(प्रारंभिक परीक्षा : भारतीय राज्यतंत्र और शासन) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : संसद एवं राज्य विधायिका, प्रमुख संस्थान) |
संदर्भ
हिमाचल प्रदेश के मंडी से नव-निर्वाचित लोकसभा सदस्य कंगना रानौत के साथ केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल की महिला आरक्षी द्वारा किए गए कथित दुर्व्यवहार ने भारत में वी.आई.पी. (Very Important Person : VIP) सुरक्षा कवर से संबंधित मुद्दों को चर्चा के केंद्र में ला दिया है।
भारत में वी.आई.पी. सुरक्षा संबंधी प्रावधान
- गृह मंत्रालय द्वारा जारी ‘ब्लू बुक’ में वी.वी.आई.पी. की सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इसमें भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री तथा दौरे पर आने वाले राष्ट्राध्यक्ष शामिल हैं।
- राजनेताओं एवं अन्य वी.आई.पी. के लिए सुरक्षा ढांचे को ‘येलो बुक’ में परिभाषित किया गया है।
- अपराधियों, आतंकवादियों एवं अन्य असामाजिक तत्वों से खतरे की आशंका के बाद सुरक्षा व्यवस्था की जाती है।
- वर्ष 2015 में तत्कालीन गृह राज्य मंत्री ने राज्यसभा को सूचित किया था कि सांसदों सहित व्यक्तियों को सुरक्षा कवर व्यक्तिगत खतरे की आशंका के आधार पर प्रदान किया जाता है।
- राज्य सरकारें भी सांसदों को सुरक्षा प्रदान करती हैं।
- सुरक्षा का प्रत्येक स्तर किसी व्यक्ति की सुरक्षा के लिए तैनात कर्मियों की संख्या को दर्शाता है।
- ये कर्मी सामान्यत: NSG, SPG, CRPF एवं ITBP कैडर के होते हैं।
- ‘Z प्लस’, ‘Z’ एवं ‘Y’ जैसे सुरक्षा स्तरों में केवल कमांडो को ही गणमान्य व्यक्तियों के साथ नियुक्त किया जाता है।
- इसमें सिविल पुलिसकर्मी बदलते रहते हैं।
- जिस भी राज्य में वी.आई.पी. जाते हैं उस राज्य की जिम्मेदारी होती है कि वे उनके दल (सुरक्षा बल की टीम) को पूरा करने के लिए पुलिसकर्मी मुहैया कराएँ।
वी.आई.पी. सुरक्षा के प्रकार
विशेष सुरक्षा समूह
- विशेष सुरक्षा समूह (Special Protection Group : SPG) अधिनियम में नवीनतम संशोधन के अनुसार, एस.पी.जी. केवल तत्कालीन प्रधानमंत्री और उनके साथ रहने वाले निकटतम परिवार के सदस्यों को सुरक्षा प्रदान करता है।
- यह 3,000 सुरक्षा कर्मियों का बल है जिसमें अत्यधिक प्रशिक्षित कुत्तों (श्वान) का भी एक दस्ता होता है।
- एस.पी.जी. की स्थापना पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद वर्ष 1988 में भारतीय संसद के एक अधिनियम द्वारा की गई थी।
- एस.पी.जी. पर केंद्र सरकार का पूर्ण नियंत्रण होता है।
- गृह मंत्रालय (MHA) किसी व्यक्ति की खतरे की संभावना के आधार पर सुरक्षा कवर प्रदान करता है।
ज़ेड प्लस
- जेड प्लस सुरक्षा एस.पी.जी. कवर के बाद सबसे उच्च स्तर की सुरक्षा है।
- इस सुरक्षा कवर में सी.आर.पी.एफ. कमांडो के साथ 55 जवान शामिल होते हैं जो 24x7 सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति की सुरक्षा करते हैं।
- खुफिया इनपुट के आधार पर जरूरत पड़ने पर राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड कमांडो के रूप में अतिरिक्त सुरक्षा भी दी जाती है।
- सुरक्षा कवर में बुलेटप्रूफ वाहन और तीन शिफ्ट में एस्कॉर्ट भी शामिल है।
- जेड प्लस सुरक्षा बल के कमांडो को विशेषज्ञ मार्शल आर्ट और निहत्थे युद्ध का भी प्रशिक्षण दिया जाता है।
ज़ेड श्रेणी
- ज़ेड श्रेणी देश की तीसरी सबसे बड़ी सुरक्षा व्यवस्था है जिसमें कमांडो एवं पुलिस कर्मियों के साथ कुल 22 कर्मी शामिल होते हैं।
वाई-प्लस एवं वाई श्रेणी
- वाई श्रेणी की सुरक्षा में 8 से 11 कर्मी शामिल होते हैं, जिनमें कुछ कमांडो भी शामिल होते हैं।
- इसमें दो निजी सुरक्षा अधिकारी भी शामिल होते हैं।
एक्स श्रेणी
- एक्स श्रेणी सुरक्षा में 2 कर्मियों के साथ सुरक्षा कवर प्रदान किया जाता है जिनमें से दोनों सशस्त्र सिविल पुलिस अधिकारी होते हैं।
- यह सबसे प्रचलित सुरक्षा कवर है जिसे पूरे भारत में कई नागरिकों को प्रदान किया जाता है।
- इस सुरक्षा स्तर में कोई कमांडो शामिल नहीं होता है।
सुरक्षा स्तर का निर्धारण
- संघीय स्तर पर सुरक्षा स्तर का निर्धारण गृह मंत्रालय द्वारा जबकि राज्य स्तर पर राज्य सरकार द्वारा किया जाता है।
- सुरक्षा स्तर का मूल्यांकन खुफिया एजेंसियों, जैसे- इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB), रिसर्च एंड एनालिसिस विंग एवं राज्य ख़ुफ़िया विभाग से प्राप्त जानकारी पर आधारित होता है।
- विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी के आधार पर एजेंसियां आतंकवादियों या किसी अन्य समूह द्वारा किसी व्यक्ति के जीवन या चोट के लिए खतरे का व्यापक व्यक्तिपरक मूल्यांकन प्रदान करती हैं।
- कुछ व्यक्ति अपनी आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन के कारण स्वचालित रूप से सुरक्षा कवरेज के पात्र होते हैं।
सुरक्षा कर्मियों को भुगतान
- खुफिया एजेंसियों द्वारा मूल्यांकन के बाद सरकार जिन लोगों को सुरक्षा प्रदान करती है, उनका खर्च राज्य वहन करता है।
- ज़ेड एवं ज़ेड प्लस सुरक्षा वाले लोग जिनके सुरक्षा के हिस्से के रूप में बड़ी संख्या में कर्मचारी होते हैं, उन्हें कभी-कभी इन कर्मचारियों के लिए आवास की व्यवस्था करनी पड़ती है।
- ज़ेड श्रेणी के तहत निजी व्यक्ति सुरक्षा कवर के लिए भुगतान करता है।