New
IAS Foundation New Batch, Starting from 27th Aug 2024, 06:30 PM | Optional Subject History / Geography | Call: 9555124124

विंटर डीज़ल: अर्थ एवं महत्त्व

(प्रारम्भिक परीक्षा:  राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग)

पृष्ठभूमि

अत्यधिक ठंड में पेट्रोल के मुकाबले डीज़ल जल्दी जम जाता है। भारत के सशस्त्र बल जल्द ही लद्दाख जैसे- बेहद ऊँचाई वाले क्षेत्रों में संचालन के लिये विंटर डीज़ल का उपयोग कर सकते हैं, जहाँ शीत ऋतु में तापमान बहुत नीचे आ जाता है। कम तापमान पर साधारण डीज़ल अनुपयुक्त हो जाते हैं। ध्यातव्य है कि देश की सबसे बड़ी तेल विपणन कम्पनी इंडियन ऑयल कार्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) ने ‘गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय’ (DGQA) से सशस्त्र बलों द्वारा विंटर डीज़ल के प्रयोग हेतु मंज़ूरी माँगी है।

विंटर डीज़ल

  • ‘विंटर डीज़ल’एक विशेष प्रकार का ईंधन है। इसे इंडियन ऑयल कार्पोरेशन लिमिटेड (पानीपत रिफाइनरी) ने पिछले वर्ष समुद्र तट से अत्यधिक ऊँचाई और कम तापमान वाले वाले स्थानों में प्रयोग के लिये पेश किया था। विंटर डीज़ल को अल्पाइन डीज़ल भी कहते हैं।
  • ऐसे क्षेत्रों में जब तापमान शून्य से 20 से 30 डिग्री तक नीचे चला जाता है तो सामान्य डीज़ल का फ्लो (प्रवाह) बंद हो जाता है। इतने कम तापमान पर सामान्य डीज़ल की प्रवाह क्षमता (Flow Characteristics) में परिवर्तन आ जाता है और वाहनों में इसके उपयोग में परेशानी हो सकती है।
  • विंटर डीज़ल में श्यानता या गाढ़ेपन (Viscosity) के स्तर को कम बनाए रखने के लिये कुछ अतिरिक्त तत्त्व मिले होते हैं, जिससे इंजन को इसकी अनवरत सप्लाई सुनिश्चित की जा सके। इसी कारण से -30 0C जैसे कम तापमान में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है।स्पेशल विंटर ग्रेड डीज़ल-33 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर भी तरल अवस्था में ही रहेगा।
  • इसके अतिरिक्त, विंटर डीज़ल की सीटेन (Cetane) रेटिंग भी उच्च होती है। सीटेन रेटिंग डीज़ल की गुणवत्ता का सूचक है। यह रेटिंग डीज़ल ईंधन की दहन गति के साथ-साथ डीज़ल के जलने हेतु आवश्यक दबाव को प्रदर्शित करती है। डीज़ल की सीटेन रेटिंग जितनी ज्यादा होती है डीज़ल इंजन के अंदर उतनी ही अच्छी तरह से जलता है।
  • विंटर डीज़ल में सल्फर की मात्रा भी कम होती है, परिणाम स्वरूप ईंधन में अवशिष्ट की कम मात्रा जमती है और इसका प्रदर्शन अच्छा रहता है। स्पेशल विंटरडीज़ल में लगभग 5 % बायोडीज़लभी मिलाया गया है।

आवश्यकता

  • प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम मंत्रालय ने कहा है कि ये ईंधन लद्दाख, कारगिल, कज़ाव कीलॉन्ग जैसे इलाकों के लिये तैयार किया गया है, जहाँ तापमान -30 0C होता है और इस कारण डीज़ल जमने लगता है।
  • उल्लेखनीय है कि विंटर डीज़ल के लॉन्च से पहले अत्यंत कम तापमान वाले क्षेत्रों में आमतौर पर डीज़लको प्रयोग करने हेतु केरोसीन तेल मिलाया जाता था जिससे डीज़ल को तनु या पतला किया जा सके। इससे वायु प्रदूषण भी ज्यादा होता था।

ऐसे क्षेत्रों में सशस्त्र बलों द्वारा उपयोग की वर्तमान स्थिति

  • वर्तमान में, इंडियन ऑयल कर्पोरेशन सहित अन्य तेल विपणन कम्पनियाँ सेना को हाई सल्फर पोर प्वाइंट डीज़ल (DHPP -W) उपलब्ध करा रहीं हैं।इस डीज़ल का भी फ्लो -30 0C से कम तापमान में हो सकता है।
  • ध्यातव्य है कि पोर प्वाइंट या प्रवाह बिंदु (Pour Point) वह तापमान है,जिस पर तेल या द्रव गुरुत्वाकर्षण के तहत बहने में सक्षम होता है। प्रवाह बिंदु से नीचे के तापमान पर आकर कोई द्रव बहना बंद कर देता है।
  • विशेषज्ञों को उम्मीद है कि सीमा पर तनाव को देखते हुए इस प्रकार के डीज़ल की माँग बढ़ सकती है।
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR