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क्यों उपेक्षित है नगरपालिका बजट

(प्रारंभिक परीक्षा-  राजनीतिक प्रणाली, स्थानीय स्वशासन)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : स्थानीय स्तर पर शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण व उसकी चुनौतियाँ, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3 : सरकारी बजट  व संसाधनों का एकत्रण) 

संदर्भ

  • प्रत्येक वर्ष बजट सत्र के दौरान केंद्रीय बजट के साथ-साथ देश भर की 4,500 से अधिक नगरपालिकाएँ भी अपना बजट प्रस्तुत करती हैं। किंतु, केंद्र तथा राज्यों के बजट के विपरीत नगरपालिका बजट पर मीडिया द्वारा अपेक्षित ध्यान या कवरेज नहीं दिया जाता है। ध्यातव्य है कि देश के सभी नगरपालिका क्षेत्रों में लगभग 300 मिलियन से अधिक जनसंख्या निवास करती है।
  • उपयोगिता की दृष्टि से नगरपालिका बजट भी एक महत्त्वपूर्ण वित्तीय एवं विधायी दस्तावेज़ है। यह शहरों में ज़मीनी स्तर पर लोकतंत्र को मज़बूत बनाने के साथ-साथ महिलाओं, बच्चों व शहरी गरीबों के लिये ठोस परिवर्तनकारी कदम हो सकता है।

क्यों आवश्यक है स्थानीय स्वशासन?

  • भारत में स्थानीय निकायों के अंतर्गत पंचायतें व नगरपालिकाएँ शामिल हैं, इन्हें लोकतंत्र की आधारशिला माना जाता है।
  • वर्तमान में, विश्व के अधिकांश देशों में प्रतिनिधि लोकतांत्रिक व्यवस्था प्रचलित है। लोकतंत्र को शीर्ष से धरातल तक पहुँचाने के लिये शासन का विकेंद्रीकरण आवश्यक होता है। शीर्ष स्तर पर लोकतंत्र की सफलता के लिये ज़मीनी स्तर पर लोकतंत्र का मज़बूत होना आवश्यक है।

ऐतिहसिक परिप्रेक्ष्य

  • वर्ष 1882 में लॉर्ड रिपन ने स्थानीय स्वशासन से संबंधित प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में स्थानीय निकायों की स्थापना करना था। लॉर्ड रिपन के इस प्रस्ताव को स्थानीय स्वशासन का ‘मैग्नाकार्टा’ कहा जाता है। लॉर्ड रिपन को भारत में स्थानीय स्वशासन का जनक माना जाता है।
  • वर्ष 1919 के मॉन्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों के अंतर्गत स्थानीय शासन को ‘हस्तांतरित विषयों’ के अंतर्गत शामिल किया गया, इस प्रकार स्थानीय शासन भारतीय मंत्रियों के नियंत्रण में आ गया। इन सबके वावजूद स्थानीय शासन वास्तविक रूप में लोकतांत्रिक नहीं बन पाया, क्योंकि इसकी राह में अभी भी अनेक बाधाएँ थी।

नगरपालिका बजट से संबंधित संवैधानिक प्रावधान

  • 74वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) को संवैधानिक मान्यता दी गई। इस संशोधन के अंतर्गत, संविधान में ‘नगरपालिकाएँ’ शीर्षक एक नया ‘भाग-9क’ को जोड़ा गया।
  • इस भाग में अनुच्छेद 243त (243P) से 243यछ (243ZG) तक नगरपालिकाओं से संबंधित विभिन्न प्रावधान शामिल हैं।
  • 74वें संविधान संशोधन के तहत ही 12वीं अनुसूची को भी जोड़ा गया, जिसके माध्यम से नगरपालिकाओं के क्षेत्राधिकार में 18 विषयों को शामिल किया गया।

नगरपालिकाओं की बेहतरी हेतु वित्तीय प्रावधान

  • नगरपालिका बजट में शुद्ध हवा, स्वच्छ पेयजल, अपशिष्ट प्रबंधन, अपशिष्ट जल उपचार तथा सुरक्षित निस्तारण, बच्चों व वृद्धजनों के अनुकूल सार्वजनिक स्थानों के प्रबंधन आदि विषयों को शामिल किया जाता हैं।
  • अनुच्छेद 243झ के तहत गठित ‘राज्य वित्त आयोग’ नगरपालिकाओं की वित्तीय स्थिति का पुनर्विलोकन कर, राज्य सरकार द्वारा आरोपित करों, शुल्कों और पथकरों से प्राप्त आय के राज्य सरकार एवं नगरपालिकाओं के मध्य वितरण से संबंधित सिद्धांतों के संदर्भ में राज्यपाल के समक्ष सिफारिश प्रस्तुत करता है।
  • साथ ही, राज्य वित्त आयोग नगरपालिकाओं की वित्तीय स्थिति में सुधार हेतु राज्य की संचित निधि से सहायता अनुदान प्रदान करने संबंधी प्रावधान भी करता है।

