प्रारम्भिक परीक्षा- NATO, नाटो देश और कुर्द प्रदेश की अवस्थिति मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और अंतर्राष्ट्रीय संबंध |
चर्चा में क्यों?
- लिथुआनिया में नाटो शिखर सम्मेलन से पहले नाटो प्रमुख जेन्स स्टोलटेनबर्ग और दोनों देशों के नेताओं के बीच बंद कमरे में हुई बातचीत के बाद तुर्की स्वीडन को नाटो में शामिल होने की अनुमति देने पर सहमत हो गया है।
नाटो
- नाटो 31 राष्ट्रों का एक सैन्य गठबंधन है, जिसका मुख्यालय ब्रुसेल्स में है।
- इस संगठन में दो उत्तरी अमेरिकी देशों के अतिरिक्त 28 यूरोपीय देश शामिल हैं। वर्ष 2023 में फ़िनलैंड इस संगठन में 31वें सदस्य के रूप में शामिल हुआ।
- शीत युद्ध के प्रारंभ के साथ एक सैन्य व राजनैतिक संगठन के रूप में नाटो का गठन अमेरिका के नेतृत्व में 52 वर्ष पूर्व 4 अप्रैल1949 को हुआ था। इसे सोवियत संघ के प्रतिकार के रूप में स्थापित किया गया था।
- नॉर्वे के प्रधानमंत्री रह चुके येन्स स्टोल्टनबेर्ग वर्तमान में नाटो के महासचिव हैं। नाटो द्वारा संकट प्रबंधन का संचालन वाशिंगटन संधि के अनुच्छेद 5 के तहत या संयुक्त राष्ट्र के जनादेश के तहत किया जाता है।
नाटो में सदस्यता प्राप्त करने की प्रक्रिया
- नाटो में सदस्यता उन देशों के लिए खुली है जो संगठन के मूल्यों को साझा करते हैं और सामूहिक रक्षा के अपने मिशन के लिए प्रतिबद्ध हैं।
- जो देश नाटो में शामिल होना चाहते हैं, उन्हें पहले ऐसा करने की इच्छा व्यक्त करनी होगी और गठबंधन के साथ बातचीत और परामर्श की अवधि से गुजरना होगा।
- किसी देश को नाटो में शामिल होने के लिए आमंत्रित करने का निर्णय मौजूदा सदस्य देशों द्वारा सर्वसम्मति समझौते के आधार पर किया जाता है।
- स्वीडन के मामले में, तुर्की और हंगरी द्वारा समझौता न होने के कारण सदस्यता अवरुद्ध है।
- एक संभावित सदस्य देश को यह प्रदर्शित करना होगा कि उसके पास एक कार्यशील लोकतांत्रिक राजनीतिक प्रणाली, एक बाजार अर्थव्यवस्था और संगठन के सामूहिक रक्षा प्रयासों में योगदान करने की क्षमता है।
- उम्मीदवार देश को कानून के शासन, मानवाधिकार और अंतरराष्ट्रीय स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता भी प्रदर्शित करनी होगी।
- एक बार शामिल होने के लिए आमंत्रित किए जाने पर, उम्मीदवार देश को उत्तरी अटलांटिक संधि और अन्य संबंधित समझौतों की पुष्टि करनी होगी।
- सदस्यता प्रक्रिया में कई साल लग सकते हैं, क्योंकि उम्मीदवार देश को सुधारों की एक श्रृंखला पूरी करनी होती है और नाटो सदस्यों के लिए आवश्यक मानकों को पूरा करना होता है ।
तुर्की को स्वीडन के नाटो में शामिल होने पर आपत्ति क्यों है?
