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रक्षा क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रयोग : महत्त्व एवं चुनौतियाँ

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)

संदर्भ 

हाल ही में, F-16 फाइटिंग फाल्कन विमान को प्रायोगिक आधार पर मानव के बजाए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का प्रयोग करके संचालित किया गया। यह अमेरिका का एक प्रमुख लड़ाकू विमान है। 

एफ-16 फाइटिंग फाल्कन के बारे में 

  • लॉकहीड मार्टिन द्वारा विकसित यह एक बहुउद्देशीय लड़ाकू जेट है। 
    • 1970 के दशक में इसकी कमीशनिंग के बाद से दुनिया भर की विभिन्न वायु सेनाओं द्वारा इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता रहा है।
  • भारत में तेजस एक हल्का व बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान है जिसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने भारतीय वायु सेना के लिए डिज़ाइन किया है। कुछ मामलों में तेजस की तुलना F-16 फाल्कन से की जा सकती है। 

रक्षा क्षेत्र में एआई का महत्व

  • खुफिया जानकारी एवं सर्वेक्षण : एआई आधारित सिस्टम सैटेलाइट इमेजरी, ड्रोन फुटेज एवं अन्य डाटा स्रोतों से तेजी से एवं सटीक जानकारी प्रदान कर सकते हैं। इससे खुफिया जानकारी का विश्लेषण करना और वास्तविक समय में निर्णय लेना आसान हो जाता है।
  • आटोमेटिक वाहन एवं ड्रोन : आटोमेटिक ड्रोन एवं वाहनों का उपयोग सीमा सुरक्षा, निगरानी व आपूर्ति के लिए किया जा रहा है। ये मशीनें खतरनाक परिस्थितियों में मानव सैनिकों की जगह ले सकती हैं।
  • साइबर सुरक्षा : AI आधारित साइबर सुरक्षा प्रणाली तेजी से साइबर हमलों का पता लगा सकते है और उन्हें रोक सकते हैं। ये प्रणाली खतरों की पहचान करने, उनका विश्लेषण करने एवं उन्हें रोकने में अधिक सक्षम होते हैं।
  • लॉजिस्टिक्स एवं आपूर्ति शृंखला प्रबंधन : एआई का उपयोग लॉजिस्टिक्स एवं आपूर्ति शृंखला प्रबंधन में भी किया जा रहा है। इससे आपूर्ति शृंखला के सुचारू संचालन में मदद मिलती है और सैनिकों को समय पर आवश्यक संसाधन उपलब्ध होते हैं।
  • प्रशिक्षण एवं सिमुलेशन : एआई आधारित सिमुलेशन एवं वर्चुअल रियलिटी (VR) सिस्टम सैनिकों को वास्तविक स्थिति का अनुभव प्रदान कर सकते हैं। इससे वे बेहतर तरीके से प्रशिक्षित हो सकते हैं और विभिन्न स्थितियों के लिए तैयार हो सकते हैं।
  • स्वास्थ्य सेवा : एआई का उपयोग चिकित्सा सेवाओं में भी किया जा रहा है, जिससे घायल सैनिकों को तेजी से और प्रभावी उपचार मिल सकता है। AI आधारित डायग्नोस्टिक टूल्स एवं रोबोटिक सर्जरी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
  • स्वचालित हथियार प्रणाली : एआई  से लैस स्वचालित हथियार प्रणाली लक्ष्य की पहचान एवं सटीक हमलों में सहायक होते हैं। ये प्रणाली निर्णय लेने की प्रक्रिया को तीव्र एवं अधिक कुशल बना सकते हैं।

रक्षा में एआई से संबंधित चुनौतियाँ

  • नैतिक मुद्दों से जुड़े कुछ चिंताजनक बिंदु, जैसे- स्वचालित हथियारों का प्रयोग और एआई निर्णयन की जवाबदेहिता एवं दायित्व का अभाव 
  • तकनीकी सीमाएँ, जैसे- स्वायत्त निर्णय लेने की निरपेक्ष क्षमता का अभाव 
  • एल्गोरिदमिक पारदर्शिता का अभाव 
  • साइबर सुरक्षा को खतरा 
  • डाटा प्राइवेसी को खतरा
  • एआई सिस्टम्स के निर्माण में अत्यधिक आर्थिक बोझ 

भारतीय सेना में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का प्रयोग 

  • वर्ष 2019 में कृत्रिम बुद्धिमत्ता संबंधी पहल के लिए रक्षा एआई परियोजना एजेंसी (DAIPA) एवं रक्षा एआई परिषद (DAIC) की स्थापना की गई थी। 
  • वर्ष 2022 में सरकार ने रक्षा क्षेत्र में एआई एवं बिग डाटा जैसी तकनीकों का समय पर समावेश करने के लिए 75 नव विकसित एआई तकनीकों को लॉन्च किया। 
  • रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने बेंगलुरु में सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स (CAIR) जैसी विशेष प्रयोगशालाएं स्थापित की हैं, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, कमांड व नियंत्रण के क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास करने के लिए समर्पित हैं।

आगे की राह 

  • भारत में एआई पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने के लिए इस तकनीक से जुड़ी चुनौतियों एवं जोखिमों की पहचान करना और जागरूकता, नीति व विनियमन तथा मानव संसाधन विकास के माध्यम से एआई में विश्वास पैदा करना आवश्यक है। 
  • स्वदेशी रूप से इसका विकास भारत की रक्षा प्रणालियों में मूल्यवर्धन करने में महत्वपूर्ण होगा और इसी तरह एआई को अपनाने की दिशा में बहुपक्षीय एवं द्विपक्षीय साझेदारी भी महत्वपूर्ण होगी। इनमें प्रौद्योगिकी का संयुक्त विकास, प्रौद्योगिकी साझाकरण और वैश्विक नीति निर्माण एवं मानकीकरण में भागीदारी शामिल हो सकती है।
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