(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक राष्ट्रीय घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, सरकारी नीतियों तथा विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन एवं कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय) |
संदर्भ
हाल ही में, उत्तर प्रदेश विधानसभा से पारित उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध एवं उपयोग) विधेयक, 2024 को उत्तर प्रदेश विधान परिषद ने प्रवर समिति के पास भेज दिया है।
नजूल भूमि के बारे में
- नजूल भूमि से तात्पर्य ‘राज्य सरकार के स्वामित्व वाली भूमि से है, किंतु यह राज्य भर में प्रत्यक्ष रूप से राज्य की संपत्ति के रूप में प्रशासित नहीं होती है’।
- इसमें वे सभी संपत्तियां भी शामिल हैं जिनके लिए सरकार द्वारा अधिसूचना के माध्यम से घोषित किसी कानून के तहत पट्टा, लाइसेंस या कब्जा दिया जाता है।
- ये भूमि उत्तर प्रदेश के कई शहरों में हैं, जहाँ लोग लीज़ नवीनीकरण (लीज की समय सीमा 15 से 99 वर्ष तक हो सकती है) प्राप्त करने के बाद बस गए हैं।
- उदाहरणस्वरूप प्रयागराज शहर में करीब 71 लाख वर्गमीटर नजूल भूमि है।
उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति विधेयक के बारे में
- 31 जुलाई, 2024 को यूपी विधानसभा के मानसून सत्र में उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध एवं उपयोग) विधेयक, 2024 पारित हुआ।
- इससे पहले 7 मार्च, 2024 को उत्तर प्रदेश सरकार ने नजूल भूमि के संबंध में एक अध्यादेश जारी किया था।
- इस विधेयक का उद्देश्य नजूल भूमि प्रबंधन को सुव्यवस्थित करना और अनधिकृत निजीकरण को रोकना बताया गया है।
प्रमुख प्रावधान
- इस विधेयक के अनुसार, कानून लागू होने के बाद किसी भी नजूल भूमि को किसी निजी व्यक्ति या निजी संस्था के पक्ष में पूर्ण मालिकाना हक हस्तांतरित नहीं किया जाएगा।
- इसके बजाए, इस भूमि का इस्तेमाल सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए जरूरी हो जाएगा।
- नजूल भूमि को निजी व्यक्तियों या संस्थाओं को हस्तांतरित करने के लिए कोई भी अदालती कार्यवाही या आवेदन रद्द कर दिया जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ये भूमि सरकारी नियंत्रण में रहे।
- यदि इस संबंध में कोई धनराशि जमा की गई है, तो ऐसे जमा किए जाने की तारीख से उसे भारतीय स्टेट बैंक की मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) की ब्याज दर पर धनराशि वापस की जाएगी।
- यह सरकार को मौजूदा पट्टेदारों के लिए पट्टे को बढ़ाने का अधिकार भी देता है, जो नियमित तौर पर किराया देते हैं और पट्टे की शर्तों का पालन करते हैं।
विवाद का मुद्दा
- विधेयक को लेकर विवाद मुख्य रूप से उस प्रावधान के कारण है जो सरकार को पट्टे की शर्तों के अनुपालन के आधार पर मौजूदा पट्टों को जारी रखने या समाप्त करने की अनुमति देता है।
- विधेयक में प्रावधान है कि सभी मौजूदा नजूल भूमि पट्टेधारकों को विधेयक के अधिनियमित होने के तीन महीने के भीतर अपनी भूमि एवं भवन उपयोग अनुपालन के बारे में विवरण जिला मजिस्ट्रेट को प्रदान करना होगा।
- यह जानकारी प्रस्तुत न करने पर पट्टे के विस्तार के संबंध में परिणाम प्रतिकूल हो सकते हैं। विधेयक में यह भी है कि पट्टे की अवधि समाप्त होने के बाद, राज्य सरकार द्वारा भूमि पर पुन: कब्ज़ा कर लिया जाएगा।