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श्वेत क्रांति: उद्देश्य, महत्व, उपलब्धियाँ

श्वेत क्रांति (White Revolution) क्या है?

  • श्वेत क्रांति, जिसे ऑपरेशन फ्लड (Operation Flood) के नाम से भी जाना जाता है, भारत के डेयरी उद्योग में एक परिवर्तनकारी युग का प्रतीक है। 
  • इस कार्यक्रम ने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बना दिया और लाखों ग्रामीण किसानों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। साथ ही, इसने डेयरी अर्थव्यवस्था को सशक्त किया और दूध आयात पर निर्भरता को कम किया।

श्वेत क्रांति के बारे में (About White Revolution)

  • श्वेत क्रांति का उद्देश्य दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए एक पैकेज कार्यक्रम को लागू करना था।
  • इसे भारत में ऑपरेशन फ्लड (Operation Flood) के नाम से भी जाना जाता है।
  • यह क्रांति 1970 में शुरू हुई, जब राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की स्थापना की गई थी, जिसका उद्देश्य सहकारी समितियों के माध्यम से डेयरी विकास को व्यवस्थित करना था।
  • इस क्रांति ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक देश में बदल दिया, जिससे डेयरी किसानों की जीवनशैली में सुधार हुआ और ग्रामीण विकास को बढ़ावा मिला।

प्रो. वर्गीज़ कुरियन (Prof. Verghese Kurien) – श्वेत क्रांति के जनक

  • प्रो. वर्गीज़ कुरियन को श्वेत क्रांति का जनक माना जाता है।
  • इन्हे ‘मिल्कमैन ऑफ इंडिया’ भी कहा जाता है, क्योंकि इनके नेतृत्व में भारत में डेयरी विकास में अभूतपूर्व वृद्धि हुई।
  • यह हरित क्रांति के बाद दूसरी सबसे बड़ी कृषि क्रांति मानी जाती है। 
  • राष्ट्रीय दुग्ध दिवस (National Milk Day) हर वर्ष 26 नवम्बर को मनाया जाता है ।

श्वेत क्रांति के उद्देश्य (Objectives of White Revolution)

  • दुग्ध उत्पादन में वृद्धि:-भारत को दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना, ताकि विदेशों से दूध पाउडर या अन्य दुग्ध उत्पादों का आयात कम किया जा सके।
  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सशक्तिकरण:-विशेषकर महिलाओं और छोटे किसानों को दुग्ध उत्पादन से जोड़कर उनकी आमदनी बढ़ाना।
  • भूख और कुपोषण की समस्या का समाधान:-दूध जैसे पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ाकर जनसामान्य के स्वास्थ्य में सुधार।
  • सहकारिता आंदोलन को प्रोत्साहन:-दुग्ध उत्पादकों के सहकारी संघों की स्थापना करके उन्हें बाजार से जोड़ना।
  • बिचौलियों की भूमिका समाप्त करना:-किसानों और उपभोक्ताओं के बीच पारदर्शी और लाभकारी संबंध स्थापित करना।
  • पशु आहार (cattle feed) उपलब्ध कराना।

श्वेत क्रांति की उपलब्धियाँ (Achievements of White Revolution in India)

  • दुग्ध उत्पादन में वृद्धि
    • भारत 1998 में अमेरिका को पीछे छोड़ कर विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बन गया।
    • 1970 में दुग्ध उत्पादन लगभग 20 मिलियन टन था, जो 2023 तक बढ़कर 220 मिलियन टन से अधिक हो गया।
  • किसानों को आर्थिक बल
    • लगभग 8 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवार (जिनमें अधिकांश महिलाएं हैं) इस आंदोलन से जुड़े।
    • आय का एक वैकल्पिक स्रोत बना।
  • महिला सशक्तिकरण:-दुग्ध सहकारी समितियों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी, जिससे निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि हुई।
  • खाद्य सुरक्षा और पोषण:-ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में दूध की उपलब्धता बढ़ी, जिससे कुपोषण में कमी आई।
  • डेयरी उद्योग का विकास:-सहकारी मॉडल से प्रेरित होकर कई निजी डेयरी कंपनियाँ उभरीं।दुग्ध प्रसंस्करण, विपणन और पैकेजिंग उद्योग विकसित हुआ।
  • AMUL मॉडल की सफलता:-गुजरात का अमूल मॉडल पूरे भारत में दुग्ध सहकारिता की आधारशिला बना।
  • निर्यात में वृद्धि:-भारत ने दुग्ध उत्पादों का निर्यात भी प्रारंभ किया, जिससे विदेशी मुद्रा अर्जित हुई।

श्वेत क्रांति 2.0

मुख्य उद्देश्य (Primary Objectives):

  • आगामी पाँच वर्षों में दूध की खरीद (Milk Procurement) को 50% तक बढ़ाना
  • संगठित क्षेत्र (Organized Sector) में डेयरी सहकारी समितियों (Dairy Cooperatives) की पहुंच का विस्तार करना।
  • 2029 तक प्रतिदिन की दूध खरीद 1,000 लाख किलोग्राम तक पहुँचाना।

NPDD 2.0 (राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम - National Programme for Dairy Development) के अंतर्गत:-

वित्तीय सहायता (Financial Support) के क्षेत्र:-

  • गाँव स्तर की दूध खरीद प्रणाली (Village-level milk procurement systems)
  • दूध को ठंडा रखने की सुविधाएँ (Milk chilling facilities)
  • डेयरी अवसंरचना का आधुनिकीकरण (Modernizing dairy infrastructure) और दूध की गुणवत्ता में सुधार (Improving milk quality)

