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प्रवसन एवं प्रेषित धन (रेमिटेंस) पर विश्व बैंक की रिपोर्ट

(प्रारम्भिक परीक्षा: अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)

(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र- 2: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, उनकी संरचना एवं अधिदेश)

पृष्ठभूमि

22 अप्रैल, 2020 को विश्व बैंक द्वारा ‘कोविड-19  क्राइसिस थ्रू ए माइग्रेशन लेंस’ (Covid-19 Crisis Through a Migration Lens) नामक रिपोर्ट जारी की गई। इस रिपोर्ट में प्रवसन और प्रेषित धन से सम्बंधित विषयों पर चर्चा की गई है।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • इस रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 महामारी के कारण प्रेषित धन (रेमिटेंस) में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट हो सकती है। विश्व में जारी लॉकडाउन के कारण इसमें 20 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है, जिसका मुख्य कारण लोगों की आजीविका समाप्त होना या वेतन में कटौती है।
  • कच्चे तेल के मूल्यों में अत्यधिक गिरावट एवं कोविड-19 महामारी के चलते खाड़ी देशों की अर्थव्यस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, जिसके चलते वहाँ बड़ी संख्या में कार्य कर रहे भारतीयों की आजीविका संकट में है। यही कामगार भारत के लिये प्रेषित धन में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
  • रिपोर्ट के अनुसार, खाड़ी देशों के साथ-साथ अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित देशों में नौकरी कर रहे भारतीय इस वर्ष कोविड-19 महामारी के कारण 1.44 लाख करोड़ रुपए कम हस्तांतरित करेंगे।
  • रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि वर्ष 2020 में भारत के प्रेषित धन में 23 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। यह धनराशि 83 बिलियन डॉलर (लगभग 6.30 लाख करोड़ रुपए) से गिरकर 64 बिलियन डॉलर (लगभग 4.86 लाख करोड़ रुपए) तक आ सकती है। इस प्रकार, यह धनराशि लगभग 1.44 लाख करोड़ रुपए होगी।
  • वर्ष 2019 में, भारत का प्रेषित धन 5.5 प्रतिशत बढ़कर 83 बिलियन डॉलर (लगभग 6.30 लाख करोड़ रुपए) हो गया था।
  • इस रिपोर्ट के अनुसार, कम या मध्यम आय वाले देशों को वर्ष 2017 की तुलना में वर्ष 2018 में 9.6 प्रतिशत अधिक प्रेषित धन प्राप्त हुआ था।
  • गौरतलब है कि वर्ष 2018 में चीन को छोड़कर निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से अधिक प्रेषित धन की प्राप्ति हुई।

क्या है प्रेषित धन या रेमिटेंस?

  • जब विदेश में कार्य करने वाला कोई व्यक्ति अपने मूल देश में माता-पिता या परिवार को धन भेजता है तो उसे प्रेषित धन कहा जाता है। उदहारण के तौर पर- खाड़ी देशों, अमेरिका और ब्रिटेन में कार्य कर रहे भारतीय (डॉक्टर, इंजीनियर या कोई मज़दूर) अपने परिवार को धनराशि हस्तांतरित करते हैं।

प्रेषित धन का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

  • जिस देश में प्रेषित धन प्राप्त किया जाता है, उसके लिये यह विदेशी मुद्रा अर्जित करने का माध्यम होता है। साथ ही, उस देश की अर्थव्यवस्था में इस धन का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है।
  • छोटे और विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने में प्रेषित धन ने अहम भूमिका अदा की है, कुछ देशों में तो प्रेषित धन से प्राप्त धनराशि का योगदान वहाँ के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में अन्य क्षेत्रों की तुलना में काफी अधिक है।
  • नेपाल, हैती और ताजिकिस्तान जैसे देश अपने जी.डी.पी. का एक-चौथाई हिस्सा प्रेषित धन के रूप में प्राप्त करते हैं। विगत तीन वर्षों में, भारत में विदेशों से हस्तांतरित किये गए धन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

विश्व बैंक (World Bank)

  • इसे अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (International Bank for Reconstruction and Development-IBRD) के नाम से भी जाना जाता है। इसकी स्थापना वर्ष 1944 में ब्रेट्टनवुड्स सम्मलेन की सिफारिशों के आधार पर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund-IMF) के साथ की गई थी।
  • इसका मुख्यालय वाशिंगटन डी.सी. (सयुंक्त राज्य अमेरिका) में स्थित है तथा वर्तमान में इसके 189 सदस्य देश हैं।

विश्व बैंक के उद्देश्य

  • सदस्य राष्ट्रों को पुनर्निर्माण और विकास कार्यों हेतु आर्थिक सहायता प्रदान करना।
  • भुगतान संतुलन को बनाए रखने तथा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुचारू रूप से संचालित करने के लिये पूंजीगत निवेश को प्रोत्साहित करने के साथ ही वित्तीय परामर्श प्रदान करना।
  • इसका आदर्श वाक्य ‘निर्धनतामुक्त विश्व के लिये कार्य करना’ है।

विश्व बैंक के कार्य

  • विश्व बैंक मुख्य रूप से विकास कार्यों के लिये दीर्घावधिक ऋण मुहैया कराने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
  • विश्व बैंक सदस्य देशों को उसके शेयर के 20 प्रतिशत प्रदत्त पूंजी के रूप में ऋण प्रदान कर सकता है। ऋण सेवा, ब्याज दर, शर्तें और नियमों के सम्बंध में निर्णय स्वयं विश्व बैंक द्वारा लिये जाते हैं।
  • ऋण प्राप्तकर्त्ता देश को ऋण का पुनर्भुगतान अरक्षित मुद्रा में या जिस मुद्रा में ऋण लिया गया था, उसी में करना होता है।
  • विश्व बैंक द्वारा केवल विकासशील देशों को ही ऋण की सुविधा प्रदान की जाती है।

भविष्य की राह

  • कोविड-19 एक विश्वस्तरीय मानवीय त्रासदी है, जिसने लोगों और उनकी आजीविका को व्यापक स्तर पर प्रभावित किया है।
  • इस समय वैश्विक नेतृत्व को एकजुट होकर लोगों की ज़िंदगी बचाने के साथ-साथ उनकी आजीविका को भी सुरक्षित करना होगा।
  • अगर समय रहते आवश्यक कदम नहीं उठाए गए तो एक महामारी से निपटने के पश्चात् आजीविका के संकट रूपी दूसरी महामारी से निपटना अत्यंत कठिन होगा।
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