प्रारंभिक परीक्षा - वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3 - सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियाँ एवं उनका प्रबंधन |
सन्दर्भ
- हाल ही में, केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री द्वारा अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती गांव किबितू में 'वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम' का शुभारंभ किया गया।
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम
- वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ योजना की घोषणा की गई।
- यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसे वित्तीय वर्ष 2022-23 से 2025-26 तक लागू किया जायेगा।
- इस योजना पर 2022 से 2026 तक 4800 करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगे
- 4800 करोड़ रुपये के वित्तीय आवंटन में से 2500 करोड़ रुपए का उपयोग सड़कों के लिए किया जाएगा।
- वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश तथा केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में चीन सीमा से सटे 19 जिलों के 46 ब्लॉकों में 2967 गांवों की व्यापक विकास के लिए पहचान की गई है।
- कार्यक्रम के पहले चरण में, 46 ब्लॉक्स में 662 गांवों की लगभग 1 लाख 42 हज़ार की आबादी को कवर किया जाएगा।
- वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के द्वारा जिन प्रमुख उद्देश्यों को हासिल करने का प्रयास किया गया है उनमें- सभी मौसम अनुकूल सड़क, पेयजल, 24X7 सौर तथा पवन ऊर्जा पर केंद्रित विद्युत आपूर्ति, मोबाइल तथा इंटरनेट कनेक्टिविटी, पर्यटक केंद्र, बहुद्देशीय सेंटर तथा स्वास्थ्य एवं वेलनेस सेंटर- शामिल है।
- इस योजना के तहत आवासीय व पर्यटक केंद्रों का निर्माण, सड़क संपर्क तथा विकेंद्रित नवीनीकृत ऊर्जा स्त्रोतों का विकास किया जाएगा। साथ ही घरों तक दूरदर्शन और शिक्षा संबंधित चैनलों की सीधे पहुँच प्रदान की जाएगी तथा आजीविका के लिये सहयोग दिया जाएगा।
- इस योजना के अंतर्गत जिला प्रशासन द्वारा ग्राम पंचायतों के सहयोग से वाइब्रेंट विलेज एक्शन प्लान बनाए जाएंगे और केंद्र व राज्य की योजनाओं की शत-प्रतिशत पूर्ति सुनिश्चित की जाएगी।
- चीन ने विगत कुछ वर्षों में भारत के साथ-साथ भूटान और नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में मॉडल गाँवों का विकास किया है।
- वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम को इन मॉडल गाँवों के प्रत्युत्तर के रूप में देखा जा रहा है।
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के उद्देश्य
- भारत की उत्तरी सीमा के सीमावर्ती गांव में स्थानीय प्राकृतिक मानव और अन्य संसाधनों के आधार पर आर्थिक प्रेरकों की पहचान और विकास करना।
- वास्तविक नियंत्रण रेखा(LAC) के समीप स्थित गावों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करना।
- लोगों को सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने मूल स्थानों पर रहने के लिए प्रोत्साहित करना तथा इन गांवों से पलायन रोकना।
- सामाजिक उद्यमिता प्रोत्साहन, कौशल विकास तथा उद्यमिता के माध्यम से युवाओं व महिलाओं को सशक्त बनाकर “हब एंड स्पोक मॉडल”पर विकास केंद्रों को विकसित करना।
- स्थानीय संस्कृति, पारंपरिक ज्ञान और विरासत प्रोत्साहन के माध्यम से पर्यटन क्षमता का लाभ उठाना।
- समुदाय आधारित संगठनों, सहकारिता, एसएचजी, एनजीओ के माध्यम से “एक गांव एक उत्पाद” की अवधारणा पर स्थायी इको-एग्री बिजनेस का विकास करना।