(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, भारत का इतिहास और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1 व 3 : स्वतंत्रता संग्राम, विभिन्न सुरक्षा बल और संस्थाएँ तथा उनके अधिदेश) |
संदर्भ
15 जनवरी, 2025 को 77वें सेना दिवस के उपलक्ष्य पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह गलवान घाटी एवं डोकलाम सहित 77 स्थलों को युद्ध पर्यटन के रूप में चिह्नित किया है।
क्या है युद्ध पर्यटन
- युद्ध पर्यटन पद अतीत या वर्तमान में युद्ध या संघर्ष से जुड़े क्षेत्रों की मनोरंजक यात्रा को संदर्भित करता है।
- इन गंतव्यों में सक्रिय संघर्ष क्षेत्र, प्रसिद्ध युद्धक्षेत्र, युद्ध स्मारक, जेल शिविर और संग्रहालय शामिल हैं। इसे रणभूमि पर्यटन भी कहा जा रहा है।
भारत में युद्ध पर्यटन
- भारत के संदर्भ में युद्ध पर्यटन से संबंधित अधिकांश स्थल भारत से लगी चीन एवं पाकिस्तान की सीमाओं पर स्थित हैं, जिनका इतिहास स्वतंत्रता के बाद युद्धों और हाल के दिनों में अन्य संघर्षों का रहा है।
- इनमें मुख्य रूप से डोकलाम, गलवान घाटी, द्रास, कारगिल, सियाचिन बेस कैंप, लोंगेवाला (राजस्थान), बुम ला और किबिथू (अरुणाचल प्रदेश) शामिल हैं।
- इसका उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों में संपर्क, पर्यटन एवं सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।
- पर्यटन मंत्रालय द्वारा अतुल्य भारत अभियान के हिस्से के रूप में इन स्थलों को हाइलाइट किया जाएगा।
भारत रणभूमि दर्शन पोर्टल
- भारत रणभूमि दर्शन पोर्टल युद्ध पर्यटन स्थलों पर आगंतुकों के लिए वन-स्टॉप सेंटर होगा। इसमें 77 स्थलों और उनकी कहानियों के बारे में जानकारी शामिल होगी।
- इस पोर्टल के माध्यम से पर्यटक अपनी यात्रा योजना के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएँ कर सकेंगे, जिसमें कुछ स्थानों के लिए परमिट के लिए आवेदन करना भी शामिल है।
- इस पोर्टल पर विभिन्न युद्धक्षेत्रों और सीमावर्ती क्षेत्रों के बारे में विस्तृत जानकारी होगी, जिसमें वर्चुअल टूर, ऐतिहासिक कथाएँ एवं इंटरैक्टिव सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी।
प्रेगनेंसी टूरिज़्म
- वर्तमान में विश्व के कुछ हिस्सों की महिलाएँ, दंपति या युगल किसी विशिष्ट या अद्वितीय शारीरिक (या मानसिक) विशेषता की चाह में किसी विशेष समुदाय या भौगोलिक स्थिति के लोगों से गर्भधारण के लिए आती हैं या उनके स्पर्म का उपयोग करने के लिए आती हैं। इसे ही ‘प्रेगनेंसी टूरिज़्म’ कहा जा रहा है।
- वर्तमान समय में जर्मनी की कुछ महिलाएँ ब्रोकपा समुदाय के पुरुषों से गर्भधारण के लिए लद्दाख आती हैं। लद्दाख में निवास करने वाले ब्रोकपा समुदाय को शुद्ध आर्यन जाति की अंतिम पीढ़ी माना जाता हैं।
- इनमें इंडो-आर्यन विशेषताएँ, जैसे- लंबे बाल, हल्का या गोरा रंग, गाल की ऊँची हड्डियाँ और हल्के रंग की आँखें शामिल हैं। कई अफ़्रीकी देशों में भी इसका प्रचलन देखा जा रहा है।
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