New
IAS Foundation Course (Prelims + Mains): Delhi & Prayagraj | Call: 9555124124

वैम्पायर स्टार

प्रारंभिक परीक्षा

 (सामान्य विज्ञान)

मुख्य परीक्षा

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष)

संदर्भ 

  • भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (Indian Institute of Astrophysics : IIA) के खगोलविदों के अनुसार एक वैम्पायर स्टार (पिशाच तारा) कर्क तारामंडल (Constellation Cancer) के M67 तारा समूह में स्थित एक साथी तारे से भौतिक पदार्थ को सोख कर अपनी युवावस्था को पुनर्जीवित कर रहा है।
  • द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित यह खोज इन तारों के पुनर्यौवन में एक महत्वपूर्ण लिंक है और दोहरी तारा प्रणाली की विकास प्रक्रिया में दुर्लभ अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।

वैम्पायर स्टार के बारे में 

  • वैम्पायर स्टार को ब्लू स्ट्रैगलर स्टार (BSS) के रूप में जाना जाता है। ये तारकीय उद्भव के साधारण मॉडल को चुनौती देते हैं और युवा तारों की कई विशेषताएं प्रदर्शित करते हैं।
  • इस सिद्धांत का परीक्षण करने के लिए तारा समूह उपयोगी परीक्षण-स्थल हैं क्योंकि उनमें बड़ी संख्या में द्विआधारी (Binary) तारे होते हैं, जिनमें से कुछ वैम्पायर स्टार के निर्माण के लिए उत्तरदायी हो सकते हैं।

हालिया शोध 

  • M67 में एक वैम्पायर स्टार की अभूतपूर्व खोज दोहरी प्रणाली (बाइनरी सिस्टम) में व्यापक अंतरण (Mass Transfer) के रूप में जानी जाने वाली एक जटिल पुनर्यौवन प्रक्रिया पर प्रकाश डालती है।
  • यह खोज भारत की पहली समर्पित अंतरिक्ष वेधशाला एस्ट्रोसैट पर लगे अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप से प्राप्त डाटा पर आधारित है।
  • वैज्ञानिकों ने स्पेक्ट्रोस्कोपी का उपयोग करके M67 में वैम्पायर स्टार की सतह की संरचना का अध्ययन किया जिसे WOCS 9005 कहा जाता है। 
    • स्पेक्ट्रोस्कोपी एक ऐसी तकनीक है जिसमें तारे का प्रकाश इंद्रधनुष की तरह उसके रंगों में बिखर जाता है। तारों का स्पेक्ट्रा बार-कोड होता है जो इसकी सतह/वायुमंडलीय रसायन विज्ञान को समझता है।
  • वैज्ञानिकों के अनुसार इसका वायुमंडल बेरियम, यट्रियम और लैंथेनम जैसे भारी तत्वों से समृद्ध है।

  • स्पेक्ट्रम में भारी तत्वों की उपस्थिति वैम्पायर स्टार का वायुमंडल प्रदूषित होने और प्रदूषण का स्रोत बाहरी होने की ओर इशारा करती है। 
    • यह बाहरी स्रोत संभवतः दोहरे तारा प्रणाली का दूसरा तारा है, जो बाद में एक सफ़ेद बौना तारा बन गया होगा।
  • शोधकर्ताओं के अनुसार, वर्तमान में दृश्यमान ब्लू स्ट्रैगलर तारा अपने गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के कारण इस बेरियम-समृद्ध पदार्थ का अधिकांश हिस्से का उपभोग कर स्वयं को पुनर्जीवित कर रहा है।
  • एक बार पुन: युवा होने के बाद ये तारे सूर्य जैसे एकल तारों की तुलना में भिन्न प्रकार के विकास मार्ग का अनुसरण करते हैं।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR