Ways and Means Advances (WMA) अर्थात् "अर्थोपाय अग्रिम" वह अस्थायी (temporary) वित्तीय सहायता है, जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India - RBI) केंद्र सरकार (Union Government), राज्य सरकारों (State Governments) और संघ शासित प्रदेशों (Union Territories - UTs) को उपलब्ध कराता है।
इसका उद्देश्य राजस्व प्राप्तियों (revenue inflows) और खर्चों (outflows) के बीच अस्थायी अंतर (temporary mismatch) को भरना होता है।
मुख्य बिंदु (Key Points)
उपलब्धता (Availability):
अर्थोपाय अग्रिम(WMA) की सुविधा केंद्र सरकार, राज्य सरकारों तथा संघ शासित प्रदेशों को मिलती है।
यह नकदी प्रवाह (cash flow) में उत्पन्न अस्थायी असंतुलन को दूर कर सुचारु प्रशासन सुनिश्चित करता है।
अर्थोपाय अग्रिम के प्रकार (Types of WMA):
सामान्य WMA (Normal WMA):यह सामान्य या मूल प्रकार की अग्रिम राशि होती है, जो नकदी की तात्कालिक कमी (temporary liquidity shortfall) के समय दी जाती है।
विशेष WMA / विशेष आहरण सुविधा (Special WMA / Special Drawing Facility - SDF):यह विशेष प्रकार की सहायता है, जो सामान्य WMA से कम ब्याज दर (lower interest rate) पर उपलब्ध होती है।पहले राज्यों को SDF दी जाती है; यदि इसकी सीमा समाप्त हो जाती है, तो वे सामान्य WMA ले सकते हैं।
विशेष WMA / SDF किनके विरुद्ध (against) दी जाती है?
Consolidated Sinking Fund (CSF) – दीर्घकालिक दायित्वों को पूरा करने हेतु निधि।
Guarantee Redemption Fund (GRF) – सरकारी गारंटी चुकाने के लिए निधि।
Auction Treasury Bills (ATBs) – सरकार द्वारा जारी अल्पकालिक ऋणपत्र।
ब्याज दरें (Interest Rates):
WMA और SDF की ब्याज दरें Repo Rate (रेपो दर – वह दर जिस पर RBI बैंकों को उधार देता है) से जुड़ी होती हैं।
अतः RBI द्वारा रेपो दर में किए गए परिवर्तन से इन सुविधाओं की लागत प्रभावित होती है।
विशेष आहरण सुविधा (Special Drawing Facility - SDF):
यह विशेष WMA का नया नाम है।
यह केवल विशिष्ट संपार्श्विक (specific collateral) जैसे CSF, GRF
या ATBs के विरुद्ध प्रदान की जाती है।
राज्य सरकारों द्वारा RBI में जमा किए गए ये फंड, दीर्घकालिक दायित्वों को पूरा करने के लिए होते हैं।
ओवरड्राफ्ट सुविधा (Overdraft Facility - OD):
यदि राज्य/UT द्वारा WMA व SDF की निर्धारित सीमा से अधिक धन की आवश्यकता होती है, तो ओवरड्राफ्ट सुविधा का उपयोग किया जाता है।
यह अधिकतम 14 दिनों के लिए मिलती है।
यदि उससे अधिक समय की आवश्यकता हो तो, RBI विशेष अनुमति (special permission) दे सकता है।
यह अंतिम उपाय (last resort) होता है।
शासन व्यवस्था (Governance):
WMA, SDF और OD की सुविधाएँ भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (RBI Act, 1934) के अंतर्गत संचालित होती हैं।
संपार्श्विक और सुरक्षा (Collateral and Security):
SDF प्राप्त करने के लिए राज्य/UT को RBI के पास संपार्श्विक (collateral) जमा करना होता है: