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भारत में टीकाकरण की उपादेयता

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाओं से संबंधित मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 : स्वास्थ्य से संबंधित सामाजिक क्षेत्र या सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे; सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3 : आपदा प्रबंधन से संबंधित विषय)

संदर्भ

कोविड-2.0 के संबंध में किये गए विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि कोविड-19 की दूसरी लहर में संक्रमित होने वाले लोगों में 60 वर्ष की आयु से अधिक उम्र वाले लोगों की संख्या कम है।

भारत पर प्रभाव

  • सामान्यतः प्रत्येक महामारी विभिन्न लहरों में आती है। पिछली शताब्दी में आई महामारी ‘स्पेनिश फ्लू’ के मामले में भी ऐसा ही देखा गया था।
  • कोविड-19 की पहली लहर का सामना करने के लिये भारत ने अपने चिकित्सा संबंधी बुनियादी ढाँचे में काफी सुधार किया था। भारत में इस संक्रमण की दूसरी लहर के लिये जिन कारणों को उत्तरदायी माना गया है, उनमें लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील देना तथा बड़ी जनसंख्या का सामान्य जीवन शैली में पुनः लौटना प्रमुख हैं।
  • इसके अलावा, वायरस में हुए उत्परिवर्तन को भीदूसरी लहर के लिये उत्तरदायी माना गया है। इसे तमिलनाडु, महाराष्ट्र, दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों में बढ़ते संक्रमण के रूप में देखा जा सकता है।

भारत में टीकाकरण

  • जैसा कि विभिन्न संक्रामक बीमारियों के मामलों में देखा जाता है कि उनके संक्रमण को कम करने तथा उन्हें नियंत्रित करने के लिये टीकाकरण ही एकमात्र उपाय होता है। महामारी की शुरुआत से 1वर्ष के भीतर प्रभावी टीकों का निर्माण किया जा चुका है, जो एक अविश्वसनीय उपलब्धि है।
  • आरंभ में, अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों (First Line Worker), जैसे– डॉक्टर, नर्स, पुलिसकर्मी इत्यादि का टीकाकरण किया गया था। तत्पश्चात् 1 मार्च, 2021 से 60 वर्ष से अधिक आयुवर्ग के व्यक्तियों का तथा 45 वर्ष से अधिक आयु वाले ऐसे व्यक्तियों का, जो गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं, टीकाकरण आरंभ किया गया।
  • 1 अप्रैल, 2021 से 45 वर्ष से अधिक आयु के सभी व्यक्तियों तथा 1 मई, 2021 से 18 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों का टीकाकरण आरंभ किया गया है।

टीकाकरण का सकारात्मक प्रभाव

  • यद्यपि प्रत्येक व्यक्ति उपलब्ध टीकों की प्रभावशीलता के बारे में आश्वस्त नहीं हैं, तथापि यह सत्य है कि टीकाकरण से संक्रमण की दर में काफी कमी आई है। आँकड़ों के मुताबिक़, भारत में लगभग 100 मिलियन लोगों का टीकाकरण किया जा चुका है तथा टीकाकरण के नकारात्मक प्रभाव अत्यंत कम हैं।
  • नवंबर 2020 के बाद के आँकड़े बताते हैं कि 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को लगाए गए टीकों के सकारात्मक प्रभाव दिखने लगे हैं। टीकाकरण शुरू होने के बाद से 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में संक्रमण की दर घटी है, जबकि इससे कम उम्र के लोगों में संक्रमण की दर बढ़ी है।

आगे की राह

  • केंद्र तथा राज्य सरकारों को सर्वप्रथम टीकाकरण के प्रति समाज में फैली भ्रांतियों को समाप्त करना चाहिये तथा इसके प्रति लोगों को जागरूक बनाना चाहिये।
  • सरकारों को अधिकाधिक टीकाकरण केंद्र बनाकर 18-45 आयु वर्ग के लोगों के टीकाकरण में वृद्धि करनी चाहिये क्योंकि भारत की आधे से अधिक जनसंख्या 18-45 आयु वर्ग की है।
  • सरकारों को दवा-निर्माता कंपनियों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने तथा टीकों की कीमत कम रखने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये तथा यह सुनिश्चित करना चाहिये कि इन टीकों की कालाबाज़ारी ना हो।
  • इसके अलावा, सरकार दूसरे देशों के टीकों को भी यथाशीघ्र प्रयोग करने की अनुमति प्रदान करे, ताकि टीकाकरण कार्यक्रम को गति दी जा सके।
  • सरकार यह भी सुनिश्चित करे कि टीकाकरण कार्यक्रम में लगे लोगों की अकुशलता दवा की बर्बादी का कारण न बने।

निष्कर्ष

टीकाकरण ने निश्चय ही इस महामारी के प्रकोप को कम किया है। ऐसे में टीकाकरण कर्यक्रम को गतिशील बनाया जाना चाहिये। 18-45 आयु वर्ग के सभी लोगों को टीकाकरण की अनुमति देना एक बेहतर कदम है। बेशक, भारत में ‘टीकाकरण’ एक समयसाध्य व श्रमसाध्य प्रक्रिया है, लेकिन इससे संक्रमण की भावी लहरों को रोकने में सहायता मिलेगी।

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