(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, भूख और गरीबी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3 : गरीबी एवं भूख से संबंधित विषय, खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय)
संदर्भ
हाल ही में, खाद्य प्रणालियों और पोषण पर पहली बार स्वैच्छिक दिशानिर्देश को ‘विश्व खाद्य सुरक्षा समिति’ (CFS) के 47वें सत्र में सदस्यों द्वारा अनुसमर्थित किया गया। इसका उद्देश्य भूख और कुपोषण को समाप्त करना है।
विश्व खाद्य सुरक्षा समिति
विश्व खाद्य सुरक्षा समिति सभी के लिये खाद्य सुरक्षा और पोषण सुनिश्चित करने के लिये हितधारकों का एक अंतर्राष्ट्रीय और अंतर्सरकारी मंच है। इसकी मेज़बानी और सह-वित्त पोषण संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन द्वारा किया जाता है।
दिशा-निर्देश में फोकस एरिया
- इन दिशा-निर्देशों का विकास 7 प्रमुख बिंदुओं को ध्यान में रख कर किया गया है-
- पारदर्शी, लोकतांत्रिक और जवाबदेह शासन
- आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय स्थिरता तथा जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में स्वस्थ आहार प्राप्त करने के लिये सतत खाद्य आपूर्ति श्रृंखलाएँ
- सतत भोजन प्रणालियों के माध्यम से स्वस्थ आहार तक समान और न्यायसंगत पहुँच
- सतत खाद्य प्रणालियों में खाद्य सुरक्षा
- व्यक्ति केंद्रित पोषण ज्ञान, शिक्षा और सूचना
- खाद्य प्रणाली में लैंगिक समानता और महिला सशक्तीकरण
- मानवीय संदर्भों में लचीली भोजन प्रणाली
कारण
- इस अवसर पर जारी दस्तावेज़ के अनुसार, व्यापक खाद्य प्रणालियों के दृष्टिकोण का उपयोग करके सभी प्रकार की भूख और कुपोषण के उन्मूलन के प्रयासों में देशों का समर्थन करने के लिये ये दिशा-निर्देश विकसित किये गए हैं।
- इन दिशा-निर्देशों का निर्माण अन्य अंतर्राष्ट्रीय निकायों के कार्य और शासनादेश के पूरक के रूप में किया जाता है, जैसे- पोषण पर संयुक्त राष्ट्र कार्रवाई दशक (2016-2025) के लिये।
लाभ
- ये दिशा-निर्देश विशेष रूप से सबसे कमजोर और प्रभावित समूहों के साथ-साथ सभी के लिये राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के संदर्भ में पर्याप्त भोजन के अधिकार की प्राप्ति की बात करते हैं।
- साथ ही, ये दिशा-निर्देश नीति नियोजन एवं शासन पर ध्यान केंद्रित करते हैं ताकि खाद्य प्रणालियों को अधिक लचीला व उत्तरदायी बनाए जा सके तथा वह उपभोक्ताओं व उत्पादकों (विशेषकर छोटे और सीमांत किसान) की जरूरतों के अनुसार हो।
उपाय
- सरकारों को इन दिशा-निर्देशों को लागू करते समय आर्थिक और सामाजिक विकास की पूर्ण प्राप्ति में बाधा डालने वाले किसी भी एकतरफा आर्थिक, वित्तीय या व्यापार उपायों को बढ़ावा देने एवं उसको लागू करने से रोकने के लिये कहा गया है।
- इसके लिये राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय स्तर पर दिशा-निर्देशों का पालन तथा कार्यान्वयन और भी अधिक महत्वपूर्ण एवं चुनौतीपूर्ण है।