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इलेक्ट्रॉनिक युद्धके विविध आयाम

प्रारम्भिक परीक्षा

(अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)

मुख्य परीक्षा

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव।साइबर सुरक्षा)

संदर्भ 

  • हाल ही में लेबनान में पेजर विस्फोटों की एक श्रृंखला के परिणामस्वरूप लगभग 34 लोगों की मौत हो गई और 2,700 से अधिक लोग घायल हो गए। हिजबुल्लाह का दावा है कि मोसाद ने इन पेजर्स या ‘बीपर्स’के अंदर विस्फोटक लगाए थे।
  • रिपोर्ट बताती है कि विस्फोट के पीछे लिथियम बैटरी का अधिक गर्म होना एक संभावित कारण हो सकता है। मोबाइल फोन, लैपटॉप और इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स में आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली लिथियम बैटरी 1,100 डिग्री फ़ारेनहाइट (590 डिग्री सेल्सियस) के करीब या उससे ज़्यादा तापमान पर जल सकती हैं।

क्या है पेजर

  • पेजर एक रेडियो-संचालित इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जिसका उपयोग संक्षिप्त पाठ संदेश प्रसारित करने के लिए किया जाता है। 
    • इस डिवाइस को सामान्यत: केवल संदेश प्राप्त करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, लेकिन कुछ मामलों में इसका उपयोग संदेश भेजने के लिए भी किया जा सकता है। 
  • जब पेजर किसी नए संदेश के साथ बीप करता है, तो प्राप्तकर्ता को संदेश का जवाब देने के लिए पास के सार्वजनिक या लैंडलाइन फोन का उपयोग करना होता है।
  • 1990 के दशक के अंत में मोबाइल युग से पहले पेजर का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता था। 
    • यह डॉक्टरों, पत्रकारों और आपातकालीन स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए एक महत्वपूर्ण संचार उपकरण था।

पेजर के प्रमुख प्रकार 

  • संख्यात्मक : संख्यात्मक पेजर केवल संख्याएँ प्रदर्शित कर सकता है। यह उपयोग करने के लिए सबसे सरल और आसान पेजर है। 
  • अल्फ़ान्यूमेरिक : अल्फ़ान्यूमेरिक पेजर, संख्याएँ और अक्षर दोनों प्रदर्शित कर सकता है।
  • उपयोग केस (Use Case) : उपयोग केस पेजर विशेष रूप से त्वरित अलर्ट और संपर्क जानकारी के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसे तत्काल संचार की आवश्यकता वाले  व्यवसायों द्वारा उपयोग किया जाता है।

पेजर के लाभ

  • कनेक्टिविटी रेंज: पेजर रेडियो फ्रीक्वेंसी पर काम करता है इसलिए यह दूरदराज के क्षेत्रों में भी नेटवर्क कवरेज प्रदान कर सकता है।
  • ट्रैक करना कठिन : सामान्यत: पेजर केवल संदेश प्राप्त करने के लिए होता है, इसलिए इसका पता लगाना मुश्किल होता है। यही एक मुख्य कारण है कि हिज़बुल्लाह समूह द्वारा पेजर का उपयोग किया जाता है। 
  • लंबी बैटरी लाइफ और टिकाऊपन: मोबाइल फोन की तुलना में, पेजर लंबी बैटरी लाइफ और टिकाऊपन के लिए जाना जाता है। साथ ही, मोबाइल फोन की तुलना में इनका उपयोग करना आसान भी है।

इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के बारे में 

इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (EW) उन सैन्य अभियानों को संदर्भित करता है जो सहायक प्रणालियों की रक्षा करते हुए दुश्मन के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को बाधित या धोखा देने के लिए विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम का उपयोग करते हैं। 

