प्रारंभिक परीक्षा- समसामयिकी, जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) संशोधन विधेयक, 2024, जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974, पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-3 |
संदर्भ-
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा राज्यसभा में प्रस्तुत ‘जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) संशोधन विधेयक, 2024’ 6 फरवरी, 2024 को पारित हो गया।
मुख्य बिंदु-
- यह विधेयक जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 में संशोधन करता है।
- विधेयक में वर्ष, 1974 के कानून में निर्धारित अनेक अपराधों को कारावास की श्रेणी से हटाकर केवल जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- प्रारंभ में यह विधेयक हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होगा।
- अन्य राज्य अपने राज्यों में इसे लागू करने के लिए प्रस्ताव पारित कर सकते हैं।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान-
1. उद्योग स्थापित करने के लिए अनुमति से छूट-
- वर्ष 1974 के कानून के अनुसार, किसी भी उद्योग या उपचार संयंत्र की स्थापना के लिए ‘राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड’ (SPCB) की पूर्व अनुमति आवश्यक है।
- जिन उद्योगों या संयंत्रों से जल निकाय, सीवर या भूमि में सीवेज के निकलने की संभावना है।
- इस विधेयक में यह प्रावधान है कि केंद्र सरकार ‘केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड’ (CPCB) के परामर्श से कुछ श्रेणियों के औद्योगिक संयंत्रों को ऐसी अनुमति लेने से छूट दे सकती है।
- SPCB द्वारा औद्योगिक संयंत्रों को मंजूरी देने, अस्वीकार करने या रद्द करने को लेकर केंद्र सरकार दिशानिर्देश जारी कर सकती है।
- SPCB से अनुमति प्राप्त किए बिना उद्योग स्थापित करने और संचालित करने पर 6 साल तक की कैद तथा जुर्माना लगाया जाएगा।
- उद्योग या उपचार संयंत्र स्थापित किए जाने वाले स्थान पर मॉनिटरिंग उपकरणों के साथ छेड़छाड़ को भी दंडनीय माना गया है।
- इसके लिए लगाया जाने वाला जुर्माना 10,000 रुपये से 15 लाख रुपये के बीच होगा।
2. प्रदूषणकारी सामग्री का निर्वहन-
- 1974 का अधिनियम किसी भी जहरीले, हानिकारक या प्रदूषणकारी पदार्थ को जलधारा में प्रवाहित करने पर रोक लगाता है।
- भूमि के सुधार के उद्देश्य से किसी स्थान पर किसी भी सामग्री को डंप करना अपराध नहीं माना गया है।
- वर्ष, 1974 के कानून में इन प्रावधानों का उल्लंघन करने पर डेढ़ साल से लेकर 6 साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान है।
- इस विधेयक के द्वारा सज़ा के प्रावधान को हटा दिया गया है।
- विधेयक केवल 10,000 रुपये से लेकर 15 लाख रुपये के बीच जुर्माना लगाता है।
3. अन्य अपराधों के लिए जुर्माना-
- जिस अपराध के लिए वर्ष, 1974 के कानून में सज़ा का स्पष्ट रूप प्रावधान नहीं है, उसमे 3 महीने तक की जेल या 10,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है।
- इस विधेयक में सजा के रूप में जेल के प्रावधान को हटा दिया गया है।
- विधेयक में केवल 10,000 रुपये से लेकर 15 लाख रुपये के बीच जुर्माने का प्रावधान है।
- जुर्माना देने में विफलता पर 3 साल तक की कारावास की सजा होगी या लगाए गए जुर्माने की राशि का दोगुना तक जुर्माना लगाया जाएगा।
4. दंड निर्धारित करने के लिए न्यायिक अधिकारी-
- विधेयक केंद्र सरकार को दंड निर्धारित करने के लिए न्यायिक अधिकारी नियुक्त करने की अनुमति देता है।
- यह अधिकारी केंद्र सरकार के संयुक्त सचिव या राज्य सरकार के सचिव स्तर का होना चाहिए।
- न्यायिक अधिकारी द्वारा लगाए गए जुर्माने का 10% जमा करने के बाद उसके निर्णय के विरुद्ध ‘राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण’ के समक्ष अपील की जा सकती है।
- जुर्माने को पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत स्थापित ‘पर्यावरण संरक्षण कोष’ में जमा किया जाएगा।
5. अपराधों का संज्ञान-
- CPCB या SPCB या किसी व्यक्ति ने बोर्ड से शिकायत की है, तो कोई भी कोर्ट अपराध का संज्ञान ले सकती है।
- निर्णय लेने वाले अधिकारी द्वारा शिकायत की जाती है, तो भी इसे संज्ञान लिया जा सकता है।
6. सरकारी विभागों द्वारा अपराध-
- विधेयक के अनुसार, किसी विभाग के प्रमुख को सरकारी विभागों द्वारा किए गए अपराधों के लिए दोषी माना जाएगा।
- विभाग के प्रमुख को यह साबित करना पड़ेगा कि उसने प्रावधानों के उल्लंघन से बचने के लिए उचित कार्य किया था।
- यदि विभाग विधेयक के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करता है, तो विभाग के प्रमुख को उनके मूल वेतन के एक महीने के बराबर जुर्माना देना होगा।
जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974-
- इस अधिनियम में सभी प्रकार के सतही और भूजल की गुणवत्ता के रखरखाव और उनकी बहाली का प्रावधान किया गया है।
- अधिनियम किसी भी जहरीले, हानिकारक या प्रदूषणकारी पदार्थ को जलधारा में प्रवाहित करने पर रोक लगाता है।
- भूमि के सुधार के उद्देश्य से किसी स्थान पर किसी भी सामग्री को डंप करना अपराध नहीं माना गया है।
- यह प्रदूषण नियंत्रण के लिए केंद्रीय और राज्य बोर्डों की स्थापना का प्रावधान है।
- केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को जल प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए सलाह देने, समन्वय करने और तकनीकी सहायता प्रदान करने की व्यापक शक्तियाँ दी गई हैं।
- इसमें प्रावधानों के उल्लंघन के लिए गंभीर और निवारक दंड का प्रावधान किया गया है, जिसमें जुर्माना और कारावास शामिल है।
पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986-
- इसे पर्यावरण सुरक्षा एवं पर्यावरण में सुधार करने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा अधिनियमित किया गया था।
- यह अधिनियम केंद्र सरकार को पर्यावरण प्रदूषण को रोकने और देश के विभिन्न हिस्सों में विशिष्ट पर्यावरणीय समस्याओं से निपटने के लिये अधिकृत करता है।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-
प्रश्न- ‘जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) संशोधन विधेयक, 2024’ के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- इसमें अनेक अपराधों को कारावास की श्रेणी से हटा दिया गया है।
- प्रारंभ में यह विधेयक उत्तर प्रदेश और गुजरात में लागू होगा।
नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए।
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर- (a)
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-
प्रश्न- ‘जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) संशोधन विधेयक, 2024’ के प्रमुख प्रावधानों को स्पष्ट कीजिए।
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