प्रारंभिक परीक्षा
(समसामयिक घटनाक्रम, संस्थाएं एवं संगठन)
मुख्य परीक्षा
(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्ति और विभिन्न संवैधानिक निकायों की शक्तियाँ, कार्य एवं उत्तरदायित्व, सांविधिक, विनियामक तथा विभिन्न अर्द्ध-न्यायिक निकाय)
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संदर्भ
महिलाओं की सुरक्षा में सुधार लाने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग ने विभिन्न उपायों का प्रस्ताव दिया है।
प्रस्तावित उपाय
- इस प्रस्ताव में पुरुष दर्जियों द्वारा महिलाओं की माप लेने पर रोक तथा पुरुषों द्वारा जिम व योग केंद्रों में महिलाओं को प्रशिक्षण देने पर प्रतिबंध शामिल है। महिलाओं को सेवा प्रदान करने के लिए इन सभी सेवा प्रदाताओं का महिला होना आवश्यक है।
- स्कूल बसों में महिला सुरक्षा कर्मियों और महिलाओं के कपड़ों की दुकानों में भी महिला कर्मचारियों का प्रावधान शामिल है। सैलून में केवल महिला हेयर ड्रेसर ही महिला ग्राहकों को सेवा प्रदान कर सकती हैं।
- सेवा प्रदाताओं के पंजीकरण एवं पुलिस सत्यापन का भी प्रस्ताव है।
- आयोग के अनुसार, ये सिफारिशें व्यावसायिक स्थालों पर महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने और उनके लिए अधिक सहायक वातावरण का निर्माण करने के व्यापक प्रयास का हिस्सा हैं।
- आयोग राज्य सरकार से इन प्रस्तावों के आधार पर नियम बनाने का अनुरोध कर सकता है।
उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग के बारे में
- परिचय : महिलाओं के सांविधिक अधिकारों के संरक्षण और उनके विकास एवं कल्याण के लिए गठित यह एक अर्द्ध-न्यायिक वैधानिक निकाय है।
- स्थापना : उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उ.प्र. राज्य महिला आयोग अधिनियम, 2001 के तहत वर्ष 2002 में महिला आयोग का गठन किया गया था।
- हालांकि, अपने उद्देश्यों की पूर्ति में विफल होने के कारण वर्ष 2004 में एक अध्यादेश के द्वारा इस अधिनियम को निरस्त कर दिया गया और नया अधिनियम पारित किया गया।
- आधिकारिक गठन : वर्ष 2004 में आयोग के उद्देश्यों की पूर्ति एवं क्रियाकलापो को कानूनी आधार प्रदान करने के लिए उ. प्र. राज्य महिला आयोग अधिनियम, 2004 पारित कर इस आयोग का आधिकारिक रूप से गठन किया गया।
- पुनर्गठन : वर्ष 2007 एवं 2013 में मूल अधिनियम में कतिपय संशोधन कर आयोग का पुनर्गठन किया गया।
- कुल सदस्य : 28 (1 अध्यक्ष + 2 उपाध्यक्ष + 25 अन्य सदस्य)
- वर्तमान अध्यक्ष : बबीता सिंह चौहान
- वर्तमान उपाध्यक्ष : अपर्णा यादव एवं चारू चौधरी
- अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष को क्रमशः राज्य के राज्यमंत्री व उपमंत्री का दर्जा प्राप्त होता है।
- कार्यकाल : 2 वर्ष (अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित सभी सदस्यों का कार्यकाल)
उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग के सदस्यों की योग्यता
- आयु : अध्यक्ष व उपाध्यक्ष सहित सभी सदस्य 25 वर्ष की आयु से कम होने पर पद धारण नहीं कर सकेंगे।
- अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष : महिला कल्याण के लिए कार्य करने वाली महिलाएँ होंगी।
- 25 सदस्य : महिला कल्याण के लिए कार्य करने वाली महिलाएँ होंगी।
- हालाँकि, कम-से-कम 1 सदस्य का निम्नलिखित 3 वर्गों से होना अनिवार्य है :
- अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति वर्ग
- अन्य पिछड़ा वर्ग
- अल्पसंख्यक वर्ग
उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग का उद्देश्य
- महिलाओं के कल्याण, सुरक्षा, संरक्षण के अधिकारों की रक्षा करना
- महिलाओं के शैक्षिक, आर्थिक तथा सामाजिक विकास के लिए निरंतर प्रयासरत रहना
- महिलाओं को प्रदान किए गए संवैधानिक एवं विधिक अधिकारों से सम्बद्ध उपचारी उपायों के लिए अनुश्रवण के उपरान्त राज्य सरकार को सुझाव एवं संस्तुतियां प्रेषित करना।
उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की शक्तियाँ
- किसी वाद पर विचार करने के लिए सिविल न्यायालय को प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करने का अधिकार
- किसी व्यक्ति को समन करना, हाजिर कराना और शपथ पर उसकी जाँच करना
- दस्तावेज मंगाना एवं लोक अभिलेख प्राप्त करना
- साक्ष्यों एवं अभिलेखों के परीक्षण के लिए कमीशन जारी करना आदि
उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग का कार्यक्षेत्र
- महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना
- बाल विवाह, दहेज एवं भ्रूण हत्या रोकना
- कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न पर रोक
- कानून में आवश्यकतानुसार संशोधन के लिए शासन को संस्तुतियां करना
- महिलाओं से संबंधित योजनाओं का प्रभावी रूप से क्रियान्वयन करना
- महिला कारागारों, चिकित्सालयों, छात्रावासों, संरक्षण गृहों का निरीक्षण करना