चर्चा में क्यों
हाल ही में, केंद्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता में ‘दादर और नगर हवेली एवं दमन और दीव’ की राजधानी दीव में पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद की 25वीं बैठक संपन्न हुई।
प्रमुख बिंदु
- पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में 6 बिंदुओं को राष्ट्रीय स्तर के महत्वपूर्ण मुद्दों के रूप में पहचाना गया, जोकि निम्नलिखित हैं-
- ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं में सुधार करना।
- संबंधित मामलों के लिये फास्ट ट्रैक कोर्ट का कार्यान्वयन करना।
- समुद्री मछुआरों की पहचान का सत्यापन करना।
- तटीय राज्यों द्वारा स्थानीय आकस्मिक योजना का विकास करना।
- उच्च समुद्रों में सामूहिक बचाव अभियान और सार्वजनिक खरीद में वरीयता के माध्यम से मेक इन इंडिया पहल को प्रोत्साहन देना।
- महिलाओं व बच्चों के खिलाफ बलात्कार और यौन अपराधों के मामलों की निगरानी पर जोर देना।
क्षेत्रीय परिषद
- क्षेत्रीय परिषदें एक या अधिक राज्यों को प्रभावित करने वाले मुद्दों या केंद्र और राज्यों के बीच के मुद्दों पर संरचित तरीके से चर्चा के लिये एक मंच प्रदान करती हैं।
- राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के भाग-III के तहत पांच क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना की गई। ये परिषदें सलाहकारी प्रकृति की वैधानिक निकाय हैं।
वर्तमान संरचना
- क्षेत्रीय परिषद की अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री करते हैं, जबकि प्रत्येक परिषद् में शामिल राज्यों के मुख्यमंत्री क्रमवार एक वर्ष की अवधि के लिये उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं।
- इन परिषदों की वर्तमान संरचना इस प्रकार है-
- उत्तरी क्षेत्रीय परिषद- हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख एवं चंडीगढ़।
- मध्य क्षेत्रीय परिषद- छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश।
- पूर्वी क्षेत्रीय परिषद- बिहार, झारखंड, उड़ीसा, सिक्किम और पश्चिम बंगाल।
- पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद- गोवा, गुजरात, महाराष्ट्र और केंद्र शासित प्रदेश दमन और दीव और दादरा और नगर हवेली।
- दक्षिणी क्षेत्रीय परिषद- आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी।
- असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, मिजोरम, मेघालय और नागालैंड को सम्मिलित करते हुए उत्तर पूर्वी परिषद अधिनियम, 1972 के तहत उत्तर पूर्वी परिषद को स्थापित किया गया। वर्ष 2002 में सिक्किम भी इसमें शामिल हुआ।