इसमें तीन मुख्य घटक शामिल हैं-

  • इलेक्ट्रॉनिक हमला (EA) : इसके अंतर्गत दुश्मन के रडार, संचार और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को बाधित करने के लिए जैमिंग, स्पूफिंग या अन्य साधनों का उपयोग करना शामिल है।
  • इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा (EP): इसके अंतर्गत अपने सहयोगी प्रणाली को इलेक्ट्रॉनिक हमले से बचाने के लिए किए गए उपाय, जैसे फ़्रीक्वेंसी हॉपिंग या एन्क्रिप्शन शामिल हैं।
  • इलेक्ट्रॉनिक समर्थन(ES) : इसके अंतर्गत दुश्मन के इलेक्ट्रॉनिक उत्सर्जन की निगरानी एवं विश्लेषण के माध्यम से खुफिया जानकारी इकट्ठा करना शामिल है।

इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में उपयोग किए जाने वाले उपकरणों में शामिल हैं-

  • जैमर: यह  दुश्मन के संचार एवं रडार उपकरणों को बाधित करने के लिए सिग्नल उत्सर्जित करता है।
  • रडार सिस्टम : दुश्मन की गतिविधियों का पता लगाने और उन पर नज़र रखने के लिए उपयोग किया जाता है।
  • इलेक्ट्रॉनिक सहायता उपाय (ESM): सिस्टम जो दुश्मन के सिग्नल को रोकते हैं और उनका विश्लेषण करते हैं।
  • प्रतिवाद : दुश्मन के सिस्टम को धोखा देने या गुमराह करने के लिए डिज़ाइन किए गए उपकरण, जैसे कि प्रलोभन या स्पूफिंग तकनीक।

इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और भारत 

भारतीय सशस्त्र बलों के पास समर्पित इलेक्ट्रॉनिक युद्ध इकाइयाँ हैं और उन्होंने घरेलू व विदेशी स्रोतों से विभिन्न EW प्रणालियाँ हासिल की हैं। कुछ उल्लेखनीय भारतीय EW हैं-

ग्राउंड-बेस्ड EW सिस्टम

  • संयुक्ता :भारतीय सेना के लिए DRDO और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स ने इसका विकास किया है। युद्ध क्षेत्र के अग्रिम पंक्ति पर तैनात संयुक्ता सेना को दुश्मन के संसाधनों को बाधित एवं उनकी निगरानी करके दुश्मन पर सामरिक लाभ प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
  • हिमशक्ति : पर्वतीय क्षेत्रों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने इसका विकास किया है। यह प्रणाली 10,000 वर्ग किलोमीटर (3,861 वर्ग मील) में मोबाइल फोन, वायरलेस फोन, सैटेलाइट फोन और रेडियो रिसीवर द्वारा उत्सर्जित विद्युत चुम्बकीय आवृत्तियों को प्रतिबंधित कर सकता है।
  • आकाश : यह रडार जैमिंग और लक्ष्यीकरण सहायता के लिए वायु रक्षा प्रणालियों के साथ एकीकृत है। 
  • कवच : एक उन्नत इलेक्ट्रॉनिक काउंटर सिस्टम जिसे विमान को आने वाली मिसाइलों से बचाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

नौसेना EW सिस्टम

  • शक्ति : शक्ति को रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स अनुसंधान प्रयोगशाला (DLRL) हैदराबाद द्वारा डिजाइन  एवं विकसित किया गया है। यह प्रणाली आधुनिक रडार व एंटी-शिप मिसाइलों के खिलाफ रक्षा की एक इलेक्ट्रॉनिक परत प्रदान करती है ताकि समुद्री युद्ध के मैदान में इलेक्ट्रॉनिक प्रभुत्व  तथा उत्तरजीविता सुनिश्चित की जा सके।
  • वरुण : यह नौसेना के जहाजों के लिए इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों का एक बेड़ा है जो रडार जैमिंग और इलेक्ट्रॉनिक खुफिया जानकारी प्रदान करता है।
  • धनुष :यह  नौसेना के प्लेटफार्मों पर EW क्षमताओं को एकीकृत करता है तथा जटिल वातावरण में परिचालन प्रभावशीलता को बढ़ाता है।

स्वदेशी मानव रहित हवाई वाहन (UAV)

रुस्तम-2: यह टोही और खुफिया जानकारी जुटाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक निगरानी क्षमताओं से लैस है।

