चर्चा में क्यों
खेल मध्यस्थता न्यायालय (Court of Arbitration of Sports : CAS) ने रूस की ‘फिगर स्केटिंग’ खिलाड़ी कामिला वलीवा को डोप परीक्षण में विफल रहने के बावजूद शीतकालीन बीजिंग ओलंपिक में भाग लेने की अनुमति दे दी है।
पृष्ठभूमि
- उन पर प्रतिबंधित पदार्थ ट्राइमेटाज़िडाइन के प्रयोग के लिये विश्व डोपिंग रोधी संहिता (World Anti-Doping Code : WADC) के उल्लंघन का आरोप था।
- प्रतिबंध के लिये अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC), विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (WADA) और अंतर्राष्ट्रीय स्केटिंग संघ (ISU) ने खेल मध्यस्थता न्यायालय में चुनौती दी थी।
विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा)
- वाडा एक स्वतंत्र डोपिंग रोधी वैश्विक एजेंसी है। इसकी स्थापना वर्ष 1999 में की गई थी।
- इसका उद्देश्य शिक्षा, वैज्ञानिक अनुसंधान, डोपिंग रोधी क्षमताओं के विकास और डव्लू.ए.डी.सी. के अनुपालन को सुनिश्चित करना है।
- इसका 50 प्रतिशत वित्त पोषण अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के विभिन्न आयोजनों द्वारा जबकि, शेष का वित्त पोषण विश्व भर की सरकारों द्वारा किया जाता है।
- गौरतलब है कि डोपिंग, एथलीटों द्वारा प्रदर्शन हेतु क्षमता बढ़ाने वाले पदार्थों के उपयोग को संदर्भित करता है। इसमें कैनबिनोइड्स, नशीले पदार्थ, उत्तेजक हार्मोन और मेटाबॉलिक मॉड्यूलेटर व अन्य पदार्थों को शामिल किया जाता है।
- यह खेल में डोपिंग रोधी गतिविधियों से संबंधित सभी मामलों के लिये वैश्विक और सर्वोच्च प्राधिकरण है। इस संदर्भ में भारत में राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (National Anti-Doping Agency) है, जो वाडा के लिये सहायक के रूप में कार्यरत है।
- विदित है कि वाडा के तहत 16 या 18 वर्ष से कम उम्र के एथलीट, जिन्होंने पंजीकृत प्रतियोगिता और कभी भी किसी भी खुली श्रेणी की अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग नहीं लिया है, को ‘संरक्षित व्यक्ति’ की श्रेणी में रखा गया है। डव्लू.ए.डी.सी. के उल्लंघन में एक ‘संरक्षित’ एथलीट को अधिकतम दो वर्षों की अवधि के लिये ‘अपात्र’ माना जाता है।
विश्व डोपिंग रोधी संहिता (डव्लू.ए.डी.सी.)
- यह सभी डोपिंग रोधी गतिविधियों से संबंधित प्रशासन और न्यायशास्त्र की शर्तों को निर्धारित करने वाला मौलिक और सार्वभौमिक दस्तावेज़ है। इसका कार्यकारी अधिकार वाडा के पास है।
- यह खेल में डोपिंग रोधी गतिविधियों से संबंधित सभी मामलों के लिये वैश्विक और सर्वोच्च प्राधिकरण है।