(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास व अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव) |
संदर्भ
भारत ने सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में ट्रेकोमा को समाप्त करने में सफलता प्राप्त कर ली है। हालाँकि, दृष्टिदोष से संबंधित रोगियों की संख्या अभी भी व्यापक रूप में विद्यमान है।
भारत में दृष्टिदोष की बढ़ती समस्या
- भारत में बड़ी संख्या में वृद्ध लोग रहते हैं। उम्र से संबंधित मैकुलर डिजनरेशन वृद्धों के लिए दृष्टि संबंधी बाधाएँ उत्पन्न कर रहा है।
- मैकुलर डिजनरेशन में रेटिना का संवेदनशील हिस्सा प्रभावित होता है। इस स्थिति में वृद्धों को अपनी बची हुई दृष्टि को बनाए रखने के लिए आँखों में दवाएँ इंजेक्ट करके जल्दी और बार-बार हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।
- जीवनशैली संबंधी बीमारियों, जैसे- मधुमेह और उच्च रक्तचाप का प्रभाव रेटिना परिवर्तनों में भी परिलक्षित हो रहा है।
- जागरूकता में कमी और स्कूली शिक्षा में बदलाव के कारण मायोपिया (निकट दृष्टिदोष) से पीड़ित बच्चों की संख्या में वृद्धि हुई है। इससे भविष्य में नेत्र संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
- भारत में विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में सीमित स्वास्थ्य सेवा पहुँच और दाता की कमी के कारण दृष्टि हानि का एक प्रमुख कारण कॉर्नियल अंधापन है।
- मुख्य रूप से संक्रमण, आँखों की चोटों और विटामिन A की कमी के कारण कॉर्नियल अंधापन देश में लगभग 1.2 मिलियन लोगों को प्रभावित करता है।
- समय पर उपचार न किए जाने पर यह अपरिवर्तनीय अंधेपन का कारण बनता है।
- बच्चों में एम्ब्लियोपिया (आलस्ययुक्त आँख) जैसी स्थितियों का भी देर से पता चलता है, जो समय पर पता न लगने और उपचार न किए जाने पर उनके कामकाज को प्रभावित कर सकता है।
- भारत में लगभग 25,000 नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं, जो प्रति मिलियन जनसंख्या पर केवल 15 के आसपास है। ऐसे में देश में प्रति रोगी नेत्र विशेषज्ञों की संख्या में वृद्धि करने की आवश्यकता है।
AI का उपयोग
- दृष्टिदोष संबंधी स्थितियों का जल्दी पता लगाना, इसे प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने और दृष्टि पर प्रभाव को सीमित करने के लिए अनिवार्य हो जाता है।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग से बीमारियों की पहचान एवं निदान में सटीकता बढ़ने की उम्मीद है, जिससे वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य सेवा में अधिक व्यक्तिगत उपचार संभव हो सकेगा।
- AI बड़ी मात्रा में नैदानिक दस्तावेज़ों और डाटा के त्वरित विश्लेषण में भी सहायता कर रहा है, ताकि बीमारी के संकेतों को जल्दी से पहचाना जा सके।
- समय पर पहचान एवं परिणामों की बेहतर भविष्यवाणी से बेहतर और अधिक कुशल देखभाल अब संभव है।
- वर्ष 2011 में IBM द्वारा निर्मित वाटसन का निर्माण स्वास्थ्य सेवा में संचार की बेहतर व्याख्या को बढ़ाने के लिए किया गया था।
- वर्तमान में Apple, Microsoft, Google और Amazon जैसी दिग्गज टेक कंपनियाँ भी स्वास्थ्य के लिए AI तकनीक विकसित कर रही हैं।
- AI के निरंतर बढ़ते प्रयोग से नेत्र विज्ञान में बहुत अधिक अनुप्रयोग की संभावनाएँ देखी जा रही हैं, क्योंकि आँखों की जाँच के हिस्से के रूप में व्यापक इमेजिंग की जाती है।
- AI का विकास दृष्टिदोष से संबंधित विभिन्न स्थितियों के लिए कई तरह के स्क्रीनिंग प्लेटफॉर्म में सहायता करता है।
- अस्पताल में इसका उपयोग बड़े संस्थानों में कतार प्राथमिकता से लेकर इन्वेंट्री प्रबंधन और रीऑर्डर स्तरों को सक्षम करने, वास्तविक समय के डॉक्टर रोगी वार्तालापों को इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड में बदलने, निदान सहायता प्रणालियों और यहां तक कि रोगी जुड़ाव तक में किया जा रहा है।
- डीप लर्निंग और एल्गोरिदम ने डायबिटिक रेटिनोपैथी तथा उम्र से संबंधित मैकुलर डिजनरेशन के लिए स्क्रीनिंग को तेज करने के साथ ही मायोपिया की प्रगति और मोतियाबिंद सर्जरी के परिणामों की बेहतर भविष्यवाणी की है।
- डिस्क क्षति और तंत्रिका फाइबर परत दोषों के साथ ही वाइड-एंगल ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी (OCT) छवियों में परिवर्तनों को पहचानने के लिए मशीन लर्निंग एल्गोरिदम को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
- विशेषज्ञों ने मोतियाबिंद सर्जरी कराने की योजना बना रहे रोगियों से जुड़ने के लिए एक GenAI-आधारित कैटरेक्टबॉट बनाया है।
आगे की राह
- ए.आई. मॉडल को डिकोड करने और बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाला डाटा ठोस और विविध होनी चाहिए और इन मॉडलों के भारत भर में प्रभावी ढंग से काम करने के लिए जातीय-विशिष्ट डाटा की आवश्यकता है।
- भारत में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIT) ने वैश्विक स्तर पर नेत्र देखभाल में भागीदारी की है। साथ ही, भारत में Microsoft Research और यूनिवर्सिटी ऑफ़ बॉन इस क्षेत्र में बहुत योगदान दे रहे हैं।
- हालाँकि, बनाए जा रहे मॉडलों के लिए सीमाएँ निर्धारित करने और स्पष्ट दायरा निर्धारित करने की आवश्यकता है।
- AI एक उपकरण है जिसे स्वास्थ्य सेवा प्रदाता की सुविधा या सहायता के रूप में देखने के साथ ही रोगियों और उनके देखभाल करने वालों के दृष्टिकोण को भी ध्यान में रखना चाहिए।
निष्कर्ष
एआई और एक्सपोनेंशियल तकनीक स्थितियों की प्रारंभिक पहचान करके और स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों को तकनीकी रूप से सहायता करके देखभाल की गुणवत्ता को बढ़ाने का अवसर प्रदान करती है। एआई संवर्द्धन को बड़े पैमाने पर स्थापित किया जा सकता है और इस प्रकार, स्क्रीनिंग में नेत्र रोग विशेषज्ञों के स्थान पर टेली-ऑप्थैल्मोलॉजी और संबद्ध स्वास्थ्य कर्मियों को मिलाकर वितरण लागत को अनुकूलित करने का एक शानदार अवसर है।