नगरपालिका बजट से जुड़ी चुनौतियाँ

  • अधिकांश नगरपालिका कानून, सामुदायिक कार्यों में नागरिक भागीदारी, दायित्वों तथा निविदाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित नहीं करते हैं। इसके अतिरिक्त, बजट संबंधी प्रावधानों को समझना एक आम नागरिक के लिये आसान नहीं होता है।
  • ध्यातव्य है कि शहरों के विकास के लिये किया जाने वाला व्यय विकास प्राधिकरणों, परिवहन निगमों तथा जलापूर्ति निकायों जैसी एजेंसियों के माध्यम से किया जाता है, इनके लिये बजट में पृथक-पृथक धनराशि आवंटित की जाती है।

सहभागी बजट (Participatory Budgeting)

  • ‘सहभागी बजट’ की अवधारणा सर्वप्रथम 1980 के दशक में ब्राज़ील के ‘पोर्टो एलेग्रे’ शहर में अपनाई गई थी। वर्तमान में, यह विश्व भर में इसी रूप में या कुछ बदलाव के साथ प्रचलित है।
  • सहभागी बजट की प्रक्रिया से तात्पर्य, बजट पर लोकतांत्रिक तरीके से विचार-विमर्श तथा निर्णय लेना है। इसके तहत आम नागरिकों द्वारा यह तय किया जाता है कि नगरपालिका या सार्वजनिक बजट के लिये कितनी राशि आवंटित की जाएगी।
  • सहभागी बजट नागरिकों को सार्वजनिक व्यय से संबंधित परियोजनाओं की पहचान करने, प्राथमिकताएँ निर्धारित करने तथा उन पर चर्चा करने की अनुमति देता है। साथ ही, यह नागरिकों को अपने धन का व्यय करने के संबंध में वास्तविक निर्णय लेने की शक्ति देता है।
  • वर्ष 2015 में प्रारंभ किये गए ‘मेरा शहर-मेरा बजट’ अभियान के तहत बेंगलुरु, मंगलुरु व विशाखापत्तनम में नगरपालिकाओं तथा पड़ोसी समुदायों के बीच सहयोगात्मक प्रयास किया जा रहा है।
  • इन शहरों के 350 से अधिक वार्डों में, नागरिकों से संबंधित मामलों की एक विस्तृत श्रृंखला तैयार कर बजट से संबंधित 85,000 से अधिक इनपुट प्राप्त किये गए हैं, जिनकी समीक्षा कर उन्हें शहर के बजट में शामिल किया जाएगा।

सहभागी बजट के लाभ

  • यह उत्तरदायी शासन की दिशा में पहला कदम है, क्योंकि बजट आवंटन किसी भी कार्य को पूरा करने के लिये सबसे महत्त्वपूर्ण चरण होता है। इसके माध्यम से बजटीय समस्याओं के स्थानीय समाधान पर लक्षित ‘हाइपरलोकल फोकस’ की सुविधा प्रदान की जाती है।
  • इससे राजनीतिक व सार्वजनिक विश्वसनीयता को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ नागरिकों द्वारा बजट निष्पादन की निगरानी से नागरिक कार्यों के प्रति सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित होती है।
  • यह नागरिक संपत्ति और सुविधाओं के संबंध में समुदायों में अधिक स्वामित्व की भावना को बढ़ावा देगा, जिससे परिसंपत्तियों के बेहतर रखरखाव और प्रबंधन में मदद मिलेगी। स्थानीय स्तर पर यह समुदायों, निर्वाचित पार्षदों तथा शहरी प्रशासन के लिये बहुत बड़ी उपलब्धि है।
  • विभिन्न समुदाय तथा हितधारक समूह प्रत्यक्ष प्रतिनिधित्व के माध्यम से नगरपालिका बजट में आवश्यक ज़रूरतों को शामिल करने तथा उन्हें क्रियान्वित कराने में सक्षम होंगे जिससे समावेशी शासन को बढ़ावा मिलेगा।

निष्कर्षतः स्थानीय स्तर पर नगरपालिका क्षेत्रों तथा बार्ड समितियों में वास्तविक परिवर्तन हो, इसके लिये नगरपालिका बजट पर नागरिक सहभागिता तथा अपेक्षित मीडिया कवरेज की आवश्यकता है।

प्रिलिम्स फैक्ट

  • केंद्रीय बजट संबंधी संवैधानिक प्रावधान-  भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 मेंवार्षिक वित्तीय विवरण’ को निर्दिष्ट किया गया है, जिसे सामान्य भाषा में ‘संघीय बजट’ के नाम से जाना जाता है। इसमें आगामी वर्ष के लिये केंद्रीय सरकार की आय तथा व्यय का विवरण समाहित किया जाता है।
  • स्वतंत्र भारत का प्रथम केंद्रीय बजट प्रथम वित्त मंत्री (1947-1949) ‘आर.के. शनमुखम चेट्टी’ द्वारा 26नवंबर, 1947 को संसद में पेश किया गया था।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 202 में राज्य के वार्षिक वित्तीय विवरण का प्रावधान किया गया है। 
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