किया जा रहा है। 
    • इससे अंततः परिवहन लागत को कम करने में मदद मिलेगी।

डिजिटल ट्विन को अपनाना

तकनीकी प्रगति के साथ ही उद्योग द्वारा ‘डिजिटल ट्विन्स’ को अपनाने से लॉजिस्टिक्स उद्योग को गोदाम संचालन एवं इन्वेंट्री और आपूर्ति शृंखला प्रबंधन को अनुकूलित करने में मदद मिलेगी।

क्विक कॉमर्स का विकास

  • क्विक कॉमर्स (Q- Commerce) प्लेटफ़ॉर्म शहरी लॉजिस्टिक्स पारिस्थितिकी तंत्र में क्रांति ला रहे हैं जिसके अगले 2-3 वर्षों में तेजी से बढ़ने का अनुमान है।
  • इसने तीव्र डिलीवरी व इन्वेंट्री प्रबंधन में सुधार करने तथा परिवहन लागत में कमी लाने के लिए शहर में वितरण केंद्रों की माँग को काफी हद तक बढ़ा दिया है।
  • अत्यधिक प्रतिस्पर्धा से प्रेरित ‘क्यू-कॉमर्स’ वर्ष 2025 में स्वचालित वेयरहाउसिंग के साथ-साथ एआई-संचालित वैयक्तिकरण (Personalisation) और गैर-किराना श्रेणियों में तेजी से विस्तार की संभावना है। 
  • उपभोक्ता माँगों को पूरा करने के लिए इसका मुख्या फोकस तीव्र डिलीवरी नवाचारों पर होगा जो भारतीय वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के विकास पर अनुकूल प्रभाव डालेगा।

कोल्ड चेन अवसंरचना का तीव्र विकास

  • बढ़ती संगठित खुदरा शृंखलाओं, त्वरित सेवा रेस्तरां (Quick Service Restaurants) की तेज वृद्धि, समग्र रूप से वृद्धिशील खाद्य खपत, अंतिम-मील डिलीवरी, फॉर्म-टू-फ़ोर्क आपूर्ति श्रृंखला अवधारणा और फार्मास्यूटिकल उन्नति के साथ वर्ष 2025 में भारत की कोल्ड स्टोरेज लॉजिस्टिक्स आवश्यकता तेजी से बढ़ेगी। 
  • वर्तमान में भारत द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं को विकसित करने पर ध्यान दिया जा रहा है। इस वर्ष के अंत तक टियर 1, 2 एवं 3 शहरों में ऐसी कई सुविधाओं की तैनाती की जाएगी।

संचालन में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी

  • लॉजिस्टिक्स क्षेत्र अभूतपूर्व गति से प्रौद्योगिकी को एकीकृत कर रहा है। वर्ष 2025 में इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) का बढ़ता उपयोग शिपमेंट की वास्तविक समय ट्रैकिंग एवं खराब होने वाले शिपमेंट की निगरानी व नियंत्रण को सक्षम करके लॉजिस्टिक्स दक्षता में निरंतर वृद्धि कर रहा है। 
  • इन्वेंट्री प्रबंधन में रोबोटिक्स को अपनाना और वेयरहाउस प्रबंधन में ब्लॉकचेन का उपयोग चालू वर्ष एवं उसके बाद सुरक्षा, दक्षता व सटीकता के नए स्तर जोड़ेगा।

संधारणीयता पर केंद्रित पहल

  • भारतीय लॉजिस्टिक्स उद्योग पारंपरिक रूप से इतर वर्तमान में सभी मोर्चों पर बदलावों को अपना रहा है। इसके तहत कार्बन उत्सर्जन में कमी, पैकेजिंग समाधानों को अनुकूलित करने और अपव्यय को कम करने के लिए संधारणीय प्रथाओं को अपनाना शामिल हैं। 
  • आपूर्ति केंद्रों एवं गोदामों को बिजली देने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग, अंतिम मील डिलीवरी के लिए इलेक्ट्रिक वाहन बेड़े, लॉजिस्टिक्स संचालन में चक्रीय अर्थव्यवस्था की स्थापना और विशाल वेयरहाउसिंग सुविधाएँ कुछ महत्वपूर्ण संधारणीय पहल हैं।

विशेष कौशल प्रशिक्षण 

  • विगत कुछ वर्षों में आपूर्ति शृंखला एवं इन्वेंट्री प्रबंधन तथा प्रौद्योगिकी के उपयोग के प्रति अनुकूलनशीलता पर प्रासंगिक कार्यबल को प्रशिक्षित करने पर अधिक ध्यान दिया गया है। 
  • कौशल विकास सरकार के लिए एक प्रमुख फोकस क्षेत्र बना हुआ है। यह हाल ही में केंद्रीय बजट में कौशल विकास के लिए पाँच राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की घोषणाओं से परिलक्षित होता है जो सामान्य सिद्धांत के बजाय उद्योग के लिए विशेष कौशल प्रदान करेंगे।

लॉजिस्टिक क्षेत्र का जी.डी.पी. में योगदान 

  • वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 13-14% का योगदान देता है। 
  • वर्ष 2024 की पहली छमाही में इस सेक्टर को सभी परिसंपत्ति वर्गों में निजी इक्विटी निवेश का 66% हिस्सा प्राप्त हुआ।
  • थर्ड-पार्टी लॉजिस्टिक्स (3P) प्लेयर्स, ई-कॉमर्स, रिटेल बिजनेस एवं मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों की माँग लॉजिस्टिक्स स्पेस की माँग में निरंतर वृद्धि कर रही हैं। 
  • वर्ष 2024 में औद्योगिक एवं लॉजिस्टिक्स स्पेस क्षमता में वर्ष-दर- वर्ष लगभग 25% की वृद्धि देखी गई।

भारत के लॉजिस्टिक क्षेत्र के समक्ष चुनौतियाँ 

  • अनुपयुक्त इंटरमॉडल परिवहन मिश्रण
  • इंटरमॉडल परिवहन मिश्रण से तात्पर्य कम-से-कम दो अलग-अलग परिवहन साधनों, जैसे- ट्रक, जहाज, रेलमार्ग एवं हवाई जहाज का उपयोग करके माल की आवाजाही से है, जिसमें पारगमन में माल को संभालने की आवश्यकता नहीं होती है।
  • आपूर्ति श्रृंखला की अक्षमताएँ
  • बढ़ती लागत 

लॉजिस्टिक क्षेत्र में सुधार के लिए सरकार के प्रयास 

  • पीएम गति शक्ति और राष्ट्रीय रसद नीति जैसी सरकारी पहल लॉजिस्टिक क्षेत्र के समक्ष विद्यमान चुनौतियों को दूर करने में मदद करेगी। 
  • केंद्रीय बजट 2025-26 मेंबुनियादी ढाँचा क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है जिसमें सार्वजनिक-निजी भागीदारी और परियोजना नियोजन में निजी क्षेत्र को अधिक समर्थन दिया गया है। 
  • बजट में एयर कार्गो हैंडलिंग के लिए बुनियादी ढाँचे एवं वेयरहाउस के उन्नयन की भी रूपरेखा तैयार की गई है।

निष्कर्ष 

मजबूत नीति समर्थन, बढ़ते निवेश एवं तकनीकी प्रगति के साथ भारत का लॉजिस्टिक्स उद्योग एक बड़े परिवर्तनकारी बदलाव का अनुभव कर रहा है। इससे तकनीक-सक्षम समाधान, स्थिरता एवं कार्यबल विकास में निवेश करने वाली कंपनियों को क्षेत्र में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिलेगी।

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