एयरबोर्न EW सिस्टम

  • एयरबोर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम : इसमें दुश्मन के विमानों और मिसाइल खतरों का पता लगाने और उन्हें ट्रैक करने के लिए उन्नत रडार  एवं इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताएँ शामिल हैं।
  • नेत्र: एक हवाई प्रारंभिक चेतावनी एवं नियंत्रण प्रणाली जिसमें इलेक्ट्रॉनिक युद्ध कार्य भी शामिल हैं।

सिग्नल इंटेलिजेंस (SIGINT)

  • रोहिणी रडार सिस्टम : यह रडार सिग्नल इंटेलिजेंस के लिए उपयोग किया जाता है, जो रडार उत्सर्जन की पहचान एवं विश्लेषण करने में सक्षम है।
  • भरणी: यह युद्धक्षेत्र प्रबंधन एवं खुफिया जानकारी के लिए डिज़ाइन किया गया निम्न स्तर का हल्का वजन वाला एक रडार है।

सुझाव 

  • R&D में निवेश: स्वदेशी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान एवं विकास के लिए वित्त पोषण में वृद्धि की जानी चाहिए।
    • भारत स्वदेशी तकनीकों को विकसित करने के लिए समर्पित EW अनुसंधान केंद्र स्थापित कर सकता है।
  • प्रशिक्षण एवं शिक्षा को बढ़ावा : कुशल कार्यबल बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक युद्ध रणनीति व प्रौद्योगिकियों में कर्मियों के लिए समय- समय पर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जाना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए, अमेरिका EW प्रशिक्षण के लिए उन्नत सिमुलेशन टूल का उपयोग करता है। भारत भी इस दिशा में कार्य कर सकता है। 
  • मित्र राष्ट्रों के साथ सहयोग : इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में ज्ञान, प्रौद्योगिकियों और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए सहयोगी देशों के साथ साझेदारी को मजबूत करने पर बल दिया जाना चाहिए। 
    • उदाहरण के लिए, भारत ज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान के लिए यू.एस., इज़राइल, ऑस्ट्रेलिया और रूस जैसे देशों के साथ साझेदारी की तलाश कर सकता है।
  • प्रणालियों का एकीकरण : वायु, भूमि और नौसेना बलों में निर्बाध संचालन के लिए मौजूदा सैन्य प्रणालियों के साथ इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं को एकीकृत करने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। 
    • उदाहरण के लिए, नाटो बहु-डोमेन संचालन पर बल देता है, जो भूमि, वायु, समुद्र और साइबर क्षमताओं को एकीकृत करता है।
  • प्रतिवाद क्षमता का विकास : संचालन में लचीलापन सुनिश्चित करते हुए दुश्मन की इलेक्ट्रॉनिक युद्ध रणनीति के खिलाफ प्रभावी प्रतिवाद क्षमता विकसित करने करने के लिए निवेश पर बल देना जरूरी है। 
    • उदाहरण के लिए, संघर्षों में रूस द्वारा इलेक्ट्रॉनिक प्रतिवाद (ECM) का उपयोग उल्लेखनीय है।
  • सिग्नल इंटेलिजेंस (SIGINT) पर बल : भारत दुश्मन के संचार की निगरानी और विश्लेषण करने के लिए परिष्कृत SIGINT प्लेटफ़ॉर्म में निवेश कर सकता है।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी : भारत EW तकनीक विकसित करने में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित कर सकता है।
  • फील्ड परीक्षण एवं अभ्यास : वास्तविक दुनिया के परिदृश्यों में इलेक्ट्रॉनिक युद्ध रणनीति और प्रौद्योगिकियों का मूल्यांकन एवं सुधार करने के लिए नियमित फील्ड परीक्षण तथा संयुक्त अभ्यास आयोजित किए जाने चाहिए। 
  • नीतिगत रूपरेखा : एक स्पष्ट नीतिगत रूपरेखा स्थापित करें जो इलेक्ट्रॉनिक युद्ध पहलों के लिए रणनीतिक उद्देश्यों एवं दिशानिर्देशों को रेखांकित करती है।
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