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शहरी आग की घटनाएँ और बचाव

(मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3 : आपदा और आपदा प्रबंधन)  

संदर्भ

हाल ही में कुवैत के मंगाफ शहर में एक बहुमंजिला इमारत में आग लगने से 49 लोगों की मृत्यु हुई जिसमें 45 प्रवासी भारतीयों श्रमिक थे। अधिकांश पीड़ित कुवैत की एक कंसट्रक्शन कंपनी एनबीटीसी के लिए काम करते थे। 

शहरी भवनों में आग की घटनाओं के पीछे मानवीय हस्तक्षेप/गलती एक प्रमुख कारण होती है, जिसमें लापरवाही, आग सुरक्षा उपायों की अनदेखी और अवैध रूप से औद्योगिक गतिविधियों/फक्ट्रियों का संचालन शामिल हो सकता है। कुवैत में जिस सात मंजिला इमारत में आग लगी उसके भू-तल पर करीब दो दर्जन गैस सिलेंडर रखे हुए थे। छत पर लगे दरवाजे बंद थे। प्लास्टिक, कार्डबोर्ड और ऐसे सामान तंग कमरों में जमा थे जो आसानी से आग पकड़ सकते हैं।

भारतीय शहरों में आग की घटनाएँ 

  • भारत में शहरों के औद्योगिक एवं रिहायशी इलाकों में आग लगने की घटनाएँ अक्सर सुनने को मिलती है जिससे लोगों की जान और माल को खतरा होता है। 
  • दिसंबर, 2023 को प्रकाशित, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट – “एक्सीडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड्स इन इंडिया 2022” के अनुसार, वर्ष 2022 में देश में आग लगने की 7566 घटनाओं में 7435 लोगों की जान गई।
    • इनमें आधे से ज्यादा मौतें आवासीय इमारतों और घरों में आग लगने की वजह से हुई हैं।
  • एन.सी.आर.बी. के अनुसार, वर्ष 2022 में आग लगने के हादसों से सबसे ज्यादा 1219 मौतों के मामले ओडिशा में दर्ज किए गए। 
    • इसके बाद मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में क्रमशः 839 और 778 मौतों के मामले दर्ज किए गए। 
    • गुजरात में आग से जान गंवाने वालों का आंकड़ा 328 रहा, जबकि दिल्ली में आग लगने की कुल 69 घटनाओं में 77 लोग मारे गए थे। 

आग की घटनाओं के हालिया उदाहरण

  • जागरूकता, उचित भवन निर्माण योजना और सही उपकरणों की कमी के कारण वाणिज्यिक और आवासीय भवन आग के खतरों और घटनाओं के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं। 
  • इस वर्ष अब तक राष्ट्रीय राजधानी में आग की घटनाओं में 55 लोगों की जान जा चुकी है और 300 से अधिक लोग घायल हुए हैं। 
    • दिल्ली फायर सर्विसेज (DFS) के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी में आग से 16, फरवरी में 16, मार्च में 12, अप्रैल में चार और 26 मई तक सात लोगों की मौत हो चुकी है।
  • दिल्ली के ही विवेक विहार स्थित बेबी केयर न्यू बोर्न अस्पताल में भीषण आग लगने से सात बच्चों की मौत हो गई। 
  • गाज़ियाबाद के एक आवासीय भवन में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगी से एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत हो गई और दो घायल हो गए।
  • अप्रैल 2023 में कानपुर के होजरी-रेडीमेड बाज़ार में लगी आग पर काबू पाने में 30 घंटे से अधिक समय लगा और इस दुर्घटना में 700 दुकानें जल गई और 10 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान लगाया गया।
  • स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी आग दुर्घटना 23 दिसंबर 1995 को हरियाणा के सिरसा जिले में हुई थी, जब एक विद्यालय के वार्षिकोत्सव के दौरान आग लगने से 500 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर बच्चे और उनके माता-पिता थे। 

