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भारत में शहरी परिवहन: चुनौतियाँ और समाधान

(प्रारम्भिक परीक्षा, सामान्य अध्ययन 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।)

संदर्भ 

  • तेजी से बढ़ते शहरीकरण और त्वरित आर्थिक विकास के कारण शहरवासियों की निजी परिवहन साधनों पर निर्भरता बढ़ती जा रही है, जो शहरी परिवहन अवसंरचना की स्थिरता के बारे में चिंताएँ उत्पन्न करता है। 
  • ऐसी स्थिति में सार्वजनिक परिवहन और व्यवस्थित शहरी परिवहन प्रणाली की भूमिका महत्त्वपूर्ण हो जाती है। 
  • इसके अतिरिक्त ये संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों और वर्ष 2070 तक 'शुद्ध-शून्य' कार्बन उत्सर्जन के लिए भारत की प्रतिबद्धता को प्राप्त करने के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।

भारत में शहरी परिवहन की वर्तमान स्थिति

  • वर्ष 2010 से 2020 के दौरान भारत की शहरी आबादी में 26% की वृद्धि हुई और इसी अवधि में निजी मोटर वाहनों  के उपयोग में 138 % दर्ज की गई।
  • भारत की जनगणना (2011) के अनुसार, दस लाख से अधिक आबादी वाले महानगरीय क्षेत्रों की संख्या वर्ष 2001 में 35 से बढ़कर वर्ष 2011 में 53 हो गई। 
    • इस संदर्भ में एक अनुमान है कि वर्ष 2011 में 282 मिलियन की शहरी आबादी, वर्ष 2031 तक 590 मिलियन तक बढ़ जाएगी।
  • भारत को 105 मिलियन पंजीकृत वाहनों तक पहुंचने में 60 साल (1951-2008) का समय लगा था, जबकि अगले छह वर्षों (2009-2015) में वाहनों की संख्या में पिछले 60 सालों जितनी ही वृद्धि हो गई।

भारत में शहरी परिवहन की चुनौतियाँ

  • यातायात भीड़ : मुंबई और बेंगलुरु जैसे शहर लगातार दुनिया के सबसे भीड़भाड़ वाले शहरों में शुमार हैं। 
    • दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई के महानगरों में भीड़भाड़ के कारण प्रतिवर्ष लगभग 14.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर की आर्थिक क्षति होती है।
    • इसके अलावा, शहरों के भीतर पीक ऑवर में यात्रा की गति 26-17 किमी. प्रति घंटे से घटकर 8-6 किमी. प्रति घंटे हो जाती है।
  • वायु प्रदूषण : बढ़ते यातायात के कारण शहरों की वायु गुणवत्ता में भी गिरावट दर्ज की गई है। 
    • उदाहरण के लिए वर्ष 2022 में, दिल्ली, कोलकाता और मुंबई की वायु गुणवत्ता को क्रमश: खतरनाक, बहुत ख़राब और ख़राबके रूप में वर्गीकृत किया गया था।
    • दिल्ली पर्यावरण विभाग के अनुसार, दिल्ली में वायु गुणवत्ता में गिरावट का मुख्य कारण परिवहन प्रणाली है, जो शहर में कुल वायु प्रदूषण के लगभग 70 % के लिए जिम्मेदार है।
  • अपर्याप्त सार्वजनिक परिवहन : दिल्ली जैसे शहरों में, व्यापक मेट्रो प्रणाली के बावजूद, आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बसों पर निर्भर है, जो प्राय:  भीड़भाड़ वाली और अपर्याप्त वित्तपोषित होती हैं।
    • भारत में सरकारी उपक्रमों द्वारा संचालित मात्र 0.3 मिलियन बसें हैं। 
  • खराब बुनियादी ढाँचा एवं सुरक्षा मुद्दे : भारत के विभिन्न शहरों में, सड़कें और पुल जैसे बुनियादी ढाँचे यातायात की मात्रा को संभालने के लिए अपर्याप्त होते हैं। परिणामस्वरूप दुर्घटनाएँ और यात्रा में देरी होती है।
  • सीमित पहुँच : अधिकांश शहरों में, सार्वजनिक परिवहन प्रणाली दिव्यांग व्यक्तियों के लिए पूरी तरह से सुलभ नहीं है। 
    • रैंप और आरक्षित सीटिंग जैसी सुविधाएँ प्राय: अपर्याप्त या अनुपस्थित होती हैं।
  • निजी वाहनों पर निर्भरता : उबर और ओला जैसी परिवहन सेवाओं के आने से निजी वाहनों का उपयोग बढ़ा है, जिससे यातायात भीड़ में वृद्धि हुई है।
    • 14 जुलाई 2023 तक सड़क परिवहन मंत्रालय के ई-वाहन पोर्टल पर पंजीकृत 340 मिलियन से अधिक वाहन थे। इसमें से अधिकांश शहरी क्षेत्रों  से संबंधित थे।

सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास 

  • मेट्रो रेल परियोजनाएँ : जुलाई 2024 तक, भारत के 17 शहरों में 945 किमी. की परिचालन मेट्रो लाइनें हैं, जिसमें दिल्ली मेट्रो सबसे बड़ी है।
    • इसके अलावा, कई परियोजनाएं निर्माणाधीन या प्रस्तावित हैं। 
  • राष्ट्रीय शहरी परिवहन नीति (NUTP) : शहरी विकास मंत्रालय (MoUD) द्वारा वर्ष 2006 में जारी राष्ट्रीय शहरी परिवहन नीति (NUTP) का उद्देश्य शहरी परिवहन सेवाओं  एवं बुनियादी ढांचे में व्यापक सुधार लाना था।
    • यह नीति एकीकृत सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों पर बल देती है। यह  गैर-मोटर चालित परिवहन विकल्पों के विकास को प्रोत्साहित करने के साथ ही  सार्वजनिक परिवहन तक पहुँच में वृद्धि करती है।
  • स्मार्ट सिटी मिशन (जून 2015) : इसका उद्देश्य टिकाऊ  एवं समावेशी शहरों  के विकास को बढ़ावा देना है।
    •  इस पहल के माध्यम से चयनित शहरों में उत्तम यातायात प्रबंधन प्रणाली, पैदल यात्री मार्ग और बाइक-शेयरिंग कार्यक्रमों सहित आधुनिक परिवहन बुनियादी ढाँचे के लिए वित्त प्रदान किया जाता है।
  • FAME इंडिया योजना (भारत में हाइब्रिड एवं इलेक्ट्रिक वाहनों का तेजी से अपनाना तथा विनिर्माण): इस योजना को अप्रैल 2015 में शुरू किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर अग्रिम प्रोत्साहन देने के साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए आवश्यक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करके इलेक्ट्रिक  एवं हाइब्रिड वाहनों को तेजी से अपनाने को प्रोत्साहित करना है। 
    • यह योजना पर्यावरण प्रदूषण और ईंधन सुरक्षा के मुद्दे को हल करने में मदद करेगी।
  • राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन योजना (NEMMP) : इसका उद्देश्य देश में हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देकर राष्ट्रीय ईंधन सुरक्षा हासिल करना है।
    • भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक कुल वाहनों की बिक्री में 30 % इलेक्ट्रिक वाहनों  को शामिल करना है।
    •  यह योजना वर्ष 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के भारत के लक्ष्य में सहायक है। 
  • भारतमाला परियोजना : इसके पहले चरण को अक्टूबर 2017 में मंजूरी दी गई थी, जिसका उद्देश्य देश भर में माल एवं यात्री परिवहन की दक्षता में सुधार लाना है।
  • अमृत (अटल मिशन फॉर रिजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन) :  जून 2015 में देश भर के चुनिंदा 500 शहरों में इस मिशन की शुरुआत की गई।
    • मिशन का उद्देश्य चयनित शहरों और कस्बों में जलापूर्ति, सीवरेज व सेप्टेज प्रबंधन, वर्षा जल निकासी, हरित क्षेत्र एवं पार्क तथा गैर-मोटर चालित शहरी परिवहन के क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे के विकास पर ध्यान केंद्रित करना है।
  • साइकिल4चेंज, स्ट्रीट्स4पीपल और ट्रांसपोर्ट4ऑल परियोजनाएँ : वर्ष 2021 में आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर इन परियोजनाओं की शुरूआत की गई। 

शहरी परिवहन में सुधार के लिए सुझाव

  • सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों को बढ़ाना : बस रैपिड ट्रांजिट (BRT) प्रणालियों के विस्तार  एवं आधुनिकीकरण पर बल दिया जाना चाहिए। 
  • एकीकृत परिवहन समाधान : ऐसे मल्टी-मॉडल परिवहन केंद्र विकसित किए जाने चाहिए जो मेट्रो, बसों और परिवहन के अन्य साधनों को एकीकृत करें।
  • गैर-मोटर चालित परिवहन को बढ़ावा : साइकिल चालकों और पैदल चलने वालों के लिए प्रभावी समर्पित लेन व बुनियादी ढाँचा तैयार किया जाना चाहिए।
  • स्मार्ट ट्रैफ़िक प्रबंधन प्रणाली : ट्रैफ़िक प्रवाह को अनुकूलित करने के लिए ए.आई. आधारित ट्रैफ़िक प्रबंधन समाधान स्थापित किए जाने चाहिए। 
  • इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करना : इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर उचित सब्सिडी प्रदान की जानी चाहिए और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए व्यापक चार्जिंग बुनियादी ढाँचा विकसित किया जाना चाहिए।
  • राज्य-स्तरीय सतत शहरी परिवहन नीति (SUTP) का विकास : SUTP के माध्यम से सतत गतिशीलता के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को अपनाया जा सकता है, जो शहर-स्तरीय नीतियों एवं परियोजनाओं का मार्गदर्शन कर सकता है। 
  • जागरूकता अभियान : सार्वजनिक परिवहन और कारपूलिंग के लाभों को बढ़ावा देने के लिए जन जागरूकता अभियान को प्रभावी ढंग से चलाया जाना चाहिए। 
  • शहरी नियोजन और ज़ोनिंग : पारगमन-उन्मुख विकास (TOD) बनाने के लिए शहरी विकास के साथ परिवहन नियोजन को एकीकृत किया जाना चाहिए। 
  • सुरक्षा उपायों में सुधार : बेहतर बुनियादी ढाँचे, जागरूकता और प्रवर्तन के माध्यम से सड़क सुरक्षा को बढ़ाने कि आवश्यकता है। 
  • निजी क्षेत्र के साथ सहयोग : परिवहन परियोजनाओं के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। 
  • नियमित रखरखाव एवं उन्नयन : मौजूदा बुनियादी ढाँचे का नियमित रखरखाव और उन्नयन सुनिश्चित की जानी चाहिए। 
    • सड़कों एवं सार्वजनिक परिवहन सुविधाओं के लिए एक नियोजित रखरखाव कार्यक्रम सुरक्षा और दक्षता बनाए रखने में मदद कर सकता है।
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