(प्रारम्भिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ; मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की राजनीति का प्रभाव)
संदर्भ
हाल ही में, मोरक्को ने अमेरिका की मध्यस्थता से इज़रायल के साथ सम्बंधों को सामान्य बनाने पर सहमति व्यक्त की है। मोरक्को ऐसा करने वाला चौथा अरब राष्ट्र है। साथ ही, इसी समझौते के तहत अमेरिका ने पश्चिमी सहारा के विवादित क्षेत्र पर मोरक्को के दावे को भी मान्यता प्रदान की है। अमेरिकी राष्ट्रपति के अनुसार, मोरक्को का गम्भीर, विश्वसनीय तथा यथार्थवादी प्रस्ताव शांति एवं समृद्धि का एकमात्र आधार है।
पश्चिमी सहारा क्षेत्र: पृष्ठभूमि
- स्पेन का उपनिवेश रहा पश्चिमी सहारा क्षेत्र उत्तर पश्चिम अफ्रीका में स्थित एक विशाल एवं शुष्क क्षेत्र है। यह क्षेत्र आकार में काफी बड़ा है परंतु यहाँ निवास करने वाले लोगों की संख्या छह लाख से भी कम है।
- पहली बार वर्ष 1884 में यह क्षेत्र स्पेन के नियंत्रण में आया और वर्ष 1934 में उसके द्वारा 'स्पेनिश सहारा' नामक एक प्रांत का गठन किया गया।
- वर्ष 1957 में इस क्षेत्र के उत्तर में स्थित पड़ोसी देश मोरक्को ने पूरे क्षेत्र पर अपना दावा करते हुए सदियों पुरानी स्थिति को बहाल करने की मांग की। विदित है कि मोरक्को वर्ष 1956 में फ्रांसीसी शासन से स्वतंत्र हुआ था।
सहरावी जातीय समूह और स्पेन से स्वतंत्रता का प्रयास
- उपरोक्त स्थितियों के बीच पश्चिमी सहारा क्षेत्र में निवास करने वाले सहरावी (Sahrawi) जातीय समूह ने स्पेन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिये प्रयास शुरू कर दिये।
- इसी संदर्भ में वर्ष 1973 में ‘पॉपुलर फ्रंट फॉर लिबरेशन ऑफ सागिया एल-हमरा’ और ‘रियो डी ओरो’ (पोलिसारियो फ्रंट) के मध्य एक गुरिल्ला युद्ध छिड़ गया। विदित है कि इन दोनों समूहों का नाम स्पेनिश सहारा प्रांत के दो क्षेत्रों से सम्बंधित है।
- संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस क्षेत्र के वि-औपनिवेशीकरण की मांग के दस साल बाद वर्ष 1975 में स्पेन ने पश्चिमी सहारा क्षेत्र को खाली कर इसे मोरक्को एवं मॉरिटानिया के मध्य विभाजित कर दिया।
- पश्चिमी सहारा क्षेत्र के उत्तरी हिस्से का दो-तिहाई भाग मोरक्को को जबकि दक्षिण का शेष एक-तिहाई भाग मॉरिटानिया को प्राप्त हुआ। हालाँकि, यह विभाजन अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के सहरावियों के लिये आत्मनिर्णय के फैसले के विपरीत था।
- पोलिसारियो फ्रंट ने इस विभाजन का विरोध करते हुए अल्जीरिया के समर्थन से सशस्त्र संघर्ष को जारी रखा। साथ ही, वर्ष 1976 में सहरावी अरब डेमोक्रेटिक रिपब्लिक (SADR) नामक निर्वासित सरकार का गठन किया गया।
- तीन वर्ष बाद मोरक्को ने फिर से मॉरिटानिया के हिस्से वाले क्षेत्र को अपने में शामिल कर लिया। हालाँकि वर्ष 1991 में संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से यहाँ संघर्ष विराम लागू हुआ।
युद्ध विराम के बाद की स्थिति
- मोरक्को वर्ष 1991 के संघर्ष विराम समझौते के अनुरूप सहरावियों के लिये एक स्वतंत्र जनमत संग्रह आयोजित करने पर सहमत हो गया था। परंतु वर्ष 2001 में नए राजा मुहम्मद VI ने जनमत संग्रह करवाने से इनकार कर दिया।