आग की घटनाओं के कारण

  • सामान्यतः प्राकृतिक कारणों से आग लगने की घटनाएँ जंगलों में देखने को मिलती है, जिसमें बिजली का गिरना, पत्थरों के टकराने से फूटी चिंगारी से आग लगना, ज्वालामुखी विस्फोट आदि कारण हो सकते हैं। 
  • कई बार मानवीय भूल जंगलों की आग का एक बड़ा कारण बनता है, ऑस्ट्रेलिया बुश फायर के लिए इसे ही एक जिम्मेदार माना गया है।
  • मानव बस्तियों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों आदि में आग की घटनाओं के लिए आमतौर पर मानवीय कारण जिम्मेदार होते हैं। इसमें निम्नलिखित कारणों को शामिल किया जा सकता है :- 
    • उद्योंगों में हानिकारक रसायन और ज्वलनशील पदार्थों का गैर-जिम्मेदाराना उपयोग
    • रसोई में ईंधन उपयोग में लापरवाही
    • बिजली से जुड़ी लापरवाही और शॉर्ट सर्किट
    • धूम्रपान और खुले में आग जलाना
    • आग से जुड़े सुरक्षा उपायों को नजरअंदाज करना
  • वाणिज्यिक और आवासीय दोनों इमारतों, विशेष रूप से अग्नि सुरक्षा मानदंडों के बिना बनाई गई पुरानी इमारतों में बिना किसी चेतावनी के आग लगने का खतरा होता है।
  • कई वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों जैसे कि रेस्तरां, क्लब, कैफे और अन्य मनोरंजक स्थान सामान्य विद्युत आपूर्ति साझा करते हैं जिससे बड़े पैमाने पर आग लग जाती है जो एक छोटी सी चिंगारी के रूप में शुरू होकर भयंकर रूप ले लेती है।
  • विगत कुछ वर्षों में गर्मियों के मौसम बढ़ते अत्यधिक तापमान को भी आग की घटनाओं के जिम्मेदार माना जा रहा है। 
    • ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इन इलाकों के लगभग हर घर और दुकान में एयर कंडीशन (AC) का इस्तेमाल किया जाता है। इसका असर न केवल बिजली का लोड बढ़ने पर पड़ता है बल्कि वातावरण में गरमी बढ़ने पर इससे कई बार एसी के कम्प्रेशर फट भी जाते हैं, जिससे इमारतों में आग लग जाती है।

भारत में अग्नि सुरक्षा से संबंधित प्रमुख प्रावधान

  • संवैधानिक प्रावधान : अग्निशमन सेवा नगरीय निकायों का विषय है और अनुच्छेद 243W के तहत भारत के संविधान की बारहवीं अनुसूची में नगरपालिका के कार्य के रूप में शामिल है।
    • आग की रोकथाम और अग्निशमन सेवा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की जिम्मेदारियाँ हैं, जो कि नगरपालिकाओं के क्षेत्र में आती है।
  • राष्ट्रीय भवन संहिता (NBC) : राष्ट्रीय भवन संहिता, 2016 में संरचनाओं के निर्माण, रखरखाव और अग्नि सुरक्षा के लिए विस्तृत दिशानिर्देश शामिल हैं। एनबीसी के अंतर्गत प्रमुख दिशानिर्देश निम्नलिखित हैं-
    • विनाशकारी आग के खतरे को कम करने वाली डिज़ाइन और सामग्रियों के संदर्भ में दिशा- निर्देश। जैसे दीवारों, फर्श, छत, अग्नि निकास आदि में उपयोग की जाने वाली अग्नि प्रतिरोधी सामग्रियों के उपयोग का निदेश। 
    • एन.बी.सी., उपयोग की प्रकृति के आधार पर सभी मौजूदा और नई इमारतों को वर्गीकृत करती है। जैसे - आवासीय, शैक्षणिक, संस्थागत, असेंबली (जैसे - सिनेमा और ऑडिटोरियम), औद्योगिक, आदि।
      • यह विशिष्ट क्षेत्रों में उपयोग के प्रकार के आधार पर इमारतों के स्थान की सिफारिश करता है। यह सुनिश्चित करना है कि औद्योगिक और खतरनाक संरचनाएँ आवासीय, संस्थागत, कार्यालय और व्यावसायिक भवनों के साथ मौजूद न हों।
    • एन.बी.सी., आग लगने की स्थिति में सचेत करने और इसके शमन के लिए इमारतों में प्रौद्योगिकियों को शामिल करने का प्रावधान करता है। जैसे - आग का पता लगाने के लिए स्वचालित अलार्म प्रणाली, पानी के छिड़काव के लिए स्वचालित स्प्रे, फायरमैन लिफ्ट, अग्नि अवरोधक आदि।
  • राज्यों के कानून: 
    • राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आग की घटनाओं की रोकथाम के लिए दिल्ली अग्निशमन सेवा अधिनियम, 2007 और दिल्ली अग्निशमन सेवा नियम, 2010 का सहारा लिया जाता है। 
    • महाराष्ट्र में वर्ष 2008 से अग्नि रोकथाम और जीवन सुरक्षा उपाय अधिनियम लागू है। अधिनियम की धारा 3 एन.बी.सी. के प्रावधानों को अनिवार्य बनाती है।
    • केरल में, 15 मीटर से 24 मीटर ऊँचे अस्पतालों के लिए अग्निशमन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करने के लिए डिज़ाइन और बुनियादी ढांचे पर विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है।
  • अग्नि सुरक्षा ऑडिट :  किसी भी प्रतिष्ठान के अग्नि सुरक्षा मानकों का आकलन करने के लिए अग्नि सुरक्षा ऑडिट एक प्रभावी उपकरण है। इसमें शामिल हैं:- 
    • उन क्षेत्रों में ज्वलन स्रोतों की पहचान और नियंत्रण जहाँ ज्वलनशील रसायनों का भंडारण या स्थानांतरण किया जाता है।
    • भंडारण क्षेत्रों में रासायनिक अनुकूलता की समीक्षा करना और उचित अग्नि हानि नियंत्रण उपायों का सुझाव देना।
    • बिजली से संबंधित खतरों की समीक्षा जो आग लगने के संभावित कारण बनते हैं। 
    • मौजूदा खतरों के संबंध में कर्मचारियों की सुरक्षा जागरूकता और सुरक्षा प्रशिक्षण आवश्यकताओं (प्रशिक्षण पहचान और प्रभावकारिता) की समीक्षा।