- तुर्की ने नाटो में स्वीडन की सदस्यता पर आपत्ति जताई है, जिससे गठबंधन में उसके अनुसमर्थन को रोक दिया गया है।
- तुर्की की आपत्ति कई मुद्दों पर आधारित है जिसका मानना है कि स्वीडन ने उन पर ध्यान नहीं दिया है, जिसमें स्वीडन में मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक मानकों पर चिंताएं भी शामिल हैं।
- तुर्की ने स्वीडन पर कुर्द लड़ाकों को पनाह देने का भी आरोप लगाया है जिन्हें वह आतंकवादी समूह मानता है।
- तुर्की का आरोप है की ये आतंकवादी संगठन स्कैंडिनेवियाई देशों को बेस कैम्प के रूप में उपयोग करते हैं।
- स्वीडन की अदालतों ने तुर्की द्वारा मांगे गए कुछ व्यक्तियों के निष्कासन को रोक दिया है, जिससे मामला और जटिल हो गया है।
- तुर्की ने स्टॉकहोम में हाल के विरोध प्रदर्शनों का भी मुद्दा उठाया है जहां कुरान को जला दिया गया था और तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन के पुतले को उल्टा लटका दिया गया था।
- अंकारा ने इन्हें घृणित कार्य बताया है, जबकि स्वीडन का तर्क है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है।
कुर्द कौन हैं?
- कुर्द मेसोपोटामिया के मैदानी इलाकों और अब दक्षिण-पूर्वी तुर्की, उत्तर-पूर्वी सीरिया, उत्तरी इराक, उत्तर-पश्चिमी ईरान और दक्षिण-पश्चिमी आर्मेनिया के बाशिंदे हैं।
- यह ऐसा समूह है, जो जातीयता, संस्कृति और भाषा से जुड़ा हुआ है।
- वे विभिन्न प्रकार की आस्थाओं और पंथों का भी पालन करते हैं, जिनमें सुन्नी मुसलमान बहुसंख्यक हैं।
तुर्की कुर्दों को ख़तरे के रूप में क्यों देखता है?
- तुर्की और कुर्द लड़ाकों के बीच गहरी दुश्मनी है, जो तुर्की की आबादी का 15% से 20% हैं। कुर्दों को वर्षों तक तुर्की शासकों के हाथों पीड़ा झेलनी पड़ी है।
- 1920 और 1930 के दशक के विद्रोह के बाद, कई कुर्दों को स्थानांतरित कर दिया गया, कुर्द नाम और कपड़ों पर प्रतिबंध लगा दिया गया, कुर्द भाषा का उपयोग सीमित कर दिया गया, और यहां तक कि कुर्द जातीय पहचान के अस्तित्व को भी नकार दिया गया, कुर्द व्यक्तियों को "माउंटेन तुर्क" का लेबल दिया गया।
- अब्दुल्ला ओकलान ने 1978 में तुर्की के भीतर एक स्वायत्त राज्य की मांग करते हुए कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) की स्थापना की।
- छह साल बाद, संगठन आक्रामक हो गया। तब से इस संघर्ष में 40,000 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।
हंगरी को स्वीडन के नाटो में शामिल होने पर आपत्ति क्यों है?
- शत्रुतापूर्ण रवैया: हंगरी ने स्वीडन पर वर्षों से बुडापेस्ट के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया रखने का आरोप लगाया है।
- प्रधान मंत्री ओर्बन की आलोचना: हंगरी कानून के शासन के कथित क्षरण पर प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन की स्वीडिश आलोचना से नाराज है। ओर्बन इस तरह के क्षरण से इनकार करते हैं।
- शिकायतों के निवारण की आवश्यकता: तुर्की के विपरीत, हंगरी के पास मांगों की कोई सूची नहीं है, लेकिन उसका कहना है कि स्वीडन के नाटो में शामिल होने की पुष्टि करने से पहले शिकायतों के निवारण की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
- स्वीडन की नाटो सदस्यता में देरी गठबंधन के भीतर जटिल राजनीतिक परिदृश्य और रूस के साथ तनाव को दर्शाती है।
- तुर्की और हंगरी की आपत्तियाँ स्वीडन के लिए किसी आसन्न सुरक्षा खतरे की बजाय अलग-अलग राजनीतिक असहमति पर आधारित हैं।