(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3: प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास) |
संदर्भ
- आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में ‘विनियमन में कमी लाने का आह्वान किया गया है और सरकार से बाधा न डालने का आग्रह किया गया है ताकि व्यवसाय को आसानी से जारी रखा जा सकें। हालाँकि, यह व्यवहार में पूरी तरह से लागू नहीं दिखाई देता है। ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र भी विनियमन में कमी लाने के प्रति आशावादी है।
- ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र अपनी उच्च विकास क्षमता के बावजूद 28% जी.एस.टी. बोझ, पूर्वव्यापी कर मांग और नियामक अनिश्चितता का सामना कर रहा है जो इस क्षेत्र की बढ़ती संभावनाओं को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।
ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र की बढ़ती संभावनाएं
- वैश्विक प्रतिस्पर्धा के अवसर : ऑनलाइन कौशल-आधारित गेमिंग एक उभरता हुआ क्षेत्र है जहां तीन स्टार्टअप पहले ही यूनिकॉर्न बन चुके हैं। ऐसे में इसमें प्रोग्रामिंग, डिजाइन एवं स्टोरी टेलिंग प्रतिभा का उपयोग कर भारत को वैश्विक स्तर पर तकनीकी लीडरबोर्ड में शीर्ष पर पहुँचाने की क्षमता है।
- 650 मिलियन स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं और आधी आबादी के 35 वर्ष से कम आयु के होने के कारण भी भारत प्रौद्योगिकी नवाचार एवं वित्तीय लाभ के दृष्टिकोण से ऑनलाइन गेमिंग में अन्य देशों से आगे निकल सकता है।
- अर्थव्यवस्था में योगदान : एक रिपोर्ट में भी ऑनलाइन गेमिंग को भारत में सबसे तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में से एक बताया गया है जिसका कारोबार वर्ष 2023 में 33,000 करोड़ रुपए रहा है। यह वर्ष 2023-2028 के बीच 14.5% की CAGR से बढ़ते हुए 66,000 करोड़ रुपए तक पहुँच सकता है।
- डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा : ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र भारत के 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था विकसित करने के लक्ष्य में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
- रोजगार सृजन : ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र रोजगार सृजन एवं आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है जिससे पिछले कुछ वर्षों में पहले ही दो लाख नौकरियों के अतिरिक्त 2-3 लाख अतिरिक्त प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष नौकरियाँ सृजित करने की संभावना है।
- इनमें डेवलपर्स, प्रोग्रामर, परीक्षक, कलाकार एवं इमर्सिव गेम प्ले विकसित करने के लिए आवश्यक ग्राहक सहायता आदि शामिल हैं।
- क्रिएटर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा : पिछले एक दशक में भारत का गेमिंग सेक्टर गेमिंग कंटेंट क्रिएटर्स के उदय से प्रेरित होकर एक अरब डॉलर तक पहुँच गया है।
- इंडिया गेमिंग रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत में लगभग तीन लाख क्रिएटर एवं स्ट्रीमर 600 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ताओं तक पहुँच चुकें हैं।
- इसके अतिरिक्त, गुणवत्ता वाली गेमिंग सामग्री की उच्च माँग ने उत्पादन, संपादन एवं ग्राफिक डिज़ाइन में सहायक रोजगार के अवसर भी सृजित किए हैं।
- प्रौद्योगिकियों का संवर्धन : गेमिंग से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी तकनीकों का संवर्धन हो रहा है।
ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र के समक्ष चुनौतियाँ
- राज्यों द्वारा प्रतिबंध : कुछ राज्यों द्वारा ऑनलाइन गेमिंग को लेकर प्रतिबंधात्मक नीतियां अपनाई जा रही हैं। हालाँकि, कर्नाटक एवं तेलंगाना जैसे राज्य एनीमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग व कॉमिक्स क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए अनेक सुधारात्मक कदम उठा रहे हैं।
- उच्च कराधान : केंद्र एवं राज्य सरकारों ने सर्वसम्मति से ऑनलाइन गेमिंग पर 28% जी.एस.टी. लगाया है। इस दर को प्राय: जुआ, शराब एवं तंबाकू जैसे सार्वजनिक रूप से हानिकारक विषयों पर आरोपित किया जाता है।
- कानूनी चुनौतियाँ : कुछ राज्य सरकारों ने ऑनलाइन गेमिंग को जुए के हिस्से के रूप में वर्गीकृत किया था। हालाँकि, न्यायपालिका ने इन प्रतिबंधों को असंवैधानिक बताया और स्पष्ट किया कि ‘कौशल युक्त गेम’ कानूनी हैं और इसे जुए के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है।
- साइबर सुरक्षा : ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र के विकास के साथ साइबर हमले भी बढ़े हैं। वर्ष 2021 के सर्वेक्षण में 75% से अधिक भारतीय गेमर्स ने अपने अकाउंट पर हमले को रिपोर्ट किया है।
- यह डाटा उल्लंघनों, धोखाधड़ी व साइबर हमलों से बचाव के लिए बेहतर सुरक्षा उपायों की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
- धनशोधन एवं धोखाधड़ी : ऑनलाइन गेमिंग मनी लॉन्ड्रिंग एवं अन्य वित्तीय अपराधों को बढ़ावा दे सकता है जिसमें आपराधिक धन को इन-गेम ट्रेड या मुद्राओं के माध्यम से डायवर्ट किया जाता है।
आगे की राह
भारत में ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र की क्षमता को अधिकतम करने के साथ-साथ जुए व सट्टेबाजी के प्रतिकूल प्रभावों के प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता है। इस संदर्भ में निम्नलिखित विकल्प इस क्षेत्र में विकास को बढ़ावा दे सकते हैं:
- स्व-नियामक निकायों (SRBs) की स्थापना : सरकार को आईटी नियम, 2023 के कार्यान्वयन में तेजी लाकर SRBs की स्थापना करनी चाहिए जिससे गेमिंग उद्योग में आवश्यक लचीलापन, जोखिम का समाधान और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।
- केंद्रीय नियामक प्राधिकरण (गेमिंग आयोग) : भारत में गेमिंग क्षेत्र को विनियमित करने के उद्देश्य से यूनाइटेड किंगडम की तर्ज पर एक विनियामक आयोग की स्थापना की जा सकती है।
- BIS मानकों का उपयोग करना : भारतीय मानक ब्यूरो कौशल-खेलों को परिभाषित करने के लिए मानदंड स्थापित कर सकता है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा की खेल अनुमेयता मूल्यांकन वस्तुनिष्ठ एवं स्वतंत्र रूप से निर्धारित मानदंडों पर आधारित हो।
- जिम्मेदार गेमिंग के लिए आचार संहिता : ऑनलाइन गेमिंग की लत से निपटने के लिए सरकार गेमिंग कंपनियों के लिए जिम्मेदार गेमिंग प्रथाओं को अनिवार्य बनाने पर विचार कर सकती है जिनमें उपयोगकर्ताओं को खर्च किए गए समय और धन के बारे में चेतावनी देना, ब्रेक को प्रोत्साहित करना और उपयोगकर्ताओं को अपनी व्यक्तिगत मौद्रिक सीमा निर्धारित करने की अनुमति देना आदि शामिल किया जा सकता है।