संदर्भ
भारतीय रिजर्व बैंक के कार्यकारी निदेशक के अनुसार, श्रम शक्ति में महिलाओं की निम्न भागीदारी वित्तीय समावेशन के प्रयासों एवं व्यापक आर्थिक विकास में बाधक है।
महिलाओं की वित्त तक पहुँच
- भारतीय रिजर्व बैंक के कार्यकारी निदेशक के अनुसार, महिलाओं के लिए ऋण आपूर्ति बढ़ाने की भी आवश्यकता है क्योंकि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) को दिए जाने वाले कुल ऋणों में से केवल 7% ही महिलाओं के नेतृत्व वाले व्यवसायों को प्राप्त हुए हैं।
- महिलाओं के नेतृत्व वाले एम.एस.एम.ई. के लगभग पांचवें हिस्से की तुलना में यह बहुत कम है।
- वास्तव में वित्तीय समावेशन एवं आर्थिक वृद्धि व विकास में एक महत्वपूर्ण बाधा आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की निम्न भागीदारी है।
- आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 में महिला श्रम बल की भागीदारी 32.8% थी, जबकि पुरुषों की भागीदारी 77% से अधिक थी।
महिलाओं तक वित्त की पहुँच संबंधी चुनौतियाँ
- पूंजी का निम्न स्तर
- निम्न श्रम भागीदारी
- ऋण लेने के लिए संपार्श्विक का अभाव
- शिक्षा एवं प्रशिक्षण तक सीमित पहुँच
- वित्तपोषकों की महिला उधारकर्ताओं के बारे में रूढ़िवादी सोच
- महिला उधारकर्ताओं के व्यवहार संबंधी मुद्दे
- अधिक जोखिम से बचना
- ऋण शर्तों पर बातचीत करने में कम आश्वस्त होना
- अस्वीकृति के डर के कारण नए ऋण के लिए आवेदन करने की कम संभावना
प्रयास
- प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMJDY) और सामाजिक सुरक्षा हस्तांतरण से महिलाओं की वित्तीय सेवाओं तक पहुँच में वृद्धि हुई है।
- हालाँकि, मांग पक्ष पर भी कुछ मुद्दे हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
- प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (Primary Sector Lending : PSL) अधिदेश बैंकों और सूक्ष्म ऋणदाताओं के लिए एक व्यवहार्य व्यवसाय मॉडल के रूप में उभरा है।
- भारतीय रिज़र्व बैंक ने गैर-लाभकारी संगठनों के साथ साझेदारी करके ब्लॉक स्तर पर वित्तीय साक्षरता के लिए 2,400 केंद्र खोलने जैसी वित्तीय समावेशन पर पहल शुरू की है।
- साथ ही, प्रमुख बैंकों के लिए प्रत्येक जिले में साक्षरता केंद्र खोलना अनिवार्य कर दिया गया है।