(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, सामाजिक क्षेत्र में की गई पहलों से संबंधित प्रश्न)
(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 1 - सामाजिक सशक्तिकरण; सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2- स्वास्थ्य से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय)
संदर्भ
‘महिला एवं बाल विकास मंत्रालय’ द्वारा सितंबर माह में चलने वाले पोषण माह समारोह की पृष्ठभूमि में देशभर में ‘पोषण वाटिका' की स्थापना को बढ़ावा दिया जा रहा है।
प्रमुख बिंदु
- मंत्रालय ने सभी आँगनवाड़ी केंद्रों में विशेष रूप से आकांक्षी ज़िलों में फलों, सब्जियों और औषधीय पौधों की ताजा आपूर्ति प्रदान करने के उद्देश्य से पोषण वाटिका स्थापित करने की योजना बनाई है।
- प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के आह्वान के साथ इस कार्यक्रम की वैचारिक नींव आत्मनिर्भरता और महिलाओं तथा बच्चों के मध्य पोषण सुरक्षा को संबोधित करने के लिये ‘स्थायी खाद्य प्रणालियों’ को अपनाने पर आधारित है।
- पोषण वाटिका अपने आप में अनुकरणीय वैश्विक सर्वोत्तम कार्यप्रणाली का प्रतिनिधित्व करती है, जिसमें आहार विविधता, पोषण सुरक्षा, कृषि-खाद्य खेती, स्थानीय आजीविका सृजन और पर्यावरणीय स्थिरता के कई लक्ष्यों को पूरा करने की क्षमता है।
आवश्यक दिशा-निर्देश
- पोषण वाटिका शुरू करने का मुख्य उद्देश्य समुदाय के सदस्यों को अपने घर के पिछले हिस्से में स्थानीय खाद्य फसलों को उगाने के लिये प्रोत्साहित करना। साथ ही, उन्हें ताजे फल तथा सब्जियों की एक सस्ती, नियमित और आसान आपूर्ति की सुरक्षा प्रदान करना है।
- इसके अंतर्गत स्थानीय किसानों और ग्रामोद्योगों के लिये आर्थिक गतिविधियों के सृजन के साथ-साथ विविध और पौष्टिक आहारों तक पहुँच के माध्यम से सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।
- दिशा-निर्देश संभावित भूमि स्थानों की पहचान करते हैं जिनका उपयोग वाटिका स्थापित करने के लिये किया जा सकता है। इसमें आँगनवाड़ी केंद्र, पंचायत क्षेत्र, सरकारी स्कूल, खाली भूमि या क्षेत्र में उपलब्ध सामुदायिक/सरकारी भूमि का कोई अन्य स्थान शामिल हैं।
- इसके अतिरिक्त, दिशा-निर्देशों में प्रचलित खाद्य संस्कृति के अनुसार उद्यानों के पिछले हिस्से में मुर्गी पालन का भी आदेश दिया गया है। यह प्रोटीन आवश्यकताओं को पूरा करने में विशेष रूप से उपयोगी हो सकता है।
- यह दिशा-निर्देश बहु-मंत्रालयी अभिसरण के महत्त्व को संदर्भित करते हुए आयुष मंत्रालय, पर्यावरण मामलों के मंत्रालय, मनरेगा योजना, पोषण पंचायतों और मातृ समूहों द्वारा की जाने वाली सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर देते हैं।
- उदाहरण के तौर पर सरकार सभी आँगनबाड़ी केंद्रों पर ‘मोरिंगा’ के रोपण के लिये एक अभियान को प्रोत्साहित कर रही हैं।
- मोरिंगा एक भारतीय पौधा है, जिसे ‘सहजन या ड्रमस्टिक’ के रूप में भी जाना जाता है। इसमें बीटा कैरोटीन, आयरन, विटामिन ए, बी 2, बी 6 और सी 5 से भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
- साथ ही, यह एंटीऑक्सिडेंट, जीवाणुरोधी, अज्वलनशील, एंटी-कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह और यहाँ तक कि कैंसर विरोधी गुणों से युक्त है।
विभिन्न देशों के अनुभव
- वैश्विक साक्ष्यों की समीक्षा से पता चलता है कि पोषण वाटिकाओं की स्थापना से आहार विविधता की जागरूकता में काफी सुधार हो सकता है।
- अमेरिका के विभिन्न स्कूलों में किये गए अध्ययनों से पता चला है कि वहाँ के बच्चों में सब्जियों तथा फलों को खाने की प्रवृत्ति में बढोत्तरी हुई है।
- इसी तरह, दक्षिण अफ्रीका के शोध से पता चलता है कि पोषण वाटिकाओं की स्थापना से ताजे भोजन की खपत की संभावना बढ़ सकती है।
- नेपाल में, पोषण संवेदीकरण मॉड्यूल द्वारा कुछ परीक्षण किये गए हैं, जिनमें पोषण शिक्षा और टिकाऊ कृषि को आधार बनाया गया था।
- इस परिक्षण से ज्ञात होता है कि बच्चों के आहार में ताजा खाद्य उत्पादों की कमी के 2 कारण हैं; माता-पिता की भागीदारी में कमी तथा ताजा खाद्य उत्पादों तक लोगों की पहुँच में कमी।
भारतीय परिप्रेक्ष्य में
- भारत में ‘एम.एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन’ फलों और सब्जियों की बढ़ती खपत पर पोषण वाटिकाओं के प्रभाव को प्रदर्शित करने में सबसे आगे रहा है।
- फाउंडेशन द्वारा दिये गए सुझावों में हरी पत्तेदार सब्जियों को उगाने के लिये बीज किट का वितरण तथा फलों के पेड़ों की जड़ों और पौधे (उदाहरण के लिए नींबू, पपीता, अमरूद और आम) का वितरण शामिल था।
लाभ
- पोषण वाटिका के माध्यम से बच्चों को ताजा खाद्य उत्पादों की खपत आवश्यकता के बारे में शिक्षित किया जा सकता है।
- यह महिलाओं के मध्य स्वस्थ आहार व्यवहार के संदेश को बढ़ावा देने के लिये एक प्रदर्शन स्थल के रूप में कार्य कर सकता है।
बाधाएँ
- राष्ट्रीय रणनीति की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि पोषण वाटिका कार्यक्रम को कैसे लागू किया जाता है।
- इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन में कुछ बाधाएँ भी हैं, जिनमें शामिल हैं-
- कृषि योग्य भूमि तक पहुँच।
- जल स्रोत की उपलब्धता।
- चरागाह के विरुद्ध सुरक्षा।
- आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की बैंडविड्थ और कौशल स्थिति।
- बीज और निवेश की आपूर्ति।
- पोषण वाटिकाओं की स्थापना पर तकनीकी जानकारी के स्थानांतरण के लिये विविध हितधारकों के मध्य समन्वय।
आगे की राह
- मंत्रालय के पास अपनी कृषि और पोषण नीति के मध्य अभिसरण बढ़ाने के लिये पोषण वाटिका को एक मंच के रूप में बढ़ावा देने का भी अवसर है।
- साथ ही, आँगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की क्षमता का निर्माण करने के साथ-साथ उनके अपेक्षित श्रम के लिये मुआवज़े को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिये।
- ताजे फल, सब्जियों और पशु उत्पादों के उप्तादन और खपत के मध्य की दूरी को कम करने का प्रयास करना।
- आहार विविधता के महत्त्व पर संदेश प्रसारित करना और अंततः सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में योगदान कर सकने वाली सर्वोत्तम कार्यप्रणाली का विस्तार करना शामिल है।
निष्कर्ष
- भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों के साक्ष्यों की एक व्यवस्थित समीक्षा इस बात पर प्रकाश डालती है कि पोषण वाटिका वैज्ञानिक रूप से आहार विविधता जैसे मध्यवर्ती परिणामों में वृद्धि को प्रदर्शित करने में सक्षम रही है, जो पोषण संबंधी परिणामों के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- हालाँकि, महिलाओं और बच्चों पर पोषण वाटिकाओं के पड़ने वाले दीर्घकालिक प्रभावों के साक्ष्यों की कमी है। इस संदर्भ में, पोषण वाटिका का राष्ट्रव्यापी शुभारंभ सरकार और शिक्षाविदों को महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य तथा पोषण परिणामों पर पोषण वाटिकाओं की प्रभावकारिता के स्थानीय साक्ष्य जुटाने करने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है।