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विक्रांत: विमानवाहक पोत

प्रारंभिक परीक्षा - विक्रांत: विमानवाहक पोत
मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-3

चर्चा में क्यों

रक्षा खरीद बोर्ड (Defence Procurement Board) ने विक्रांत जैसे दूसरे विमानवाहक पोत के लिए नौसेना के प्रस्ताव पर चर्चा किया।

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प्रमुख बिंदु :

  • रक्षा सूत्रों के अनुसार रक्षा खरीद बोर्ड  (DPB) ने पिछले सप्ताह 45,000 टन क्षमता वाला दूसरा विक्रांत जैसा विमानवाहक पोत प्राप्त करने के भारतीय नौसेना के प्रस्ताव पर चर्चा की और जिसकी अनुमानित लागत लगभग ₹40,000 करोड़ है।
  • हालांकि, डीपीबी से मंजूरी के बाद इसे रक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) द्वारा अंतिम मंजूरी के लिए रखा जाएगा।
  • इस परियोजना के तहत देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक (Indigenous Aircraft Carrier) (IAC) INS विक्रांत के डिज़ाइन में कुछ संशोधन कर तैयार किया जाएगा।
  • इसका निर्माण भी कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) द्वारा किया जाएगा।

विक्रांत: विमानवाहक पोत

  • आईएनएस विक्रांत 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा 44,800 टन विस्थापन (carrier displacing tonnes)क्षमता से युक्त है।
  • इस जहाज के डिजाइन पर काम 1999 में शुरू हुआ था (Design of INS Vikrant) और 12 अगस्त 2013 को लॉन्च किया गया।
  • यह चार जनरल इलेक्ट्रिक एलएम 2500 इंजनों( General Electric LM2500 engines) द्वारा संचालित होता है। इसकी अधिकतम गति 28 समुद्री मील है।
  • यह पोत विमान-संचालन मोड (aircraft-operation mode) का उपयोग करता है जिसे शॉर्ट टेक ऑफ बट अरेस्टेड रिकवरी (Short Take Off But Arrested Recovery) (STOBAR) के रूप में जाना जाता है
  • इसमे विमानों को लॉन्च करने के लिए स्की-जंप (ski- jump) और जहाज पर उनकी रिकवरी के लिए तीन 'अरेस्टर तारों' के एक सेट है।
  • इसके अलावा नौसेना 44,500 टन के वाहक आईएनएस विक्रमादित्य का भी संचालन करती है,इसे रूस से खरीदा गया एवं नवंबर 2013 में शामिल किया गया था।
  • लंबे समय से विमानवाहक पोत पर केंद्रित रखने वाली नौसेना ने 65,000 टन के विस्थापन के साथ एक IAC-2 और विमान लॉन्च करने के साथ-साथ पूर्ण-इलेक्ट्रिक प्रणोदन के लिए एक कैटापुल्ट असिस्टेड टेक ऑफ बट अरेस्टेड रिकवरी (CATOBAR) प्रणाली की परिकल्पना की थी।
  • इस  नई प्रौद्योगिकियों में  बहुत अधिक लागत और निर्माण समय के कारण ही नौसेना ने विक्रांत के जैसे विमान  वाहक के निर्माण के लिए समझौता किया है।

विमान वाहक पोत की आवश्यकता:

  • रक्षा पर संसदीय स्थायी समिति ने कहा था कि किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तीन विमान वाहक पोत एक अपरिहार्य आवश्यकता है।
  • भारतीय प्रायद्वीप के दोनों किनारों पर लंबी तटरेखा और शत्रुतापूर्ण प्रतिकूलताओं के करना भारत के दोनों तट पर एक-एक विमान वाहक पोत होना चाहिए।
  • भारतीय समुद्री सीमा की सुरक्षा को बनाए रखने के लिए तट के किनारों निरीक्षण सर्वोत्कृष्ट उपाय है।

प्रश्न:  निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 

  1. आईएनएस विक्रांत 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा 44,800 टन विस्थापन क्षमता से युक्त है।
  2. आईएनएस विक्रांत जहाज के डिजाइन पर काम 1999 में शुरू हुआ था  और 12 अगस्त 2015 को लॉन्च किया गया।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं ?

(a) केवल 1  

(b) केवल 2  

(c) कथन 1 और 2 

(d) न तो 1 ना ही 2 

उत्तर: (a)

मुख्य परीक्षा प्रश्न : विमानवाहक पोत क्या है? विक्रांत विमानवाहक पोत के प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

स्रोत: the hindu

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