- इसी समय मोरक्को ने अपने हजारों निवासियों को पश्चिमी सहारा में बसने के लिये प्रोत्साहित किया, जिससे इस क्षेत्र के जनसांख्यिकीय संतुलन में तेज़ी से बदलाव हुआ।
- इसके उपरांत, मोरक्को ने इस क्षेत्र के लिये व्यापक स्वायत्तता का प्रस्ताव रखा। हालाँकि, पोलिसारियो फ्रंट का कहना है कि स्थानीय निवासियों को जनमत संग्रह का अधिकार है।
- एस.ए.डी.आर. को लगभग 70 देशों द्वारा मान्यता दी गई है। साथ ही, यह अफ्रीकी संघ का सदस्य भी है, परंतु विश्व की प्रमुख शक्तियों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र ने इसे मान्यता प्रदान नहीं की है।
- अल्जीरिया के शरणार्थी शिविरों में 1 लाख से अधिक सहरावी रहते हैं और मॉरिटानिया के समर्थन से अपनी माँगो के लिये संघर्षरत हैं।
- पिछले महीने यहाँ स्थिति उस समय ख़राब हो गई जब मोरक्को ने एस.ए.डी.आर. से अलग करने वाली सीमा के बफर क्षेत्र में प्रवेश किया और पोलिसारियो फ्रंट ने वर्ष 1991 के युद्धविराम के अनुसार इसका विरोध किया।
खनिज संसाधन
- यह क्षेत्र खनिज संसाधनों से सम्पन्न है। यहाँ पर फॉस्फेट के प्रचुर भंडार पाए जाते हैं, जो सिंथेटिक उर्वरकों के निर्माण का एक प्रमुख घटक है।
- इसके अतिरिक्त, यह क्षेत्र लाभप्रद मत्स्य संसाधनों से भरपूर होने के साथ-साथ अपतटीय (Off-shore) तेल का भी स्रोत माना जाता है।
- वर्ष 1991 के संघर्ष विराम के बाद से पश्चिमी सहारा के लगभग 80% क्षेत्र पर मोरक्को का नियंत्रण है, जिसमें फॉस्फेट भंडार और मत्स्य संसाधन क्षेत्र शामिल हैं।
- ‘द अटलांटिक’ के अनुसार अपने खनिज भंडार को मिलाकर वर्तमान में मोरक्को के पास विश्व के फॉस्फेट भंडार का 72% से अधिक है, जबकि चीन इस मामले में लगभग 6% के साथ दूसरे स्थान पर है।
अमेरिका के फैसले का प्रभाव
- अमेरिका का निर्णय मोरक्को के लिये एक प्रतीकात्मक जीत है क्योंकि मोरक्को अंतर्राष्ट्रीय शक्तियों द्वारा उसके दावे को मान्यता प्रदान करने को लेकर कई दशकों से प्रयासरत था।
- साथ ही, इस निर्णय से उसके दावे को अन्य राष्ट्रों द्वारा मान्यता प्राप्त करने का भी मार्ग प्रशस्त होगा।
- इससे यह चिंता भी उत्पन्न हो गई है कि यह निर्णय क्षेत्र में संघर्ष व हिंसा में वृद्धि के साथ पश्चिमी अफ्रीका को अस्थिर कर देगा तथा इस क्षेत्र को इस्लामी उग्रवाद से मुक्त कराने के अमेरिका व फ्रांस के दशकों के प्रयासों को कमज़ोर कर देगा।
- इससे अमेरिका और अल्जीरिया के सम्बंधो पर भी नकारात्मक असर पड़ने की उम्मीद है।
- इज़रायल को मान्यता देने के लिये मुस्लिम-बहुल राष्ट्रों का समर्थन प्राप्त करने के लिये ट्रम्प प्रशासन के इस दृष्टिकोण की भी आलोचना की जा रही है।
- इसी क्रम में, इज़रायल के साथ सम्बंधों को सामान्य करने के लिये सूडान को अमेरिका ने 'आतंकवाद प्रायोजक राज्य' की सूची से बाहर कर दिया है।
प्रिलिम्स फैक्ट्स :
- अफ्रीका महाद्वीप के उत्तर-पश्चिम में माघरेब क्षेत्र में स्थित मोरक्को की राजधानी रबात है। जिब्राल्टर जलसंधि मोरक्को को यूरोप (स्पेन) से अलग करती है।
- मोरक्को के पश्चिम में अटलांटिक महासागर, पूर्व में अल्जीरिया और दक्षिण में पश्चिम सहारा स्थित है। इसकी मुद्रा मोरक्कन दिरहम और आधिकारिक भाषा अरबी है।
- मॉरिटानिया की राजधानी नुआकशॉट्ट है। इसकी सीमा सेनेगल, माली, अल्जीरिया और पश्चिम सहारा से लगती है।
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