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वाहन-से-ग्रिड (V2G) तकनीक

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3: प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव-विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन)

संदर्भ

केरल स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (KSEB) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे (IIT Bombay) ने राज्य में व्हीकल-टू-ग्रिड (Vehicle-to-Grid: V2G) तकनीक के संभावित कार्यान्वयन का मूल्यांकन करने के लिए एक पायलट परियोजना की शुरुआत की है। 

व्हीकल-टू -ग्रिड (V2G) तकनीक के बारे में 

  • क्या है : V2G ऐसी प्रौद्योगिकियाँ हैं जो इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की बैटरियों को ग्रिड में वापस बिजली (शक्ति) भेजने में सक्षम बनाती है। 
    • जब इलेक्ट्रिक वाहन उपयोग में नहीं होते हैं तब ये बैटरियाँ वितरण ग्रिड को सहारा देने वाले विकेंद्रीकृत बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली के रूप में कार्य कर सकती हैं।
    • जब किसी निष्क्रिय इलेक्ट्रिक वाहन को जब द्वि-दिशात्मक (Bi-directional) चार्जर से जोड़ा जाता है तो वह वितरण ग्रिड को समर्थन प्रदान कर सकता है।
  • V2G तकनीक के प्रमुख घटक : 
    • ग्रिड-टू-व्हीकल (G2V) : ग्रिड से वाहन की बैटरी को चार्ज करना
    • व्हीकल-टू-ग्रिड (V2G) : वाहन से ग्रिड में बिजली वापस भेजना
  • उद्देश्य
    • नवीकरणीय ऊर्जा, जैसे- सौर एवं पवन ऊर्जा के एकीकरण को सुविधाजनक बनाना
    • स्मार्ट ग्रिड सिस्टम को सक्षम करना
    • इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को लाभकारी एवं टिकाऊ बनाना
  • वर्तमान स्थिति : भारत में V2G तकनीक अभी शुरुआती चरण में है। हालाँकि, कुछ डिस्कॉम (DISCOM) ने स्मार्ट चार्जिंग एवं V2G एकीकरण के लिए पायलट प्रोजेक्ट की योजना बनाई है।
    • केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) ने रिवर्स चार्जिंग अर्थात् बैटरी से ग्रिड तक के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने के उद्देश्य से एक समिति का गठन किया है।

 वाहन-से-ग्रिड (V2G) तकनीक के लाभ 

  • ग्रिड स्थिरता : वर्तमान में बिजली की बढ़ती माँग के समय अतिरिक्त ऊर्जा प्रदान करके ग्रिड पर लोड (भार) कम करता है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा का समर्थन : दिन में सौर ऊर्जा का संग्रह करके रात में उसे ग्रिड को वापस लौटाया जा सकता है।
  • वित्तीय प्रोत्साहन : EV मालिकों को बिजली बेचने के बदले भुगतान मिल सकता है।
  • आपातकालीन बिजली स्रोत : आपदा की स्थिति में या ग्रिड फेल होने की स्थिति में बैटरियों से प्राप्त बिजली का उपयोग किया जा सकता है। 
  • स्मार्ट चार्जिंग : समय आधारित दरों के माध्यम से अधिक कुशल चार्जिंग।

भारत में V2G तकनीक की प्रमुख चुनौतियाँ

  • नीतिगत एवं विनियामक बाधाएँ : भारत की वर्तमान बिजली बाजार संरचना EVs जैसी विकेंद्रीकृत प्रणालियों को वापस ग्रिड में शक्ति (विद्युत्) लौटाने की अनुमति नहीं देती है। इसके लिए वर्तमान विद्युत नियमों में संशोधन की आवश्यकता है।
  • तकनीकी अवसंरचना की कमी : द्वि-दिशात्मक चार्जर, स्मार्ट मीटर एवं उन्नत चार्जिंग स्टेशन जैसी तकनीकों की उपलब्धता व पहुँच बहुत सीमित है।
    • इसके अलावा EVs एवं ग्रिड के बीच तालमेल के लिए आवश्यक तकनीकी मानकों का अभाव है। इस तकनीक में इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियों की चार्जिंग एवं डिस्चार्जिंग दोनों पर विचार करना होगा।
  • आर्थिक व्यवहार्यता एवं निवेश की कमी : V2G तकनीक में निवेश की लागत उच्च है और इसका लाभ अभी स्पष्ट नहीं है तथा EV मालिकों को प्रोत्साहन देने के लिए कोई ठोस आर्थिक मॉडल नहीं है।
  • बैटरी पर प्रभाव : बार-बार चार्ज एवं डिस्चार्ज करने से इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियों का जीवनकाल कम हो सकता है।
  • EV स्वामित्व और उपयोग में विविधता : भारत में EVs की संख्या अभी बहुत सीमित है और उपयोग मुख्यत: व्यक्तिगत स्तर तक सीमित है।
  • जागरूकता एवं प्रशिक्षण की कमी : EV मालिकों, डिस्कॉम एवं नीति-निर्माताओं के बीच V2G तकनीक की जानकारी व समझ का अभाव है।
    • इसके लिए प्रशिक्षण एवं कौशल विकास की ज़रूरत है ताकि तकनीकी कार्यबल तैयार हो सके।

