(प्रारंभिक परीक्षा : अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाओं से संबंधित प्रश्न)
(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - भारत के हितों को प्रभावित करने वाले कारक से संबंधित प्रश्न)
संदर्भ
अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा अपने चीनी समकक्ष से बातचीत के दौरान कहा गया कि “दोनों देशों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि प्रतिस्पर्धा, संघर्ष में न बदलने पाए”, क्योंकि दोनों देश बढ़ते हुए मतभेदों का सामना कर रहे हैं।
पृष्ठभूमि
- विगत कुछ महीनों में दोनों देशों के मध्य कई मुद्दों पर टकराव को देखा गया है।
- अलास्का में इस वर्ष मार्च में दोनों देशों के अधिकारियों ने औपचारिक बैठक के दौरान विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
- गौरतलब है कि ये बैठक बीजिंग और नवनिर्मित अमेरिकी सरकार के मध्य प्रथम बैठक थी, जिसमें चीन के द्वारा कटु शब्दों का प्रयोग किया गया था तथा दोनों देशों ने एक दूसरे के ऊपर विभिन्न आरोप प्रत्यारोप लगाए।
- दोनों देशों के मध्य मतभेद हॉन्गकॉन्ग और शिनजियांग में मानवाधिकारों के हनन और ताइवान के प्रश्न से लेकर कोविड-19 की उत्पत्ति की जाँच तथा वर्तमान में अफगानिस्तान संकट को लेकर हैं।
- पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति के अनुसार अमेरिका-चीन विद्वेषपूर्ण संबंधों ने मोटे तौर पर नए प्रशासन को आगे बढ़ाया है। इसमें ज़रूरत पड़ने पर वह चीन से प्रतिस्पर्धा करने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन जैसे कुछ मुद्दों पर सहयोग भी करेगा।
- इसके विपरीत, चीन का कहना है कि संबंधों में व्यापक टकराव बने रहने पर, दोनों देशों के मध्य किसी मुद्दे पर सहयोग नहीं हो सकता है।
वार्ता के प्रमुख बिंदु
- अमेरिकी प्रशासन ने बताया कि दोनों पक्षों के मध्य ‘एक व्यापक, रणनीतिक’ चर्चा की गई।
- वार्ता में मुख्यतः उन मुद्दों पर चर्चा की गई, जहाँ दोनों देशों के हितों का अभिसरण होता है और साथ ही ऐसे क्षेत्र जहाँ दोनों देशों के हित, मूल्य तथा दृष्टिकोणों में भिन्नता पाई जाती है।
- अमेरिकी राष्ट्रपति ने स्पष्ट किया कि ये वार्ता ‘अमेरिका-चीन प्रतिस्पर्धा’ को प्रबंधित करने के लिये, अमेरिका द्वारा किये जा रहे प्रयासों का हिस्सा है।
- साथ ही, वार्ता के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा ‘भारत-प्रशांत क्षेत्र’ तथा ‘विश्व’ में शांति, स्थिरता और समृद्धि को स्थापित करने के लिये अमेरिका की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया।
- चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा कहा गया कि अमेरिकी नीति के कारण, चीन-अमेरिकी संबंध कुछ समय से गंभीर कठिनाईयों का सामना कर रहे हैं।
- चीनी राष्ट्राध्यक्ष का कहना है कि जब चीन-अमेरिका एक दूसरे का सहयोग करते हैं तो दोनों देशों के साथ-साथ विश्व को भी लाभ प्राप्त होता है और इसके विपरीत यदि दोनों के मध्य टकराव होगा तो सभी को नुकसान होगा।
- उनके द्वारा आगे कहा गया कि एक दूसरे की मूल चिंताओं का सम्मान करने और मतभेदों को ठीक से प्रबंधित करने के आधार पर, जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 प्रतिक्रिया तथा आर्थिक सुधार जैसे मुद्दों पर सहयोग किया जा सकता है।
- हालाँकि, मतभेदों के मध्य, जलवायु परिवर्तन और अफगानिस्तान जैसे मुद्दों पर दोनों देशों में सहयोग की संभावना अभी कम ही दिखाई देती है।
अफगानिस्तान पर चीन की प्रतिक्रिया
- चीनी विदेश मंत्री ने अपने अमेरिकी समकक्ष से अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की ‘जल्दबाजी में वापसी’ की निंदा की।
- चीनी प्रतिनिधि का कहना है की दोनों पक्षों ने हाल में अफगानिस्तान की स्थिति और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर बातचीत की है।
- इसके अतिरिक्त, चीन अमेरिका के साथ कैसे संबंध बनाना चाहेगा इसका विचार चीन अपने हितों को ध्यान में रखकर करेगा।
चीन का पक्ष
- चीनी अधिकारी का कहना है की यदि अमेरिका भी द्विपक्षीय संबंधो को सुदृढ़ करने की उम्मीद करता है तो उसे चीन पर आँख बंद करके हमले बंद करने होगें।
- साथ ही चीन की संप्रभुता, सुरक्षा और विकास के हितों को भी कम आंकना बंद करना होगा।
- जुलाई माह के अंत में चीनी और अमेरिकी अधिकारियों के मध्य संपन्न हुई ‘तियांजिन वार्ता’ में चीनी अधिकारियों ने अपनी माँगों को 2 सूचियों में प्रस्तुत किया। पहली सूची में अमेरिका के उन कार्यों को रखा गया जो चीन की दृष्टि में गलत थे तथा दूसरी सूची में व्यक्तिगत मामलों को रखा गया, जो दोनों देशों के मध्य चिंता का कारण बने हुए हैं।
- बीजिंग की माँग थी कि ‘कम्युनिस्ट पार्टी’ के सदस्यों पर लगे ‘वीज़ा प्रतिबंध’ को बिना शर्त हटा लिया जाए।
- अमेरिकी प्रशासन को चीनी उद्यमों को दबाने या उनके कार्यों में अवरोध उत्पन्न करने से रोका जाए।
- इसके अतिरिक्त, चीनी तकनीकी फर्म ‘हुआवेई’ के मुख्य वित्तीय अधिकारी पर चल रहे परीक्षण (Trail) को निरस्त करने का प्रस्ताव रखा, जिन्हें कनाडा में गिरफ्तार किया गया था।
- चीनी प्रतिनिधियों द्वारा संकेत दिया गया कि अमेरिकी प्रशासन जितनी शीघ्रता से मुद्दों को सुलझाने का प्रयास करेगा उतनी ही शीघ्रता से दोनों देश मौजूदा संकट से निकलने में सक्षम होंगे।
- हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष दूत (Envoy) ने चीन के तियांजिन शहर की यात्रा की, जिसमें जलवायु परिवर्तन पर सहयोग प्राप्ति के लिये चीनी अधिकारियों से बातचीत की गई लेकिन यह प्रयास सकारात्मक नहीं रहा।
- चीनी विदेश मंत्री द्वारा बताया गया कि चीनी प्रशासन से सहयोग की संभावना इस बात पर निर्भर करती है कि अमेरिकी प्रशासन अन्य मुद्दों पर कैसा दृष्टिकोण अपनाता है।