अग्नि सुरक्षा से संबंधित चिंताएँ

  • नियमों के अनुपालन में लापरवाही  : कार्यस्थल सुरक्षा अग्नि सुरक्षा मानकों को लागू करने और भवन निर्माण नियमों के कार्यान्वयन में लापरवाही के कारण पूरे भारत में आग लगने की घटनाएँ आम हैं।
  • जागरूकता का अभाव : ऐसे कई कार्यालय/ऊँची इमारतें/मंदिर और धार्मिक स्थान हैं जहाँ अग्निशमन उपकरण लगे हैं लेकिन शायद ही किसी व्यक्ति को उनका उपयोग करने का ज्ञान हो।
  • रखरखाव की कमी : अग्निशमन उपकरणों का सही रखरखाव नहीं होने से कुछ समय बाद वे निष्क्रिय हो जाते हैं।
  • एकीकृत अग्निशमन सेवाओं का अभाव : सभी आवश्यक दिशानिर्देश और नियमों के अनुपालन के साथ एकीकृत अग्निशमन सेवाओं का अधिकांश राज्यों में अभाव है।
  • वित्त की कमी : पर्याप्त वित्त की उपलब्ध नहीं है, जो अग्निशमन के लिए तकनीकी प्रगति को अपनाने में बाधक है।
  • शहरीकरण की नीतिगत विसंगतियां : देश के उत्तर- पश्चिमी और केंद्रीय हिस्सों में बसे शहरों में नीतिगत विसंगतियों और अनियंत्रित शहरीकरण के चलते आग लगने की घटनाएं बढ़ी है।
  • रिकॉर्ड उच्च-तापमान : शहरों में तापमान हर वर्ष नए रिकार्ड-उच्च स्तर पर पहुच रहा है। बहुत तेज गरमी एयर कंडीशनर यानी एसी के सिस्टम पर प्रतिकूल असर डालती है। जैसे-जैसे शहर गरम हो रहे हैं, एसी से आग लगने के हादसों में तेजी आ रही है। गरमी में पारे के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के चलते शहरों में बिजली के आधारभूत ढांचे में भी आग लगने का खतरा बढ़ जाता है।

आगे की राह 

  • राज्यों में राष्ट्रीय भवन संहिता सहित अन्य आग्नि सुरक्षा के मानकों का निरीक्षण करने और उनका अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए जनशक्ति की कमी है। सरकार को इस दिशा में विशेष प्रयास करने की आवश्यकता है। 
  • एक विकल्प के रूप में सभी सार्वजनिक भवनों के लिए भारी अग्नि देयता बीमा अनिवार्य बनाना जा सकता है। इससे जान-माल की हानि की प्रतिपूर्ति सुनिश्चित होगी और अग्नि सुरक्षा मानकों के बाह्य ऑडिट को भी सुनिश्चित किया जा सकेगा।
  • सरकार को अग्निशमन विभागों के आधुनिकीकरण के लिए अधिक वित्तीय सहायता का प्रावधान करना चाहिए।
  • वातावरण में बढ़ते तापमान को नियंत्रित करने में जंगलों की भूमिका को देखते हुए शहरों को हरा-भरा रखने के लिए वनीकरण को प्राथमिकता के साथ लागू करने की आवश्यकता है। 
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