सुझाव/आगे की राह 

भारत में वाहन-से-ग्रिड (V2G) तकनीक को सफलतापूर्वक अपनाने एवं उपर्युक्त चुनौतियों से निपटने के लिए एक बहुआयामी रणनीति की आवश्यकता है इसके लिए निम्नलिखित प्रयास किए जाने चाहिए- 

स्पष्ट एवं सक्षम नीतियाँ बनाना

  • द्वि-दिशात्मक चार्जिंग के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश और मानक का निर्धारण  
  • EVs द्वारा ग्रिड को बिजली देने के लिए विनियामक अनुमति एवं टैरिफ मॉडल का विकास 
  • स्मार्ट चार्जिंग और डिस्चार्जिंग के लिए ToU (Time-of-Use) विद्युत् दरें तय करना 

तकनीकी एवं बुनियादी ढाँचा विकास

  • देशभर में द्वि-दिशात्मक चार्जिंग स्टेशन की स्थापना को बढ़ावा देना 
  • चार्जिंग एवं डिस्चार्जिंग को मॉनिटर करने के लिए स्मार्ट मीटरिंग सिस्टम को अनिवार्य बनाना 

वित्तीय प्रोत्साहन एवं सब्सिडी

  • EV मालिकों को बिजली ग्रिड में ऊर्जा वापस देने के लिए भुगतान या मुआवज़ा
  • बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMs) को V2G तकनीक अपनाने के लिए सरकारी सहायता प्रदान करना 
  • पायलट प्रोजेक्ट्स और R&D के लिए बजट आवंटन बढ़ाया जाना 

जागरूकता एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम

  • आम नागरिकों को V2G तकनीक के लाभ एवं उपयोग के बारे में जानकारी देने के लिए जागरूकता अभियान
  • तकनीकी स्टॉफ एवं EV डीलर्स को V2G सिस्टम के संचालन व रखरखाव का प्रशिक्षण
  • डिस्कॉम कर्मचारियों को V2G के स्मार्ट ग्रिड से जुड़ी प्रक्रियाओं का व्यावसायिक प्रशिक्षण 

सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP मॉडल)

  • EV कंपनियों, चार्जिंग नेटवर्क ऑपरेटर्स एवं ग्रिड एजेंसियों के बीच सहयोग व साझेदारी को बढ़ावा देना 
  • IITs, IISc एवं अन्य तकनीकी संस्थानों को रिसर्च व पायलट प्रोजेक्ट्स में भागीदारी बढ़ाना 

बैटरी प्रौद्योगिकी में सुधार

  • V2G उपयोग के लिए अनुकूल दीर्घकालिक एवं उच्च चक्र जीवन वाली बैटरियों पर अनुसंधान किया जाना 
  • बैटरी स्वास्थ्य निगरानी प्रणाली (Battery Management System: BMS) का विकास 

निष्कर्ष

व्हीकल-टू-ग्रिड (V2G) प्रौद्योगिकी ऊर्जा क्षेत्र में एक क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती है, जिससे न केवल ग्रिड की स्थिरता में सुधार होगा, बल्कि नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को भी बढ़ावा मिलेगा। भारत में जैसे-जैसे EV अपनाने की गति बढ़ रही है, वैसे-वैसे V2G जैसे अभिनव समाधानों की आवश्यकता और इनकी संभावनाएँ भी बढ़ रही हैं। यह तकनीक एक हरित, लचीले एवं स्मार्ट ऊर्जा भविष्य की कुंजी बन सकती है।

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