(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2; सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।) |
चर्चा में क्यों
हाल ही में,दो अलग-अलग राज्यों पश्चिम बंगाल एवं गुजरात में मतदाताओं को एक ही मतदाता फ़ोटो पहचान पत्र संख्या मिलने की कुछ रिपोर्टों परचुनाव आयोग द्वारा संज्ञान लेते हुए स्पष्टीकरण जारी किया गया।
मतदाता फोटो पहचान पत्र संख्या के बारे में
- मतदाता फोटो पहचान पत्र (Electors Photo Identification Card : EPIC) संख्या भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा प्रत्येक मतदाता को जारी किया जाने वाला 10 अंकों की मतदाता पहचान पत्र संख्या होती है।
- भारत के चुनाव आयोग द्वारा जारी किया गया मतदाता पहचानपत्र 18 वर्ष से अधिक आयु के भारतीय नागरिकों के लिए पहचान प्रमाण के रूप में कार्य करता है।
- यह कार्ड भारतीयों को नगरपालिका, राज्य और राष्ट्रीय चुनावों में अपना वोट डालने की भी अनुमति देता है।
ई.पी.आई.सी. संख्या के मुख्य उपयोग
- चुनावी सेवाओं तक पहुँच: ई.पी.आई.सी. संख्या की मदद से विभिन्न चुनावी सेवाओं तक पहुँच बनाई जा सकती है। जैसे;मतदाता स्थिति की जाँच करना, मतदाता पहचान पत्र पर जानकारी बदलना और मतदाता पहचान पत्र आवेदन करना।
- धोखाधड़ी से बचाव : प्रत्येक मतदाता के लिए ई.पी.आई.सी. संख्या अलग-अलग होने के कारण इससे फर्जी मतदान से बचा जा सकता है।
- पंजीकृत मतदाताओं की पहचान: इस संख्या होने से व्यक्ति के वोट देने की योग्यता का पताचलता हैं और साथ ही मतदाता सूची में विवरण पाया जा सकता है।
- चुनाव प्रक्रिया में भागीदारी: इस संख्या के आधार पर, मतदाता सूची का विवरण राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा निर्धारित किया जाता है।
संबंधित मुद्दे
- ई.पी.आई.सी. संख्या का दोहराव: अनेक राजनीतिक नेताओं द्वारा ई.पी.आई.सी. संख्या के दोहराव के आरोप लगाए गए हैं, जिससे निर्वाचन प्रणाली की शुचिता पर प्रश्नचिन्ह लगते हैं।
- बंगाल के कुछ प्रवासी श्रमिकों को आवंटित ई.पी.आई.सी. संख्या गुजरात व हरियाणा के मतदाताओं को भी आवंटित किए गए थे।
- दोहराव के कारण : चुनाव आयोग के अनुसार,विभिन्न राज्यों के कुछ मतदाताओं को समान ई.पी.आई.सी. संख्या/शृंखला का आवंटन, सभी राज्यों के मतदाता सूची डाटाबेस को ईआरओनेट प्लेटफॉर्म पर स्थानांतरित करने से पहले अपनाई गई विकेन्द्रीकृत और मैनुअल प्रणाली के कारण हुआ।
- ईआरओनेट एक वेब-आधारित प्लेटफॉर्म है, जिसे चुनाव अधिकारियों के लिए कई भाषाओं और लिपियों में विकसित किया गया है, ताकि पंजीकरण, स्थानांतरण और मतदाता सूची से नामों के विलोपन से संबंधित सभी प्रक्रियाओं का प्रबंधन किया जा सके।
चुनाव आयोग द्वारा स्पष्टीकरण
- चुनाव आयोग के अनुसार, कुछ मतदाताओं के ई.पी.आई.सी.संख्या समान हो सकते हैं, लेकिन जनसांख्यिकीय विवरण, विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र और मतदान केंद्र सहित अन्य विवरण समान ई.पी.आई.सी. नंबर वाले मतदाताओं के लिए अलग-अलग हैं।
- ई.पी.आई.सी. संख्या के समान होने के बावजूद, कोई भी मतदाता अपने राज्य के अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में केवल अपने निर्दिष्ट मतदान केंद्र पर ही वोट डाल सकता है, जहाँ वे मतदाता सूची में नामांकित हैं।
आगे की राह
- चुनाव आयोग द्वारा किसी भी आशंका को दूर करने के लिए पंजीकृत मतदाताओं को अद्वितीय ई.पी.आई.सी.संख्या आवंटित करने का निर्णय लिया गया है।
- फर्जी ई.पी.आई.सी. संख्या के किसी भी मामले को एक अद्वितीय ई.पी.आई.सी. संख्या आवंटित करके सुधार किया जाएगा।
- इस प्रक्रिया में सहायता के लिए ईआरओनेट 2.0 प्लेटफॉर्म को अपडेट करने की आवश्यकता है।