(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, भारतीय राज्यतंत्र और शासन)
चर्चा में क्यों
हाल ही में, भारत के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने उच्चतम न्यायालय में एक महिला खंडपीठ का गठन किया है।
प्रमुख बिंदु
- इस खंडपीठ में उच्चतम न्यायालय की दो महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति हिमा कोहली और बेला एम. त्रिवेदी शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय के इतिहास में तीसरी बार महिला खंडपीठ का गठन किया गया है।
- इस पीठ के पास 32 मामले सूचीबद्ध किये गए हैं, जिसमें वैवाहिक विवादों से संबंधित मामले प्रमुख हैं।
महिला खंडपीठ
- वर्ष 2013 में उच्चतम न्यायालय के इतिहास में पहली बार महिला खंडपीठ का गठन किया गया था। इस पीठ में न्यायमूर्ति जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा और रंजना प्रकाश देसाई शामिल थे।
- तदोपरांत वर्ष 2018 में दूसरी महिला खंडपीठ का गठन किया गया। इसमें न्यायमूर्ति आर. भानुमति और इंदिरा बनर्जी शामिल थे।
उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश
- उच्चतम न्यायालय में स्वीकृत न्यायाधीशों की अधिकतम संख्या 34 (1 मुख्य न्यायाधीश + 33 अन्य न्यायाधीश) है, जिनमें से वर्तमान में 3 महिला न्यायाधीशों के साथ 27 न्यायाधीश कार्यरत है।
- तीन महिला न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति हिमा कोहली, बी.वी. नागरत्ना और बेला एम.त्रिवेदी शामिल हैं।
- विदित है कि न्यायमूर्ति कोहली का कार्यकाल सितंबर 2024 तक है जबकि न्यायमूर्ति त्रिवेदी जून 2025 तक उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के पद पर आसीन रहेंगी।
- गौरतलब है कि न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना के वर्ष 2027 में देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनने की संभावना है।
- उच्चतम न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश वर्ष 1989 में न्यायमूर्ति एम. फातिमा बीवी थी। इसके पश्चात् नियुक्त होने वाले महिला न्यायमूर्तियों में सुजाता मनोहर, रूमा पाल, ज्ञान सुधा मिश्रा, रंजना प्रकाश देसाई, आर. भानुमति, इंदु मल्होत्रा , इंदिरा बनर्जी, कोहली, नागरत्न और त्रिवेदी शामिल हैं।