चर्चा में क्यों
दिल्ली सरकार ने 'अर्बन फार्मिंग' (Urban Farming) को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है।
प्रमुख बिंदु
- दिल्ली में अर्बन फार्मिंग तकनीकों के प्रयोग से संबंधित विचार-विमर्श अप्रैल में आयोजित होने वाली 'शहरी नियोजन गोलमेज सम्मेलन' के दौरान किया जाएगा। इस पहल के लिये ‘बागवानी विभाग’ (Horticulture Department) नोडल एजेंसी होगा।
- दिल्ली सरकार ने 'अर्बन फार्मिंग' को लेकर जागरूकता पैदा करने और इसके लिये लोगों को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से ‘दिल्ली पर्यावरण संरक्षण समिति’ के गठन का निर्णय लिया है। इसके लिये वार्ड के आधार पर प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
क्या है 'अर्बन फार्मिंग'
- अर्बन फार्मिंग (Urban Farming), अर्बन एग्रीकल्चर (Urban Agriculture) या अर्बन गार्डनिंग (Urban Gardening) से तात्पर्य शहर या उसके आसपास के क्षेत्रों में खाद्यान्नों को उपजाने, उनके प्रसंस्करण और वितरण की प्रक्रिया से है।
- इसमें मत्स्य पालन और वानिकी (Forestry) सहित विविध खाद्य उत्पादन प्रणालियों को शामिल किया जाता है। साथ ही, अर्बन फार्मिंग में पशुपालन, जलीय कृषि (Aquaculture) और बागवानी को भी शामिल कर सकते हैं।
- यह आर्थिक और सामाजिक विकास के विभिन्न स्तरों को प्रतिबिंबित करती है। एक प्रकार से यह जैविक और सतत् उत्पादन के लिये सामाजिक आंदोलन भी है।
अर्बन फार्मिंग के लाभ
- खाद्य सुरक्षा में वृद्धि, सार्वजनिक स्वास्थ्य को बढ़ावा एवं कार्बन उत्सर्जन को कम करने में सहायक।
- खेती के अभिनव तकनीकों का विकास एवं रोज़गार सृजन।