प्रारम्भिक परीक्षा – गिद्ध रेस्तरां मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर- 3 (पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी) |
संदर्भ
झारखंड में गिद्धों की घटती संख्या को संरक्षित करने के सक्रिय प्रयास में, कोडरमा जिले में एक 'गिद्ध रेस्तरां' स्थापित किया गया है।
उद्देश्य :-
- इस पहल का उद्देश्य गिद्धों पर पशुधन दवाओं, विशेष रूप से डाइक्लोफेनाक के प्रतिकूल प्रभाव को संबोधित करना है।
झारखंड में 'गिद्ध रेस्तरां' :-
- गिद्ध रेस्तरां की अवधारणा गिद्धों की घटती संख्या को बढ़ने के प्रयास से विकसित की गई है।
- कोडरमा जिले के तिलैया नगर परिषद के अंतर्गत गुमो में यह रेस्तरां स्थित है, जो एक हेक्टेयर क्षेत्र में विस्तृत है।
- इस रेस्तरां को पक्षियों के लिए भोजन स्थल के रूप में नामित किया गया है।
- गौशालाओं और नगर पालिकाओं से डाइक्लोफेनाक मुक्त शवों के लिए चंदवारा ब्लॉक में परिचालन का विस्तार करने की योजना पर काम चल रहा है।
गिद्ध रेस्तरां की विशेषता :-
- इसमें गिद्धों को जानवरों के शवों को परोसने से पहले डाइक्लोफेनाक या हानिकारक तत्वों की जाँच किया जाएगा।
- अन्य जानवरों के हस्तक्षेप को रोकने के लिए भोजन स्थल के चारों ओर बांस की बाड़ लगाई गई है।
गिद्धों का पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी महत्व :-
- गिद्धों की पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी स्वच्छता में भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है।
- यह जानवरों के शवों को तेजी से उपभोग करके पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी को स्वच्छ रखते हैं।
गिद्धों के विलुप्त होने के कारण :-
- पशुओं को दी जाने वाली प्रतिबंधित दर्द निवारक या सूजन रोधी दवा डाइक्लोफेनाक के व्यापक उपयोग से इनके गुर्दे ख़राब हो जाते हैं, जिससे इनकी मृत्यु हो जाती है।
- इस कारण ये विलुप्त होने के कगार पर पहुच गए हैं।
गिद्धों को बचने के लिए झारखंड सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास:-
- गिद्धों की गंभीर स्थिति को पहचानते हुए, झारखंड वन विभाग ने प्रभावी निगरानी के लिए जियो-टैगिंग के साथ-साथ एक गिद्ध व्याख्या और बचाव केंद्र स्थापित करने की योजना बनाई है।
- वन विभाग ने गिद्ध संरक्षण में जिले के महत्व पर जोर देते हुए, हज़ारीबाग से 100 किलोमीटर के दायरे को गिद्धों के लिए सुरक्षित क्षेत्र घोषित किया है।
- इस क्षेत्र में हाल ही में हज़ारीबाग वन्यजीव अभयारण्य में मिस्र के गिद्धों को देखा गया।
- वर्ष 2019 के बाद से गिद्धों की संख्या में वृद्धि हुई है।
- वर्ष 2022 के सर्वेक्षण में 38 गिद्धों की गिनती की गई थी, जो वर्ष 2023 में बढ़कर 145 हो गई है।
गिद्धों की संरक्षण स्थिति:-
- भारत में गिद्धों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम,1972 के 'अनुसूची IV' के अंतर्गत संरक्षित हैं।
- IUCN रेड डेटा सूची में इन्हें 'गंभीर रूप से लुप्तप्राय' के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
भारत में पाए जाने वाले गिद्धों की प्रमुख प्रजातियां :-
- भारत में गिद्धों की कुल 9 प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
इनमें से 6 प्रजातियाँ भारत की निवासी हैं, जो निम्न हैं –
- सफ़ेद दुम वाले गिद्ध,
- भारतीय गिद्ध,
- पतले चोंच वाले गिद्ध,
- लाल सिर वाले गिद्ध,
- दाढ़ी वाले गिद्ध,
- मिस्र के गिद्ध।
तीन प्रवासी प्रजातियाँ हैं:-
1.सिनेरियस गिद्ध, 2.ग्रिफ़ॉन गिद्ध, 3.हिमालयन गिद्ध।
भारत सरकार द्वारा गिद्धों के संरक्षण के लिए किये जा रहे कार्य:-
- पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने गिद्धों के संरक्षण के लिए एक 'गिद्ध जनसंख्या वर्ष 2020 -25' (गिद्ध कार्य योजना 2020-25) शुरू की है।
- यह कार्य योजना डिक्लोफेनाक दावा के न्यूनतम उपयोग को सुनिश्चित करती है।
- भारत में वर्ष 2001 में हरियाणा के पिंजौर में एक ‘गिद्ध देखभाल केंद्र’ (VCC) की स्थापना की गई।
- वर्ष 2004 में गिद्ध केयर सेंटर को अपग्रेड कर, भारत का पहला 'गिद्ध संरक्षण एवं जनरेशन केंद्र' (VCBC) की स्थापना की गई।
- वर्तमान भारत में नौ गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र हैं।
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प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न:- हाल ही में गिद्धों के संरक्षण के लिए किस राज्य ने गिद्ध रेस्तरां की शुरुवात की है?
(a) उत्तराखंड
(b) छत्तीसगढ़
(c) झारखण्ड
(d) हिमाचल प्रदेश
उत्तर: (c)
मुख्य परीक्षा प्रश्न:- दर्द निवारक या सूजन रोधी दवा डाइक्लोफेनाक का पक्षियों पर पड़ने वाले प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
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