चर्चा में क्यों?
हाल ही में, जहाजरानी मंत्रालय द्वारा समुद्री यातायात सेवा एवं पोत यातायात निगरानी व्यवस्था (VTMS) हेतु स्वदेशी सॉफ्टवेयर समाधानों के विकास का अनावरण किया गया है।
मुख्य बिंदु
- जहाजरानी मंत्रालय द्वारा स्वदेशी वी.टी.एम.एस. सॉफ्टवेयर के विकास हेतु आई.आई.टी. चेन्नई को 10 करोड़ रुपए की राशि मंजूर की गई है।
- वी.टी.एम.एस. सॉफ्टवेयर प्रणाली आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना के अनुरूप ‘मेड इन इंडिया’ तथा ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ के विज़न को साकार करेगी।
- ध्यातव्य है कि इस सॉफ्टवेयर को आगामी 10 महीनों में एक प्रायोगिक परियोजना के रूप में विकसित किया जाएगा।
स्वदेशी वी.टी.एम.एस. की आवश्यकता
- वर्तमान में भारतीय तट के साथ 15 वी.टी.एम.एस. प्रणाली कार्यरत हैं लेकिन इन प्रणालियों में एकरूपता का अभाव है।
- भारतीय बंदरगाहों के यातायात प्रबंधन हेतु उच्च लागत वाले विदेश निर्मित सॉफ्टवेयर द्वारा उपलब्ध सुविधाओं पर आश्रित रहने की बजाय देश की आवश्यकताओं के अनुकूल स्वदेशी प्रणाली के विकास पर जोर दिया जाना चाहिये।
स्वदेशी वी.टी.एम.एस. के लाभ
- यह सॉफ्टवेयर पोत की स्थिति का पता लगाने, मौसम सम्बंधी चेतावनी देने, समुद्री वातावरण, आस-पास के किनारों के क्षेत्रों, कार्य स्थलों और समुद्री यातायात के सम्भावित दुष्प्रभावों से सुरक्षा करने में सहायक होगा।
- इस सॉफ्टवेयर की सहायता से समुद्री यातायात से सम्बंधित आपातकालीन स्थितियों से शीघ्रता से निपटा जा सकता है।
- यातायात परिचालान के आँकडों को प्रशासन, बंदरगाह प्राधिकरण, तटरक्षक बल द्वारा खोज और बचाव कार्यों हेतु महत्त्वपूर्ण जानकारी को संग्रहित किया जा सकता है।
- भारतीय वी.टी.एम.एस. सॉफ्टवेयर की उपलब्धता से इस क्षेत्र में कार्यरत भारतीय कम्पनियाँ को वैश्विक स्तर पर निविदाओं और परियोजनाओं को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।
- स्वदेशी वी.टी.एम.एस. सॉफ्टवेयर के विकास से इस क्षेत्र में होने वाले विदेशी मुद्रा खर्च में कमी आएगी। साथ ही, अन्य देशों पर भी निर्भरता कम होगी।
निष्कर्ष
भारत द्वारा इस सॉफ्टवेयर की सुविधाओं को भारत के व्यापार साझीदार जैसे मालदीव, मॉरीशस, म्यांमार, श्रीलंका, बांग्लादेश और खाड़ी देशों को प्रदान किया जा सकेगा, जिससे इन देशों के साथ भारत के सम्बंध और मज़बूत होंगे। साथ ही, यह सॉफ्ट पॉवर के रूप में भारत के प्रभुत्व में वृद्धि करेगा।