प्रारंभिक परीक्षा : प्रमुख सूचकांक
मुख्य परीक्षा प्रश्नपत्र -2 : (स्थानीय स्तर पर शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण और उसकी चुनौतियाँ)
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संदर्भ
हाल ही में मुंबई स्थित गैर-लाभकारी संगठन, प्रजा फाउंडेशन द्वारा ‘शहरी शासन सूचकांक’ जारी किया गया।
शहरी शासन सूचकांक के बारे में
- परिचय : यह सूचकांक केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय शहरी मामलों के संस्थान (NIUA) के सहयोग से प्रजा फाउंडेशन द्वारा तैयार किया गया।
- उद्देश्य : प्रभावी कार्यान्वयन के माध्यम से शहरी सरकारों को सशक्त बनाना और स्थानीय शासन के मामलों में नागरिकों की भागीदारी बढ़ाना।
- मूल्यांकन का आधार : सूचकांक चार बुनियादी स्तंभों एवं 42 संकेतकों के आधार पर राज्यों का मूल्यांकन करता है स्तंभों में शामिल हैं -
- सशक्त शहरी निर्वाचित प्रतिनिधि एवं विधायी संरचनाएँ
- सशक्त नगर प्रशासन
- सशक्त नागरिक
- राजकोषीय सशक्तीकरण
सूचकांक के प्रमुख निष्कर्ष
- सूचकांक 28 राज्यों, 2 केंद्र शासित प्रदेशों और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सहित 31 शहरों को रैंकिंग प्रदान करता है।
- शीर्ष प्रदर्शनकर्ता पाँच राज्य/UT :
- केरल
- ओडिशा
- महाराष्ट्र
- छत्तीसगढ़
- मध्य प्रदेश
- निम्न प्रदर्शनकर्ता पाँच राज्य/UT:
- नागालैंड
- मणिपुर
- मेघालय
- पंजाब
- चंडीगढ़
- रिपोर्ट के अनुसार कई राज्यों में कमजोर मेयर प्रणाली का मुद्दा निरंतर शहर के नेतृत्व की कार्यकारी भूमिका को बाधित कर रहा है।
- नगर निगमों के भीतर स्वीकृत पदों में उच्च रिक्ति दर एक महत्वपूर्ण चिंता का विषयहै। जिसमें पटना में नगर प्रशासन स्तर पर रिक्त पदों का प्रतिशत सबसे अधिक (89%) है।
- इसके अलावा नौ शहरों अहमदाबाद, गुरुग्राम, शिमला, भोपाल, इम्फाल, आइजोल, अमृतसर, ग्रेटर जयपुर और कोलकाता में 40% से अधिक पद रिक्त हैं।
- रिपोर्ट के अनुसार केवल 12 नगर पालिकाओं रायपुर, दिल्ली, अहमदाबाद, बेंगलुरु, भोपाल, तिरुवनंतपुरम, मुंबई, आइजोल, चेन्नई, लखनऊ, देहरादून और कोलकाता के पास राज्य नगरपालिका अधिनियम में उल्लिखित सूची के अनुसार नए कर लागू करने के स्वतंत्र अधिकार है।