वित्तीय समावेशन प्रयास (Financial Inclusion Efforts):-

  • ‘सहकार से समृद्धि (Cooperation among Cooperatives)’ पहल का पूरे देश में विस्तार।
  • RuPay किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Cards) के माध्यम से ब्याज मुक्त ऋण (Interest-free cash credit) की सुविधा।
  • माइक्रो एटीएम (Micro-ATMs) के वितरण से डेयरी सहकारी समितियों तक बैंकिंग सेवाएँ (Banking Services) पहुँचाना।

डेयरी क्षेत्र को समर्थन देने वाली सरकारी योजनाएँ (Government Schemes Supporting the Dairy Sector):

योजना (Scheme)

उद्देश्य (Objective)

राष्ट्रीय गोकुल मिशन (Rashtriya Gokul Mission)

स्वदेशी नस्लों के संरक्षण और विकास (Conservation and development of indigenous cattle breeds)

NPDD 2.0

दूध की गुणवत्ता, प्रसंस्करण संरचना और खरीद प्रणाली में सुधार (Enhancing milk quality, processing infrastructure, and procurement systems)

पशु स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम (LHDCP)

सामूहिक टीकाकरण और पशु स्वास्थ्य निगरानी (Mass vaccination and animal health monitoring)

पशुपालन अवसंरचना विकास कोष (AHIDF)

निजी क्षेत्र को डेयरी में निवेश हेतु प्रोत्साहन (Private sector investment in dairy infrastructure)

किसान क्रेडिट कार्ड (KCC)

पशुपालकों को संस्थागत ऋण उपलब्ध कराना (Institutionalized credit access for dairy and livestock farmers)

श्वेत क्रांति के सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव

  • पशुपालन को एक संगठित और व्यावसायिक कार्य के रूप में मान्यता मिली।
  • किसानों में विज्ञान-आधारित पशुपालन की समझ बढ़ी।
  • ग्रामीण भारत में ठंडी श्रृंखला और बुनियादी ढांचे का विकास हुआ।
  • सहकारी समितियों के माध्यम से सामाजिक एकता को बढ़ावा मिला।

श्वेत क्रांति की चुनौतियाँ और समस्याएँ (Problems of White Revolution in India)

  • क्षेत्रीय असंतुलन
    • अधिकांश विकास पश्चिमी भारत (गुजरात, महाराष्ट्र) तक ही सीमित रहा।
    • पूर्वोत्तर, हिमालयी और दक्षिण भारत के कुछ हिस्से पीछे रह गए।
  • पर्यावरणीय प्रभाव
    • डेयरी फार्मों से उत्पन्न मलमूत्र, ग्रीनहाउस गैसों (मीथेन) का बड़ा स्रोत बना।
    • चारा उत्पादन के लिए रासायनिक उर्वरकों और जल का अत्यधिक उपयोग।
  • नस्लीय गिरावट और पशु कल्याण
    • अधिक दूध देने के लिए विदेशी नस्लों को बढ़ावा मिला, जिससे स्थानीय नस्लों में गिरावट आई।
    • पशुओं के प्रति अत्यधिक दोहन और चिकित्सा देखभाल की उपेक्षा।
  • सहकारी समितियों में भ्रष्टाचार और राजनीति
    • कई समितियों में पारदर्शिता की कमी और राजनीतिक हस्तक्षेप सामने आए।
  • गुणवत्ता नियंत्रण की समस्या
    • दूध की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए पर्याप्त निगरानी तंत्र नहीं विकसित हो पाया।

सरकार और संस्थाओं की भूमिका

  • राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB):-नीतिगत निर्माण, प्रशिक्षण, अनुसंधान और वित्तीय सहायता का कार्य।ऑपरेशन फ्लड की योजनाओं का संचालन।
  • भारतीय डेयरी निगम (IDC):-दुग्ध उत्पादों के वितरण और विपणन के लिए गठित निकाय।
  • डेयरी विज्ञान और पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान:-पशुओं की नस्लों में सुधार, चारा विकास, और टीकाकरण कार्यक्रम।

श्वेत क्रांति की आलोचनाएँ

  • "उपभोग आधारित विकास" का आरोप – इससे स्थानीय कृषि पारिस्थितिकी पर असर पड़ा।
  • "मशीनीकरण बनाम मानवीय संवेदना" – दूध को केवल उत्पादकता के रूप में देखने की प्रवृत्ति बढ़ी।
  • पशुपालन की परंपरागत पद्धतियों की उपेक्षा – जैसे चरवाहा संस्कृति, देसी नस्लों की भूमिका।

श्वेत क्रांति से मिली सीख और भविष्य की राह

  • स्थानीय नस्लों और जैव विविधता का संरक्षण आवश्यक है।
  • सतत पशुपालन (Sustainable Dairy Practices) को बढ़ावा देना होगा।
  • पशु चिकित्सा और पोषण के क्षेत्र में और निवेश जरूरी है।
  • AI (कृत्रिम गर्भाधान), डेटा एनालिटिक्स और डिजिटल टेक्नोलॉजी का बेहतर उपयोग।

प्रश्न :-श्वेत क्रांति का संबंध किससे है ?

उत्तर :-दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने और डेयरी उद्योग को मजबूत करने का एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन।

प्रश्न :-विश्व दुग्ध दिवस (World Milk Day) कब मनाया जाता है?
उत्तर :-
1 जून को

प्रश्न :-निम्नलिखित में से भारत में श्वेत क्रांति के जनक किसे माना जाता हैं?

(a) एम.एस. स्वामीनाथन

(b) डॉ. वर्गीज़ कुरियन 

(c) मोतीलाल वोरा

(d) आर.सी. डीत्त

उत्तर: (b) डॉ. वर्गीज़ कुरियन

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