विलफुल डिफॉल्टर उस व्यक्ति या संस्था को कहा जाता है, जिसने ₹25 लाख या उससे अधिक राशि का ऋण लिया हो और जानबूझकर उसका भुगतान न किया हो, जबकि उसके पास ऋण चुकाने की क्षमता मौजूद हो।
विलफुल डिफॉल्ट की पहचान इन बिंदुओं से की जाती है:
भुगतान करने की क्षमता के बावजूद चूक (Deliberate Default): उधारकर्ता के पास आर्थिक संसाधन होते हुए भी ऋण का पुनर्भुगतान न करना।
ऋण राशि का दुरुपयोग (Diversion of Funds):जिस उद्देश्य से ऋण प्राप्त किया गया था, उसके बजाय किसी अन्य कार्य में राशि का उपयोग करना।
गिरवी संपत्ति का विक्रय (Disposal of Secured Assets) : बैंक को बिना सूचित किए, ऋण के बदले गिरवी रखी संपत्ति को बेच देना या स्थानांतरित कर देना।
इक्विटी निवेश न करना (Failure to Infuse Equity): कर्जदार के पास अपनी कंपनी में पूंजी लगाने की क्षमता थी जिससे ऋण का भार कम किया जा सकता था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।
बड़े डिफॉल्टर्स (Large Defaulters)
₹1 करोड़ या उससे अधिक की बकाया राशि।
खाते को "संदिग्ध" (Doubtful) या "हानि" (Loss) की श्रेणी में रखा गया हो।
ऋण की वसूली के लिए कानूनी कार्रवाई प्रारंभ हो चुकी हो।
पहचान प्रक्रिया (Identification Process)
पहचान समिति (Identification Committee):बैंक या ऋणदाता एक समिति का गठन करते हैं जो दस्तावेजों की जाँच करती है।
कारण बताओ नोटिस (Show Cause Notice):उधारकर्ता को अपनी बात रखने का अवसर दिया जाता है।
पुनरीक्षण समिति (Review Committee):एक अलग समिति निर्णय की समीक्षा करती है।
समयसीमा (Timeframe):खाता NPA घोषित होने के 6 महीने के भीतर यह प्रक्रिया पूरी करनी होती है।
परिणाम (Consequences)
ऋण प्रतिबंध (Credit Restrictions): अन्य वित्तीय संस्थाओं से ऋण लेना प्रतिबंधित।
सार्वजनिक खुलासा (Public Disclosure): नाम सार्वजनिक किया जाता है ताकि अन्य बैंक सतर्क रहें।
प्रबंधन प्रतिबंध (Management Restrictions): कंपनियों में प्रबंधकीय पद धारण करने से रोक।
कानूनी कार्रवाई (Legal Actions): दिवानी व आपराधिक कार्यवाही शुरू की जाती है।
संपत्ति की कुर्की (Asset Recovery): बैंक गिरवी रखी संपत्ति जब्त कर सकता है।
नियामक ढाँचा (Regulatory Framework)
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा स्थापित दिशानिर्देश:
Master Circular on Wilful Defaulters: विस्तृत दिशा-निर्देश प्रदान करता है।
Reporting Requirements: सभी जानकारियाँ क्रेडिट ब्यूरो (Credit Information Companies) को भेजी जाती हैं।
Timely Action: 6 महीने के भीतर वर्गीकरण ज़रूरी।
कानूनी निर्देश (Legal Directions): ऋण की वसूली हेतु सख्त कार्रवाई की सिफारिश।
हालिया घटनाक्रम (Recent Developments - July 2024)
उचित प्रक्रिया (Enhanced Due Process):उधारकर्ता को उत्तर देने का पूरा अवसर दिया जाए।
निगरानी व्यवस्था (Strengthened Monitoring):विशेष समिति गठित कर फॉलोअप और निगरानी।
पूर्व चेतावनी प्रणाली (Early Warning Systems):संभावित डिफॉल्ट को पहले पहचानने की प्रणाली अनिवार्य।
चुनौतियाँ और आलोचनाएँ (Challenges and Criticisms)
पहचान में देरी (Delayed Identification):कई बार जानबूझकर चूक करने वाले देर से पकड़े जाते हैं।
कानूनी अड़चनें (Legal Hurdles):लंबे मुकदमेबाज़ी से वसूली में देरी होती है।
राजनीतिक और सामाजिक दबाव (Political & Social Influence): प्रभावशाली डिफॉल्टर्स के विरुद्ध कार्रवाई में बाधा।